शिवपुरी में पत्रकार पर हमला: प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल, पत्रकार संगठनों ने सौंपा ज्ञापन
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शिवपुरी— जिले में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता पर एक और हमला, पत्रकार सुरक्षा की चिंताओं को बढ़ाता जा रहा है। कोतवाली थाना क्षेत्र में एसपी कोठी के पीछे सिटी सेंटर कॉलोनी में पत्रकार ट्विंकल जोशी पर प्राणघातक हमला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। इस घटना के बाद जिले के सभी पत्रकार संगठनों ने एकजुट होकर शिवपुरी पुलिस अधीक्षक (एसपी) को ज्ञापन सौंपा, जिसमें हमले की धाराओं को बढ़ाने और झूठी एफआईआर को निरस्त करने की मांग की गई है।
घटना का विवरण
ट्विंकल जोशी पर हमला तब हुआ, जब वे अपने हाथी खाना स्थित प्लॉट पर थे। गंभीर रूप से घायल पत्रकार को पहले जिला अस्पताल और फिर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें ग्वालियर रेफर करना पड़ा। इस हमले ने जिले के पत्रकारों में गहरी चिंता और गुस्सा पैदा कर दिया है। यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रशासन क्या कर रहा है?
प्रशासन की निष्क्रियता
यह हमला इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह से पत्रकारों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। जब पत्रकार, जो समाज के सच को उजागर करने का काम करते हैं, खुद असुरक्षित महसूस करें, तो यह प्रशासन की निष्क्रियता का संकेत है। ट्विंकल जोशी पर हुए हमले के बाद भी प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके परिणामस्वरूप हमले में लगाए गए धाराएं मामूली थीं, जो आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
झूठी एफआईआर और पत्रकार संगठनों की नाराजगी
इस घटना के बाद पत्रकारों में सिर्फ हमले को लेकर ही नहीं, बल्कि टिंकल जोशी के विरुद्ध प्रशासन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को लेकर भी गहरी नाराजगी है। पत्रकारों का दावा है कि ट्विंकल जोशी पर हमला सुनियोजित था, लेकिन पुलिस ने इसे हल्के में लिया और आरोपियों के खिलाफ सख्त धाराएं नहीं लगाईं। इसके अलावा, पत्रकार संगठनों ने झूठी एफआईआर की भी शिकायत की है, जिसमें हमले से जुड़े कुछ तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। पत्रकार संगठनों ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन ने इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं की तो यह न केवल पत्रकारों के मनोबल को तोड़ेगा, बल्कि पत्रकारिता के स्वतंत्र स्वरूप को भी कमजोर करेगा। ज्ञापन में मांग की गई है कि ट्विंकल जोशी पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त धाराएं लगाई जाएं, और झूठी एफआईआर को तुरंत निरस्त किया जाए।
प्रशासन की जिम्मेदारी
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। लेकिन इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। शिवपुरी जैसे जिले में जहां पत्रकार निर्भीक होकर काम करते हैं, वहां पर ऐसी घटनाओं का होना प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है। पत्रकारों पर हमला केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव पर हमला है। यदि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई नहीं करता, तो इसका नतीजा जिले में पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सीधा असर डालेगा। पत्रकारों का काम सच को उजागर करना है, लेकिन जब उन्हें ही सच बोलने की सजा दी जाए, तो यह न केवल उनके पेशे के प्रति बल्कि समाज के प्रति भी अन्याय है।
अगले कदम
पत्रकार संगठनों ने इस घटना के बाद यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो वे इसके खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। ट्विंकल जोशी पर हुए इस हमले ने न केवल पत्रकारों को बल्कि आम जनता को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार शिवपुरी में पत्रकारों की सुरक्षा की स्थिति कैसी है। अब यह प्रशासन पर निर्भर है कि वह इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाता है। पत्रकार संगठनों की इस एकजुटता ने यह साबित कर दिया है कि वे अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए लड़ने को तैयार हैं।
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