शिवपुरी - जहाँ नहीं चलता मुख्यमंत्री का आदेश? - दिवाकर शर्मा

 



मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शपथ लेते ही पहले आदेश में प्रदेशभर में अवैध लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी। प्रशासन को निर्देश दिए गए कि धार्मिक स्थलों से लेकर अन्य सार्वजनिक जगहों पर लगाए गए लाउडस्पीकर तय डेसिबल सीमा के भीतर और निर्धारित समय के अनुसार ही चलाए जाएं। नियम स्पष्ट हैं, खासकर साइलेंस जोन जैसे संवेदनशील इलाकों में, जहाँ रात में 40 और दिन में 50 डेसीबल से अधिक आवाज़ की अनुमति नहीं है।


परंतु बात जब शिवपुरी की आती है, तो वहां मामला कुछ और ही नज़र आता है। यहाँ सुबह 4 बजे से ही लाउडस्पीकर की कर्णप्रिय आवाजें लोगों को बिस्तर से उठा देती हैं। ऐसा लगता है मानो आवाज की इन सीमाओं का संबंध केवल कागजों तक सीमित रह गया हो। आदेश जारी हुआ, हलचल हुई, परंतु शिवपुरी की आवाज़ पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा। जनता में यह सवाल उठना स्वाभाविक था—क्या मुख्यमंत्री के आदेश का शिवपुरी में कोई मोल नहीं?


दरअसल, लाउडस्पीकर शिवपुरी में धार्मिक आयोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। यह हठधर्मिता अब इस हद तक बढ़ गई है कि सुबह की शांति तोड़ते हुए ये लाउडस्पीकर स्थानीय प्रशासन की कानों के पास से गुजरकर जनता के दिलों में हलचल पैदा कर देते हैं। आमतौर पर सुबह का समय शांति, ध्यान और सेहत का होता है, लेकिन यहाँ ये समय लाउडस्पीकर के माध्यम से मिलती 'विशेष' ऊर्जा का हो गया है।


सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के दिशानिर्देश तो किताबों में दर्ज हैं, लेकिन शिवपुरी का कानून शायद कुछ और ही कहता है। दिन हो या रात, साइलेंस जोन की भी कोई सीमा नहीं है। इन आवाजों से तंग आ चुके लोग अपने प्रश्नों को अंदर ही अंदर सुलगाते हैं, क्योंकि आवाज उठाने का मतलब विवाद को न्योता देना है। अब ये कौन सा कानून है जो कहता है कि धर्म की आड़ में नियमों को दरकिनार कर दिया जाए?


मुख्यमंत्री का आदेश संभवतः जनता के कानों तक भी पहुँच गया था। इस आदेश के बाद स्थानीय अधिकारियों ने कार्रवाई का नाटक जरूर किया, मगर यह सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही था। उस कार्रवाई की हवा इतनी धीमी थी कि उसके नतीजे लाउडस्पीकरों की आवाज़ में ही दब गए।


शिवपुरी के लोगों के लिए यह स्थिति अब व्यंग्य और हास्य का विषय बन चुकी है। "मुख्यमंत्री का आदेश सुनने से अच्छा है, हम खुद लाउडस्पीकर का सहारा लें," लोग कहते हैं। आखिर, जब आदेश का असर ही लाउडस्पीकर की आवाज़ के सामने फीका पड़ता हो, तो आदेश का क्या लाभ?

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें