भीम आर्मी का 'पुतला कांड': अज्ञात युवक या रहस्यलोक का गुप्तचर?

 

शिवपुरी के माधव चौक पर शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। भीम आर्मी के युवा विरोध प्रदर्शन के लिए पहुंचे, और इस बार उनका मिशन था—केंद्रीय गृहमंत्री का पुतला दहन। तैयारियां जोरों पर थीं। नारे गूंज रहे थे, आक्रोश का माहौल था, और पुतला जलने के लिए बेकरार था। लेकिन तभी एक अद्भुत घटना ने पूरे दृश्य को बदलकर रख दिया।

अचानक भीड़ के बीच से एक युवक, बिल्कुल रहस्यलोक का कोई गुप्तचर लगता था, पलक झपकते ही पुतले को उठा ले गया! इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, वह भीड़ को चीरते हुए गायब हो गया। यह दृश्य किसी बॉलीवुड की हाई-थ्रिलर फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा था, जहां नायक अकेला दुश्मनों के बीच से 'सीक्रेट फाइल' लेकर भागता है।

भीम आर्मी के कार्यकर्ता कुछ पलों तक स्तब्ध खड़े रहे। "ये हुआ क्या?" के भाव उनके चेहरे पर साफ झलक रहे थे। जल्द ही सदमे से उबरते हुए, उन्होंने धरने की मुद्रा अपना ली। "पुतला वापस दिलाओ!" के नारे गूंजने लगे। लेकिन पुलिस और जनता के बीच वह अज्ञात युवक एक पहेली बन चुका था।

अब सवाल यह है कि यह युवक कौन था? क्या वह किसी गुप्त एजेंसी का एजेंट था? या किसी अदृश्य संगठन का प्रतिनिधि? या फिर वह पुतलों का शौकीन कोई कला प्रेमी? उसकी स्पीड और परफॉर्मेंस देखकर तो उस पर 'फास्ट एंड फ्यूरियस' की अगली फिल्म का मुख्य किरदार लिख दिया जाना चाहिए।

धरने के दौरान पुतले को लेकर कई तरह की थ्योरीज उछाली गईं। कुछ ने कहा, “शायद वह युवक खुद गृहमंत्री का समर्थक था।” तो कुछ ने माना कि वह "पुतला-मुक्ति आंदोलन" का संस्थापक हो सकता है।

बिना पुतले के प्रदर्शन तो ऐसे हो गया जैसे शादी में बाराती हो, लेकिन दूल्हा गाड़ी में बैठकर फरार हो जाए। भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कोशिश की कि कहीं से दूसरा पुतला मिल जाए, लेकिन माधव चौक के आसपास पुतलों का स्टॉक खत्म हो चुका था।

इस बीच पुलिस के जवान भी पूरी घटना पर गहन 'जांच' करते नजर आए। हालांकि उनकी जांच का मतलब था भीड़ से सवाल करना, "अरे भाई, कोई देखा क्या उसे? कैसा दिखता था?" जवाब में हर कोई अलग-अलग बयान देने लगा। किसी ने कहा, "काले कपड़े में था," तो किसी ने दावा किया, "वह हवा में उड़ा!"

आखिरकार, बिना पुतला जलाए भीम आर्मी को वापस लौटना पड़ा। लेकिन यह दिन शिवपुरी की पुतला-राजनीति का एक अनूठा अध्याय लिख गया। अब देखना यह है कि अगली बार प्रदर्शन के लिए पुतला जलाने वाले कैसे अपनी 'जगह-जंजीर सुरक्षा' की व्यवस्था करेंगे। और सबसे बड़ा सवाल—वह रहस्यमयी युवक फिर लौटेगा या नहीं?

अगर अगली बार कहीं पुतले गायब होते दिखें, तो समझ लीजिए, यह मामला साधारण नहीं, बल्कि किसी रहस्यलोक का संकेत है!

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