पञ्च परिवर्तन समाज उत्थान का मार्ग -डॉ. अमरीक सिंह ठाकुर
0
टिप्पणियाँ
भारत में हाल ही के समय में देश की संस्कृति की रक्षा करना, एक सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा है। सम्भावना से युक्त व्यक्ति हार में भी जीत देखता है तथा सदा संघर्षरत रहता है। अतः पंच परिवर्तन उभरते भारत की चुनौतियों का समाधान करने में समर्थ है। बौद्धिक आख्यान को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से बदलना और सामाजिक परिवर्तन के लिए सज्जन शक्ति को संगठित करना हम सभी का दायित्व बन जाना चाहिए। भारत ही नही अपितु संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर संघ ने समाज जीवन में अमूल चूल परिवर्तन और सबको साथ लेकर कार्य को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। जिसको नाम दिया है....पंच परिवर्तन।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए विगत 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने के लिए संघ ने समाज में पंच परिवर्तन का आव्हान किया है। पंच परिवर्तन रूपी पुष्प व्यवहार में पंच परिवर्तन को समाज में किस प्रकार लागू करना है इस हेतु हम समस्त भारतीय नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे, क्योंकि पंच परिवर्तन केवल चिंतन, मनन अथवा बहस का विषय नहीं है बल्कि इस हमें अपने व्यवहार में उतरने की आवश्यकता है। उक्त पांचों आचरणात्मक बातों का समाज में होना सभी चाहते हैं, अतः छोटी-छोटी बातों से प्रारंभ कर उनके अभ्यास के द्वारा इस आचरण को अपने स्वभाव में लाने का सतत प्रयास अवश्य करना होगा। समाज में सकारात्मक परिवर्तन का समय आ चला है , भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने एवं समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाने के उद्देश्य से पंच परिवर्तन का आह्वान किया है ताकि अनुशासन एवं देशभक्ति से ओतप्रोत युवा वर्ग अनुशासित होकर अपने देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करे। इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं – (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए विगत 99 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में पञ्च परिवर्तन का आव्हान किया है। पञ्च परिवर्तन रूपी पुष्प में समाज में समरसता का आग्रह, पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली, पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने हेतु कुटुंब प्रबोधन, जीवन के हर पक्ष में स्व यानी भारतीयता का आग्रह और नागरिक कर्तव्यों की दृष्टि से समाज जागरण करने जैसे आयाम हैं। आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इन पांच प्रकार की सामाजिक पहलों का आचरण स्वयं करते हुए समाज को भी उसमें सहभागी व सहयोगी बनाने का प्रयास करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का इतिहास भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने की एक यात्रा का साक्षी रहा है। विगत 99 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज में सकारात्मक बदलावों को दिशा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। आजादी के बाद से लेकर वर्तमान में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। अब भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन को गति देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने "पञ्च परिवर्तन" का आव्हान किया है। यह पञ्च परिवर्तन भारतीय समाज को न केवल आधुनिकता और वैश्वीकरण के अनुरूप ढालने की दिशा में है, बल्कि यह उस बुनियादी संस्कृति, आदर्शों और परंपराओं को भी पुनर्जीवित करने का संकल्प है, जो भारत की धरोहर हैं। इस पञ्च परिवर्तन के अंतर्गत पांच मुख्य बिंदु शामिल किए गए हैं: समरसता, पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली, कुटुंब प्रबोधन, भारतीयता का आग्रह (स्वत्व), और नागरिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता। इन पांच बिंदुओं का उद्देश्य केवल समाज का सुधार करना नहीं, बल्कि उसे एक संगठित और संतुलित दिशा में अग्रसर करना भी है।
समरसता का अर्थ है समाज के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समानता और आदर का भाव। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य समाज में समरसता को बढ़ावा देना है, ताकि जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। समरसता एक ऐसा मूलभूत सिद्धांत है, जो समाज को एक सूत्र में पिरोता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसार, समाज में भेदभाव के कारण जो विखंडन हुआ है, उसे मिटाकर हर वर्ग के लोगों को एक समानता के सूत्र में बांधना आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों के माध्यम से समरसता के विचार को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। यह एक ऐसा प्रयास है, जिसमें समाज के सभी वर्गों का समावेश हो सके, चाहे वह कोई भी जाति, वर्ग या पंथ का हो। समरसता का यह प्रयास समाज में स्थिरता और एकता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि एक सशक्त और संगठित समाज में भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
आज के समय में पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर लिया है। यह मानता है कि हमारी पारंपरिक जीवनशैली में ही प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इस दिशा में लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि कैसे वे अपनी दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करके पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। इस परिवर्तन का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत जल संरक्षण, ऊर्जा बचत, वृक्षारोपण, और प्राकृतिक संसाधनों का संयमित उपयोग शामिल है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली को अपनाकर ही हम भावी पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकते हैं। इसके लिए प्लास्टिक का कम से कम उपयोग, जल और बिजली की बचत, और रीसाइक्लिंग जैसे उपायों को अपनाने का आग्रह किया जा रहा है।
