पुस्तक सार
विवेकानंद साहित्य - १०
· यह सृष्टि मनुष्य की आवश्यकता के लिए है, ईश्वर की नहीं | सर्वशक्तिमान परमेश्वर को कोई भी काम…
· यह सृष्टि मनुष्य की आवश्यकता के लिए है, ईश्वर की नहीं | सर्वशक्तिमान परमेश्वर को कोई भी काम…
प्रफुल्ल चित्त तथा हंसमुख रहने से तुम ईश्वर के अधिक निकट पहुँच जाओगे | किसी भी प्रार्थना की अपेक्षा प…
· अविवाहित माँ जावाल के पुत्र सत्यकाम वेद्शिक्षा पाना चाहते थे | किन्तु उस समय की मान्यता क…
१. यदच्युत – कथालाप – रस – पीयूष – वर्जितं / यद्दिनम हरिसंलाप कथा पीयूष वर्जितं | तद्दिनम दु…
- गौरक्षण सभा के एक उद्यमी प्रचारक स्वामी जी के दर्शनों के लिए आये तथा उन्हें रोगग्रस्त, दुर्बल और…
- हमें ऐसे ह्रदय की आवश्यकता है जो समुद्र सा गंभीर और आकाश सा उदार हो | हमें संसार की किसी भी उन्न…
- प्रत्येक धर्म और देश के सभी दुर्बल और अविकसित बुद्धिबाले मनुष्य अपने आदर्श से प्रेम करने का एक…