शिवपुरी के प्रतिष्ठित पत्रकार राज्यवर्धन सिंह गौर ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक अहम मुद्दा उठाया है, जो आजकल पत्रकारिता जगत में व्यापक चर्चा का विषय बनता जा रहा है। गौर ने विभिन्न संस्थानों द्वारा पत्रकारों की नियुक्ति के आदेशों पर सवाल खड़े किए हैं और पुलिस अधीक्षक एवं जिला कलेक्टर से इस मामले में सख्ती बरतने की अपील की है।
गौर का कहना है कि आजकल कोई भी व्यक्ति किसी भी संस्थान का नियुक्ति पत्र लेकर पत्रकार बन जाता है, बिना यह देखे कि वह व्यक्ति सही मायनों में पत्रकारिता के योग्य है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से उन्हें व्यक्तिगत तौर पर कोई आपत्ति नहीं है, परंतु पत्रकारिता जैसे सम्मानित पेशे की गरिमा बनाए रखने के लिए स्थानीय थाने से एनओसी (No Objection Certificate) अनिवार्य होनी चाहिए। इससे प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करने का मौका मिलेगा कि जो व्यक्ति पत्रकार के रूप में नियुक्त हो रहा है, वह किसी प्रकार के आपराधिक गतिविधियों में लिप्त न हो और न ही पत्रकारिता का गलत इस्तेमाल कर सके।
एनओसी की अनिवार्यता: पत्रकारिता की गरिमा की सुरक्षा
राज्यवर्धन सिंह गौर ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिवपुरी में विभिन्न संस्थानों द्वारा पत्रकार नियुक्ति के आदेश ऐसे जारी किए जाते हैं, जैसे प्रशासन उनके अधीन हो। ऐसे में, पत्रकारिता की गरिमा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। गौर ने पुलिस और प्रशासन से अपील की है कि वे ऐसे आदेशों को गंभीरता से लें और उनकी जाँच करवाएँ ताकि पत्रकारिता के पेशे को दुरुपयोग से बचाया जा सके। उन्होंने जनसंपर्क विभाग पर भी सवाल उठाए, आरोप लगाते हुए कहा कि जनसंपर्क विभाग इन मामलों में पूरी तरह निष्क्रिय है और अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है।
प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी
पत्रकारिता समाज का चौथा स्तंभ माना जाता है, और इसका उद्देश्य समाज को सही और निष्पक्ष जानकारी देना है। लेकिन अगर पत्रकारों की नियुक्ति बिना किसी उचित प्रक्रिया या जांच के होती है, तो यह न केवल पत्रकारिता के मानकों को गिरा सकता है, बल्कि प्रशासन के लिए भी एक चुनौती बन सकता है।
स्थानीय थानों से एनओसी की अनिवार्यता न केवल पत्रकारों की सत्यता की पुष्टि करेगी, बल्कि प्रशासन को भी किसी भी फर्जी या असत्यापित पत्रकारों से बचाएगी, जो अपने निजी स्वार्थों के लिए इस पेशे का दुरुपयोग कर सकते हैं।
जनसंपर्क विभाग की निष्क्रियता पर सवाल
राज्यवर्धन सिंह गौर ने जनसंपर्क विभाग पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इस विभाग का जिम्मा है कि वह पत्रकारों की नियुक्तियों पर निगरानी रखे, लेकिन ऐसा होते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग सो रहा है और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहा है।
राज्यवर्धन सिंह गौर की यह अपील एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर इशारा करती है, जिससे पत्रकारिता जगत की गरिमा और नैतिकता पर चोट पहुंच रही है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे पत्रकारिता में फर्जीवाड़ा रोका जा सके। एनओसी की अनिवार्यता जैसे सुझाव इस दिशा में कारगर साबित हो सकते हैं, जिससे पत्रकारिता का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके और समाज को निष्पक्ष एवं सही जानकारी मिल सके।
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