परिवार किसी भी समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई होती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि भारतीय समाज में मजबूत पारिवारिक मूल्यों का होना आवश्यक है, जिससे भावी पीढ़ी को उचित संस्कार और दिशा मिल सके। कुटुंब प्रबोधन का उद्देश्य परिवार के प्रत्येक सदस्य में समाज के प्रति उत्तरदायित्व और पारिवारिक मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इस दिशा में समाज "कुटुंब प्रबोधन" कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, जिनमें परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठने, संवाद करने और एक-दूसरे के विचारों को समझने का अवसर मिलता है। परिवार के सदस्यों के बीच संवाद का अभाव तनाव, अलगाव और तनाव को जन्म देता है। कुटुंब प्रबोधन का यह प्रयास समाज में परिवारिक एकता और आपसी सहयोग को बढ़ावा देता है।
भारतीयता का आग्रह या स्वत्व का अर्थ है अपने देश, समाज और संस्कृति के प्रति सम्मान और गर्व का भाव। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि हमारी संस्कृति में संपूर्ण मानवता के कल्याण का भाव समाहित है। पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव और वैश्वीकरण के कारण कहीं न कहीं भारतीयता का यह भाव कमजोर होता जा रहा है। ऐसे में भारतीयता के आग्रह का उद्देश्य अपने मूलभूत सिद्धांतों, परंपराओं और मान्यताओं को पुनर्जीवित करना है। स्वत्व का आग्रह समाज में शिक्षा, संस्कार और व्यवहार के माध्यम से भारतीयता को बढ़ावा देने पर जोर देता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि लोग अपने मूल्यों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को समझें, अपनाएं और संजोएं।
भारत का संविधान हर नागरिक को अधिकारों के साथ-साथ कुछ कर्तव्य भी सौंपता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य नागरिकों को उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है। समाज में नागरिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता का मतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने देश, समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे और उन्हें निभाने का प्रयास करे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उनके कर्तव्यों की याद भी दिला रहे हैं। यह जागरूकता समाज को संगठित और मजबूत बनाती है। जब हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करेगा, तभी एक सशक्त और संतुलित समाज का निर्माण होगा।
पञ्च परिवर्तन का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत विकास, बल्कि समाज के सामूहिक विकास को भी बढ़ावा देना है। यह परिवर्तन भारतीय समाज को एक ऐसी दिशा की ओर ले जाता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझता है और उनके प्रति संवेदनशील रहता है। समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्वत्व, और नागरिक कर्तव्यों का यह संयुक्त प्रयास एक नए समाज के निर्माण की ओर अग्रसर है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि पञ्च परिवर्तन के माध्यम से भारतीय समाज एक नई दिशा में आगे बढ़ सकता है, जो सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से समृद्ध और सशक्त हो। यह पहल भारतीय समाज को आत्मनिर्भर, स्वावलंबी और एकता में बांधे रखने की दिशा में सहायक होगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास सदा से समाज के प्रति योगदान देने का रहा है। प्राकृतिक आपदाओं, सामाजिक असंतुलन, और विभिन्न चुनौतियों के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा के माध्यम से समाज को सहायता प्रदान की है। पञ्च परिवर्तन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक नयी पहल है, जिसमें समाज की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक बदलावों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहल भारतीय समाज को मजबूत बनाने के साथ ही उसे एक नई दिशा प्रदान करती है। पञ्च परिवर्तन केवल एक सामाजिक पहल नहीं है; यह एक आंदोलन है, जो भारतीय समाज को एक नई दिशा की ओर अग्रसर करता है। यह पहल न केवल सामाजिक संगठनों के लिए प्रेरणा है, बल्कि हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पञ्च परिवर्तन एक ऐसा प्रयास है, जो समाज को उसके बुनियादी मूल्यों से जोड़ते हुए उसे वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। यह पहल भारतीय समाज को स्थायित्व, समरसता और सांस्कृतिक समृद्धि की ओर ले जाती है। पञ्च परिवर्तन के इन पांच बिंदुओं के माध्यम से, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिसमें हर व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझता है, परिवार में सामंजस्य और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का भाव रखता है, भारतीयता का सम्मान करता है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए अपना योगदान देता है।
समाज की एकता, सजगता व सभी दिशा में निस्वार्थ उद्यम, जनहितकारी शासन व जनोन्मुख प्रशासन स्व के अधिष्ठान पर खड़े होकर परस्पर सहयोगपूर्वक प्रयासरत रहते है, तभी राष्ट्रबल वैभव सम्पन्न बनता है। बल और वैभव से सम्पन्न राष्ट्र के पास जब हमारी सनातन संस्कृति जैसी सबको अपना कुटुंब माननेवाली, तमस से प्रकाश की ओर ले जानेवाली, असत् से सत् की ओर बढ़ानेवाली तथा मृत्यु जीवन से सार्थकता के अमृत जीवन की ओर ले जानेवाली संस्कृति होती है, तब वह राष्ट्र, विश्व का खोया हुआ संतुलन वापस लाते हुए विश्व को सुखशांतिमय नवजीवन का वरदान प्रदान करता है । समाजहित में शासन, प्रशासन तथा समाज की सज्जनशक्ति जो कुछ कर रही है, अथवा करना चाहेगी, उसमे भी हम सबका योगदान नित्यानुसार चलता रहेगा। हम सभी समाज की सामाजिक पहलों का आचरण स्वयं करते हुए समाज को भी उसमें सहभागी व सहयोगी बनाने का प्रयास करेंगे । हमारे अमर राष्ट्र के नवोत्थान का यही प्रयोजन है ।
Tags :
अमरीक विचार
एक टिप्पणी भेजें