२७ दिसंबर को महाराज खेतसिंह जू खंगार की 884वीं जन्मजयंती पर गुना की धरती से 'जिझौतिखंड नवनिर्माण संकल्प दिवस' के रूप में जिझौतिखंड पुनर्निर्माण आंदोलन का शुभारंभ किया जाएगा। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम क्षत्रिय खंगार समाज संगठन द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक पंडित कपिल देव मिश्र जी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे, और दिल्ली से प्रदेश अध्यक्ष पंडित अनिल नायक जी विशिष्ट अतिथि होंगे।
इस भव्य आयोजन के लिए गुना को विशेष रूप से सजाया गया है, ताकि यह आयोजन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी भव्यता से प्रस्तुत कर सके। साज-सज्जा और आयोजन स्थल की तैयारी ने इस कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया है, जो एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में याद किया जाएगा।
संपूर्ण मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र में 250 साल पहले 'जिझौति' के नाम से पहचाने जाने वाले प्राचीन बुंदेलखंड की गौरवमयी सांस्कृतिक धारा को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया जा रहा है। जिझौतिया समाज की सांस्कृतिक परंपराएँ, पूजा पद्धतियाँ और लोकाचार का आज भी यह क्षेत्र संरक्षक है। इसके साथ ही, जिझौतिया जातियाँ जैसे खंगार, परिहार, अहीर, कायस्थ, वैश्य, सुनार, कुर्मी, लोधी, नाई, तेली, धीवर, क्षत्रिय और कलार समाज की धार्मिक एकता को लेकर एक मजबूत अभियान शुरू किया गया है।
साल 2022 में गढ़कुंडार में पंडित कपिल देव मिश्र ने जिझौतिया खंगार परिहार और सप्तसनातनी समाज के बीच इस ऐतिहासिक मुद्दे पर 7 से 8 हजार लोगों के बीच चर्चा की थी। यह आयोजन उसी विचारधारा का विस्तार है, जिससे न केवल जिझौतिया ब्राह्मण, खंगार, परिहार और अन्य समाजों का सामाजिक समरसता और एकता में योगदान होगा, बल्कि प्राचीन इतिहास और गौरव की पुनः प्रतिष्ठा होगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुश्री उमा भारती ने भी अटल सरकार के समय बुंदेलखंड की जगह 'जिझौतिप्रदेश' की वकालत की थी। महाराज खेतसिंह खंगार जू ने भी गढ़कुंडार से संघीय व्यवस्था की शुरुआत करते हुए इसे 'स्वतंत्र हिन्दू गणराज्य जिझौतिखंड' नाम दिया था।
आज, दिल्ली में 22 लाख से अधिक जिझौतिया लोग रहते हैं, जो अपने गौरवमयी इतिहास और परंपराओं के पुनर्स्थापन के लिए इस आयोजन से जुड़ेंगे। अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ द्वारा भेजी गई शुभकामनाओं और मंगलकामनाओं के साथ यह आयोजन जन-जन की भावना को जोड़ते हुए एक सतत आंदोलन के रूप में आगे बढ़ेगा।
यह कार्यक्रम सामाजिक समरसता और सनातनी एकता का प्रतीक बनेगा, जिससे जिझौतियाई परंपरा को एक नई दिशा मिलेगी। जिझौतिखंड की गौरवशाली संस्कृति और परंपरा के पुनर्निर्माण के इस प्रयास को लेकर सभी की नजरें इस भव्य आयोजन पर टिकी हैं।
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