"स्वास्थ्य विभाग की चटनी थ्योरी फेल: मेडिकल कॉलेज का नया खुलासा!"
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बीते दिनों शिवपुरी में शादी समारोह के दौरान हुए भोजन कांड ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और उसकी 'जांच क्षमता' पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस विभाग का काम बीमारियों की जड़ तक पहुंचना है, वह हर बार चटनी और पानी के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम करता नजर आता है।
शुरुआत में, स्वास्थ्य विभाग ने बड़े जोर-शोर से यह दावा किया कि पानी और चटनी के कारण लोगों की तबीयत बिगड़ी है। एक ओर जहां मरीज अस्पतालों में तड़प रहे थे, वहीं दूसरी ओर विभाग ने अपनी चिर-परिचित शैली में बीमारी की वजह 'चटनी' पर टिका दी। परंतु मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट ने इस दावे को पानी पिला दिया।
अब सवाल उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग ने इतनी जल्दबाजी क्यों की? क्या यह असली दोषियों को बचाने की कोई साजिश थी, या फिर विभाग की अकर्मण्यता का एक और नमूना?
यह कोई पहली बार नहीं है जब स्वास्थ्य विभाग ने 'कथित' जांच करके अपना पल्ला झाड़ा हो। कभी मिलावटखोरी की शिकायतें आती हैं तो कभी दूषित पानी की। लेकिन नतीजा हमेशा 'जांच चल रही है' के बहाने में दबकर रह जाता है। क्या यह विभाग अपनी जिम्मेदारी समझने के बजाय असल दोषियों को बचाने का काम करता है?
मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि पानी और चटनी निर्दोष हैं। अब विभाग के पास जवाब देने के लिए सिर्फ 'रिपोर्ट का इंतजार' बचा है। सवाल यह है कि जब मावा-पनीर जैसे सैंपल भी लिए गए थे, तो अब तक उनकी जांच क्यों अधूरी है? क्या इन रिपोर्ट्स के आने तक असली दोषी आराम से बच निकलेंगे?
डॉ. आशुतोष चौरिषी और डॉ. संजय ऋषिश्वर के बयान यह स्पष्ट करते हैं कि संक्रमण की वजह कहीं और हो सकती है। लेकिन यह ‘कहीं और’ ढूंढने की जिम्मेदारी भी क्या स्वास्थ्य विभाग की नहीं है? या फिर यह विभाग अपनी विफलताओं को 'चटनी और पानी' के कंधे पर टिका देता है ताकि बड़े खिलाड़ियों पर कार्रवाई न करनी पड़े?
शादी समारोह के आयोजकों की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं। आखिर ऐसी क्या व्यवस्था थी कि 100 से अधिक लोग बीमार हो गए? क्या यह आयोजन स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से 'हाइजीन' नाम की चीज को अनदेखा करके किया गया?
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि शिवपुरी का स्वास्थ्य विभाग न सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है, बल्कि असली दोषियों को बचाने का मंच भी तैयार कर रहा है।
अब वक्त आ गया है कि जनता इन दिखावटी जांचों और झूठे दावों के खिलाफ आवाज उठाए। जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक हर चटनी और पानी पर शक करना जारी रहेगा। लेकिन इस बार शक चटनी पर नहीं, बल्कि विभाग की नीयत पर है।
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