दिवाकर की दुनाली से

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हथियार, रसूख और रहस्य: शिवपुरी की छिपी हकीकत - दिवाकर शर्मा

शिवपुरी पुलिस ने हाल ही में झांसी के एक युवक को गिरफ्तार किया, जिसने उत्तर प्रदेश में एक पार्टी के दौरान बं…

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शिवपुरीवासियों का "हिचका" कौन चुरा ले गया? - दिवाकर शर्मा

शिवपुरी का इतिहास उसकी हवा में है। यह शहर कभी रंगीन पतंगों और खुशहाल बच्चों के लिए जाना जाता था। हर गली, हर…

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"परिवार पर सवाल: धीरेन्द्र शास्त्री के साथ न्याय या अन्याय?" - दिवाकर शर्मा

आधुनिक समाज में, जहां सूचना और तकनीक ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है, वहीं इसका नकारात्मक पक्ष यह भी…

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राजनीति का कठोर सच: कार्यकर्ता या मोहरा? - दिवाकर शर्मा

किसी भी छोटे शहर, कस्बे या गाँव की राजनीतिक तस्वीर पर नज़र डालें, तो आपको एक जैसे चेहरे, एक जैसे वादे और एक…

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शिवपुरी - जहाँ नहीं चलता मुख्यमंत्री का आदेश? - दिवाकर शर्मा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शपथ लेते ही पहले आदेश में प्रदेशभर में अवैध लाउडस्पीकरों पर प्रतिबं…

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क्या यशोधरा राजे नें शिवपुरी से बदला लेने के लिए चुना गायत्री शर्मा को ? - दिवाकर शर्मा

शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर हुए घटनाक्रम में जो राजनीतिक निर्णय सामने आया, वह शहरवासियों के लिए अ…

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कुत्तों के नए मॉडल: किसी को पेडिग्री, किसी को हड्डियां, किसी को बोतल और किसी को गड्डियाँ! - दिवाकर शर्मा

अब ये मत समझिए कि मैं किसी पेट-स्टोर में बिकने वाले कुत्तों या किसी ब्रांड की बात कर रहा हूँ। ये चर्चा हमार…

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शिवपुरी में धार्मिक ध्रुवीकरण और सत्ताधारी संगठनों की खामोशी: महादेव मंदिर और ‘शाम-ए-दिवाली’ मुशायरे पर दोहरे मापदंड क्यों - दिवाकर शर्मा

शिवपुरी में वार्ड 37 स्थित महादेव मंदिर में हुए विवादित घटनाक्रम ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जब कुछ…

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तेजतर्रार और महत्वाकांक्षी लोगों का BJP और संघ में प्रभाव: सतर्कता और संतुलन की आवश्यकता - दिवाकर शर्मा

भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का संबंध हमेशा से मजबूत रहा है…

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क्या हर पत्रकार को 'वरिष्ठ' का दर्जा देना सही है? पत्रकारिता के मापदंडों पर पुनर्विचार – दिवाकर शर्मा

पत्रकारिता एक महत्वपूर्ण पेशा है जो समाज को सही जानकारी, तथ्यों और सच्चाई से रूबरू कराता है। इसके आधार पर क…

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जलेबी की फैक्ट्री और राहुल गांधी : एक मीठा चुनावी सपना - दिवाकर शर्मा

हरियाणा के 2024 के चुनावों में जितनी मिठास जलेबी की फैक्ट्री को लेकर थी, उतनी शायद राहुल गांधी के राजनीतिक …

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फूलन देवी : नायकत्व का मिथक और असलियत की त्रासदी - दिवाकर शर्मा

फूलन देवी का नाम सुनते ही एक ऐसे विद्रोही महिला की छवि उभरती है, जिसने अत्याचार के खिलाफ बंदूक उठाई और बदले…

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मोबाइल युग में खोते जीवन के असली मायने: आत्मचिंतन और समाधान - दिवाकर शर्मा

आज के आधुनिक युग में मोबाइल फोन एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। यह न केवल संचार का साधन है, बल्कि मनोरंजन, श…

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नवरात्रि उत्सव में भक्ति संगीत का महत्व: भड़कीले गीतों से बढ़ता ध्वनि प्रदूषण और सांस्कृतिक ह्रास - दिवाकर शर्मा

नवरात्रि और देवी स्थापना जैसे पवित्र उत्सवों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक गहरा है। यह समय देवी दु…

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"जीवन की तीन संतुष्टियाँ: कार्य संतुष्टि के अभाव में अवसाद का खतरा" - दिवाकर शर्मा

हर मनुष्य के जीवन में संतुष्टि का बहुत बड़ा महत्व है। यह संतुष्टि उसकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, रिश्तों…

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लेखन की गहराई: भाषा में अनुभव की परिपक्वता का प्रतिबिंब – दिवाकर शर्मा

लेखन एक साधना है, जो वर्षों की निरंतर मेहनत और अनुभव से विकसित होती है। लेखन के क्षेत्र में किसी की वरिष्ठत…

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पत्रकारिता और साहित्यिक सम्मान: वास्तविकता से दूर, एक ढोंग का खेल – दिवाकर शर्मा

समय के साथ पत्रकारिता और साहित्य का रिश्ता बदलता गया है। कभी ये माध्यम सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव का वाहक …

ज़्यादा पोस्ट लोड हो रहा है… That's All