शिवपुरी: विकास या अव्यवस्था की पराकाष्ठा?
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शिवपुरी, जिसे विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के दावे किए जाते हैं, आज सीवर प्रोजेक्ट की दुर्दशा के कारण चर्चा में है। कमला हेरिटेज होटल के पास रेलवे स्टेशन रोड पर एक बाइक सवार सीवर चेंबर में गिरकर घायल हो गया। इस घटना ने एक बार फिर नगर की अव्यवस्था और प्रशासनिक उदासीनता को उजागर कर दिया है। यह कोई पहली बार नहीं है जब शहर की लापरवाही ने किसी की जान पर संकट खड़ा किया हो।
प्रशासनिक अनदेखी और नागरिकों की व्यथा
स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। राज्यवर्धन सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि शिवपुरी की प्रगति गाथा ने आज इतिहास रच दिया है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि ऐसे खुले चेंबर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के घर के बाहर भी रखवाए जाएँ ताकि उन्हें आम जनता की पीड़ा का अहसास हो। पार्षद अरविंद ठाकुर ने घटना पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए बताया कि उन्होंने पहले भी संबंधित अधिकारियों को इस चेंबर के खतरों से अवगत कराया था, परंतु बार-बार की गई अनदेखी आज इस दुर्घटना का कारण बनी।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों और समाजसेवियों ने तत्परता दिखाते हुए घायल संजय रावत को जिला अस्पताल पहुँचाया। यह दुखद है कि 16 फरवरी को इसी स्थान पर एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी थी, फिर भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रशासन की प्राथमिकताओं में आम जनता की सुरक्षा कहीं नहीं है।
नागरिकों का आक्रोश और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
शहरवासियों की निराशा अब आक्रोश में बदल रही है। मणिका शर्मा ने इसे बड़ी लापरवाही करार दिया, जबकि जितेंद्र समाधिया ने कटाक्ष किया कि विकास की गाथा अब सीवर के अंदर चिल्ला रही है। ठाकुर रावत और अमरदीप श्रीवास्तव ने प्रशासन की निष्क्रियता की निंदा करते हुए कहा कि अब सड़कों पर चलना भी असुरक्षित हो गया है। राम शर्मा ने व्यंग्य करते हुए लिखा कि शायद प्रशासन इसी हादसे की प्रतीक्षा कर रहा था।शिवपुरी की जर्जर होती सड़कें और बढ़ते खतरे
यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन की असफलता का जीता-जागता प्रमाण है। जब शहर के नागरिक गड्ढों और खुले सीवर चेंबरों में गिरकर घायल हो रहे हों, तो विकास की परिभाषा पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है। शहर की कई प्रमुख सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। रेलवे स्टेशन रोड, माधव चौक, कोर्ट रोड, अस्पताल रोड जैसी मुख्य सड़कें भी बदहाल हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। इन जर्जर सड़कों और अधूरे प्रोजेक्ट्स की वजह से जनता को लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।नगर निगम, पीएचई और संबंधित विभागों द्वारा केवल फाइलों में योजनाएँ बनाई जाती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्य नहीं किया जाता। जनता के पैसे से करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद विकास कार्य केवल आधे-अधूरे ही रह जाते हैं। अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से घटिया निर्माण किए जाते हैं, जिससे थोड़े ही समय में सड़कें और सीवर प्रोजेक्ट दम तोड़ देते हैं।
नागरिक सुरक्षा की अनदेखी: कब तक चलेगा यह सिलसिला?
प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार का यह सिलसिला कब तक जारी रहेगा? क्या प्रशासन की नींद तब ही खुलेगी जब कोई बड़ी जनहानि होगी? आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से सबक लेते हुए स्थानीय प्रशासन को अब कड़े कदम उठाने चाहिए। दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए और इन परियोजनाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाए।
शिवपुरी के नागरिकों का धैर्य अब जवाब दे रहा है, और अब समय आ गया है कि प्रशासन दिखावे की नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ाए। जनता अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होगी, बल्कि जवाबदेही की माँग करेगी।
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