शिवपुरी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य धैर्यवर्धन ने मंडल अध्यक्ष की रायशुमारी में उन्हें न बुलाए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे पार्टी के भीतर "तानाशाही" करार देते हुए इसकी शिकायत जिलाध्यक्ष से की और कहा कि वे इस मुद्दे को प्रदेश और राष्ट्रीय चुनाव अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे।
धैर्यवर्धन ने कहा कि पुरानी शिवपुरी मंडल में वे पूर्व विधायक नरेंद्र बिरथरे और माखनलाल राठौर के बाद तीसरे क्रम के सबसे बड़े दायित्व निभाने वाले कार्यकर्ता रहे हैं। इसके बावजूद मंडल अध्यक्ष की रायशुमारी में उनकी अनदेखी कर उन्हें अपमानित किया गया।
उन्होंने कहा,
"पार्टी नेतृत्व को चाहिए कि मंडल निर्वाचन प्रक्रिया को तत्काल निरस्त कर पारदर्शी तरीके से दुबारा चुनाव कराए। जिलाध्यक्ष, महामंत्री और निर्वाचन पदाधिकारी पूरी तरह इसके लिए जिम्मेदार हैं। समझ नहीं आ रहा कि कैसी भाजपा बनाने के लिए यह चालाकियां हो रही हैं।"
धैर्यवर्धन ने जिले में बढ़ रहे शातिराना वातावरण पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिले में पहली बार ऐसा माहौल देखने को मिल रहा है, जहां कई बार पार्टी बदलने वाले नेताओं को महिमामंडित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश कार्यसमिति में इस बार 13 सदस्यों को जोड़ा गया, जिनमें से एक का निधन हो चुका है और एक ने पार्टी छोड़ दी है। इसके बावजूद उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
"पिछले 35 वर्षों से सतत पार्टी की सेवा कर रहा हूं। देश के आधा दर्जन से अधिक राज्यों, जैसे पश्चिम बंगाल, में प्रवासी कार्यकर्ता के रूप में समय दिया। फिर भी मुझे लगातार योजनाबद्ध तरीके से उपेक्षित किया जा रहा है।"
धैर्यवर्धन ने कहा कि वे कई बार प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री को अपनी पीड़ा सुना चुके हैं, लेकिन अब स्थिति असहनीय हो गई है।
उन्होंने बताया कि वे पूर्व जिला महामंत्री, निर्वाचित पार्षद, पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, और पूर्व जिला प्रभारी जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा चुके हैं। 25 वर्ष पहले युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष और 16 वर्ष पहले भाजपा के जिला महामंत्री रह चुके हैं।
उन्होंने कहा,
"मंडल अध्यक्ष के चुनाव में भाग लेने वाले सभी कार्यकर्ताओं को मैं छोटे भाई जैसा मानता हूं और उनके मार्ग में बाधा नहीं बनता। लेकिन मुझे मेरे अधिकार से वंचित कर अपमानित किया जा रहा है, जो अब सहन नहीं होगा। पार्टी में कोई जायज बात भी सुनने को तैयार नहीं है।"
धैर्यवर्धन ने कहा कि वे इस मामले की शिकायत प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर करेंगे और मांग करेंगे कि इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए।
यह बयान भाजपा के भीतर जारी आंतरिक राजनीति और नेतृत्व के प्रति असंतोष की ओर संकेत करता है, जिसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को गंभीरता से लेना चाहिए।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
एक टिप्पणी भेजें