शिवपुरी की पहचान: ‘मन्या हलवाई’ की कहानी – बेडई और दही जलेबी के जनक


शिवपुरी शहर के स्वाद और खानपान की दुनिया में एक नाम ऐसा है, जो अपने शानदार स्वाद, उत्कृष्टता और परंपरा के लिए आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है – ‘मन्या हलवाई’। यह प्रतिष्ठान न केवल स्वाद का प्रतीक है, बल्कि यह एक पूरी पीढ़ी की मेहनत और संघर्ष की कहानी भी कहता है। शिवपुरी में बेडई और दही जलेबी के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले स्व. श्री मोहन लाल सेन ‘मन्या हलवाई’ की यात्रा 70 साल पहले शुरू हुई थी, और आज यह परंपरा उनके परिवार द्वारा जीवित रखी जा रही है।

शिवपुरी में बेडई और दही जलेबी की शुरुआत


कहानी शुरू होती है लगभग 70 साल पहले, जब नारनौल, राजस्थान से एक युवा, उत्साही और मेहनती युवा स्व. श्री मोहन लाल सेन शिवपुरी आये। उस समय शिवपुरी में नाश्ते की परंपरा बहुत सामान्य थी, लेकिन मोहन लाल जी ने कुछ ऐसा किया जो न केवल इस शहर के स्वाद को नया दिशा देगा, बल्कि उसे एक नई पहचान भी देगा।

यह था उनका बेडई और दही जलेबी बनाने का अनोखा तरीका। शिवपुरी के धर्मशाला रोड पर अपने हलवाई खाने के ठेले पर उन्होंने ये व्यंजन बेचना शुरू किया। क्या आप जानते हैं कि आज तक शिवपुरी में बेडई और दही जलेबी के जो स्वादिष्ट व्यंजन मिलते हैं, उनकी नींव स्व. श्री मोहन लाल सेन ने रखी थी? जी हां, ‘मन्या हलवाई’ ही वे पहले लोग थे जिन्होंने इस शहर को ‘बेडई’ और ‘दही जलेबी’ का असली स्वाद दिया, जो आज भी शहरवासियों का प्रिय नाश्ता है।

वह दिन थे जब यह स्वाद शिवपुरी की गलियों में लोगों की जुबान पर था, और वह यह कहने लगे थे, "अगर शिवपुरी में बेडई और दही जलेबी का असली स्वाद चाहिए तो बस एक ही जगह जाना पड़ेगा - ‘मन्या हलवाई’"।

व्यवसाय की उन्नति और दूसरा कदम


स्व. श्री मोहन लाल सेन ने बेदई और दही जलेबी से लेकर कचौरी, समोसा, पकोड़ी, और अन्य भारतीय नाश्ते की वस्तुएं तैयार कर, न केवल शहरवासियों को खुश किया, बल्कि इस व्यवसाय को एक नई दिशा भी दी। धीरे-धीरे उनके खानपान की लोकप्रियता बढ़ी, और उनकी दुकान पर ग्राहकों की लंबी-लंबी लाइनें लगने लगीं। उन्होंने जो कड़ी मेहनत और समर्पण दिखाया, वह एक मिसाल बन गया।

हरिगोपाल सेन ‘बबले हलवाई’ का योगदान


अपने पिता की सफलता को देखकर, उनके पुत्र हरिगोपाल सेन ‘बबले हलवाई’ ने इस व्यापार को और ऊंचाई दी। हरिगोपाल जी ने न केवल वही स्वाद बनाए रखा, जो उनके पिता ने शुरू किया था, बल्कि उन्होंने खानपान में नए विकल्प भी जोड़े और ग्राहकों की मांग को समझते हुए व्यापार को दोगुनी रफ्तार से बढ़ाया। उनकी कड़ी मेहनत, व्यवसायिक दृष्टिकोण और स्वाद में निरंतरता ने ‘मन्या हलवाई’ को और भी प्रसिद्ध किया। 


तीसरी पीढ़ी – मयंक और सिद्धार्थ सेन


अब इस प्रतिष्ठान की बागडोर उनके दो बेटों मयंक सेन ‘मोंटी’ और सिद्धार्थ सेन ‘तनु’ के हाथों में है। इन दोनों भाइयों ने अपने दादाजी और पिता की परंपरा को न केवल कायम रखा, बल्कि उसे और भी व्यापक रूप से फैलाया। मयंक और सिद्धार्थ ने शादी-ब्याह, जन्मदिन और अन्य बड़े आयोजनों के लिए खानपान के आर्डर लेने शुरू किए, जो उन्हें स्थानीय शहरों से बाहर भी प्रसिद्धि दिलाने में सफल रहे। इस प्रकार, उन्होंने शिवपुरी के बाहर भी अपने खानपान का नाम रोशन किया और व्यापार को नए मुकाम तक पहुंचाया।

स्वाद और सेवा का मिश्रण


‘मन्या हलवाई’ के यहाँ केवल स्वादिष्ट भोजन ही नहीं, बल्कि हर ग्राहक को विशेष सेवाएं और मांग के अनुसार खानपान भी मिलता है। यह प्रतिष्ठान प्रात: 7 बजे से 12 बजे तक खुलता है और इस दौरान बेडई, कचौरी, समोसा, पकोड़ी और दही जलेबी जैसे लोकप्रिय नाश्ते का आनंद लिया जा सकता है। शाम 5 बजे से रात 12 बजे तक इस प्रतिष्ठान में डोसा, पाव भाजी, इडली, चाउमीन, पास्ता जैसे आधुनिक व्यंजन भी मिलते हैं। इन व्यंजनों का स्वाद इतना लाजवाब है कि दूर-दराज से लोग अपनी गाड़ियों को सड़क पर पार्क करके यहाँ भोजन के लिए आते हैं।

मन्या हलवाई: शिवपुरी की शान


आज ‘मन्या हलवाई’ केवल एक प्रतिष्ठान नहीं, बल्कि शिवपुरी की पहचान बन चुका है। यह स्वाद की एक परंपरा है, जहां हर निवाला एक कहानी कहता है, एक संघर्ष की गाथा है। इस प्रतिष्ठान ने न केवल स्वाद में नयापन लाया है, बल्कि रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किए हैं।

यह प्रतिष्ठान शिवपुरी की धर्मशाला रोड पर स्थित है, और यहां पर मिलने वाला हर स्वादिष्ट व्यंजन शुद्धता, गुणवत्ता और मेहनत का प्रतीक है। चाहे सुबह का नाश्ता हो या शाम का डिनर, हर खाने का अनुभव अपने आप में एक यादगार पल बन जाता है। 


स्वाद का महल


‘मन्या हलवाई’ का हर व्यंजन, उसकी परंपरा और कहानी शिवपुरी की खानपान की दुनिया में एक अनमोल धरोहर बन चुका है। इस प्रतिष्ठान का नाम हमेशा के लिए खाने के शौकिनों के दिलों में बसा रहेगा।

अगर आप भी शिवपुरी में बेडई और दही जलेबी के असली स्वाद का अनुभव करना चाहते हैं, तो ‘मन्या हलवाई’ का रुख जरूर करें और इस स्वाद की परंपरा का हिस्सा बनें।

स्वाद, परंपरा और मेहनत की मिसाल – ‘मन्या हलवाई’।

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