भुजरिया तालाब: सामूहिक प्रयास से उपेक्षा तक का सफर

 

भुजरिया तालाब, जो कभी शिवपुरी के स्वच्छता और सौंदर्य का प्रतीक बनने की कगार पर था, आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यह वही तालाब है जिसे स्थानीय लोगों ने दिन-रात मेहनत कर जलकुंभी और कचरे से मुक्त किया था। उस समय तालाब की सुंदरता लौट आई थी, और इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की योजनाएं बन रही थीं। डिज़ाइन तैयार थे, टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने को थी। लेकिन अब वह सपना धुंधला हो गया है, और भुजरिया तालाब केवल नशे का अड्डा बनकर रह गया है।

आज तालाब के चारों ओर शराब की बोतलें, डिस्पोजल ग्लास, और नशे से जुड़ी अन्य सामग्रियां बिखरी पड़ी हैं। जो लोग इसे स्वच्छ रखने के लिए जिम्मेदार थे, वही इसे गंदगी का घर बना रहे हैं। पूजा सामग्री, फूल-मालाएं, और घरों से निकला कचरा थैलियों में भरकर इस पवित्र जल में डाला जा रहा है। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर भी सवाल उठाती है। 



शिवपुरी को पर्यटन नगरी बनाने के लिए बड़े-बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। योजनाएं बनाई जा रही हैं, लेकिन इन योजनाओं की सफलता हमारी जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता पर निर्भर करती है। अगर हम अपने शहर के जल स्रोतों को संरक्षित नहीं कर सकते, तो पर्यटन नगरी का सपना अधूरा ही रहेगा। तालाब केवल एक जलस्रोत नहीं है; यह हमारे शहर की जीवन रेखा और सांस्कृतिक धरोहर है।

स्वच्छता बनाए रखना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य भी है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि तालाबों और जल स्रोतों का संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। सामूहिक प्रयास और जागरूकता से ही इस स्थिति को बदला जा सकता है।



भुजरिया तालाब की कहानी हमें एक महत्वपूर्ण सबक देती है। यह केवल एक जलाशय की कहानी नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक मानसिकता का प्रतिबिंब है। अगर हम इसे बदलना चाहते हैं, तो स्वच्छता और संरक्षण के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस तालाब को फिर से सुंदर और स्वच्छ बनाएं, ताकि यह भविष्य में शिवपुरी की पहचान बन सके।

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