लाड़ली बहना योजना: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश या राजनीतिक खेल?
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मध्य प्रदेश में महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लाड़ली बहना योजना की शुरुआत की गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 28 जनवरी 2023 को इस योजना की घोषणा की थी। शुरुआत में इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये दिए जाते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 1250 रुपये कर दिया गया।
योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उनके बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर को बेहतर करना था। योजना के तहत आधार नंबर के माध्यम से DBT प्रक्रिया अपनाई गई, ताकि पैसा सीधे महिलाओं के बैंक खाते में पहुंचे और वे अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार खर्च कर सकें।
लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना पर विवाद भी कम नहीं हुए। कांग्रेस ने इसे एक राजनीतिक चाल करार देते हुए भाजपा सरकार से योजना की राशि बढ़ाकर 3000 रुपये करने और हटाए गए महिलाओं के नाम फिर से जोड़ने की मांग की। शुरू से ही योजना पर सवाल उठते रहे हैं। लाखों महिलाओं के नाम अपात्र करार देकर योजना से हटा दिए गए। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार, 218858 आपत्तियां प्राप्त होने के बाद 2 लाख से अधिक महिलाओं को अपात्र घोषित कर दिया गया।
वर्तमान में योजना के तहत 12905457 महिलाओं को हर महीने 1250 रुपये दिए जा रहे हैं। लेकिन नई पंजीकरण प्रक्रिया बंद होने के कारण पात्र महिलाओं की संख्या नहीं बढ़ रही। उम्र और अन्य कारणों से बड़ी संख्या में महिलाएं योजना से बाहर हो रही हैं। इसके बावजूद सरकार इसे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है।
आलोचकों का कहना है कि यह योजना सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है, जिसका मकसद महिलाओं का वोट बैंक पक्का करना है। वहीं, समर्थकों का मानना है कि योजना ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाया है।
आगामी 19वीं किस्त से पहले योजना पर सवाल और बहस दोनों तेज हो चुके हैं। क्या यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाने का वास्तविक प्रयास है या सिर्फ राजनीतिक फायदे का साधन? यह सवाल अब भी बना हुआ है।
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