"हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा" — इक़बाल
दीपावली का पावन त्योहार नजदीक है, हर कोई घर सजाने और त्योहार की खरीदारी में व्यस्त है। यह साल का वह समय होता है जब बाजारों में रौनक और उल्लास चरम पर होता है। लेकिन शिवपुरी के आम नागरिकों के लिए यह खुशी का मौका प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण परेशानी का सबब बन गया है। शिवपुरी की यातायात पुलिस ने दीपावली के ठीक पहले बाजारों में खरीदारी करने पहुंचे नागरिकों पर सख्त कार्यवाही शुरू कर दी है, लेकिन दूसरी ओर, शहर के बीचों-बीच सरकारी भूमि पर अवैध रूप से संचालित हो रहे कार बाजार पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही।
आम नागरिकों की परेशानियां: बाजार में पार्किंग की कमी और पुलिस की सख्ती
शिवपुरी के बाजारों में पार्किंग की कमी एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है। जैसे-जैसे दीपावली का त्यौहार नजदीक आता है, वैसे-वैसे बाजारों में भीड़ बढ़ती है। इस दौरान, शहर के व्यापारी और ग्राहक, दोनों ही उत्साह के साथ खरीदारी में मशगूल होते हैं। लेकिन इस साल, यातायात पुलिस ने आम नागरिकों पर पार्किंग नियमों के उल्लंघन को लेकर अत्यधिक सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। दो पहिया वाहनों और ऑटो चालकों पर जुर्माने की बौछार कर दी गई है, और यह तब हो रहा है जब बाजार में पहले से ही पार्किंग की सुविधा का अभाव है।
बाजार में खरीदारी करने आए नागरिकों से सवाल पूछा जा रहा है कि जब पार्किंग का कोई विकल्प ही नहीं है, तो वे अपने वाहन कहां खड़े करें? पुलिस की इस कार्यवाही से आम जनता में भारी आक्रोश है, क्योंकि उन्हें अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी सजा भुगतनी पड़ रही है।
अवैध कार बाजार: प्रशासन की आंखों पर पड़ा पर्दा
इस पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस सरकारी जमीन का उपयोग बाजार में खरीदारी करने वालों के वाहनों की पार्किंग के लिए किया जा सकता है, उसी भूमि पर अवैध रूप से कार बाजार संचालित किया जा रहा है। यह कार बाजार न केवल यातायात व्यवस्था में बाधा डाल रहा है, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग भी कर रहा है। इस अवैध बाजार को शहर के बीचों-बीच चलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।
यह स्पष्ट रूप से एक भ्रष्टाचार का मामला है, जहां एक ओर आम नागरिकों पर कानून की सख्ती की जा रही है, वहीं दूसरी ओर ताकतवर लोगों को सरकारी जमीन पर कब्जा कर व्यापार करने की खुली छूट दी जा रही है। प्रशासन की यह ढुलमुल नीति और दोहरे मापदंड नागरिकों के मन में गहरी नाराजगी पैदा कर रही है।
भ्रष्टाचार की बानगी: प्रशासन की नाकामी
यह पूरी घटना प्रशासन और अधिकारियों की नाकामी को उजागर करती है। एक तरफ, पुलिस द्वारा आम लोगों पर सख्ती से कार्यवाही की जा रही है, जबकि दूसरी तरफ अवैध कार बाजार को चलाने वाले प्रभावशाली लोगों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। यह भ्रष्टाचार और शक्ति के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है, जहां गरीब और मध्यम वर्गीय नागरिकों को परेशान किया जाता है, जबकि रसूखदार लोग खुलेआम कानून तोड़ते रहते हैं।
आखिरकार, शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के नाम पर आम जनता की पीड़ा को और बढ़ाया जा रहा है। दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार के दौरान जब नागरिकों को राहत देने की जरूरत है, प्रशासन उन पर अतिरिक्त बोझ डाल रहा है।
नागरिकों की पीड़ा: त्योहार की खुशियों में खलल
शिवपुरी के नागरिक, जो दीपावली की तैयारी में जुटे हैं, अब अपने वाहनों को खड़ा करने के लिए जगह खोजते हुए यातायात पुलिस के निशाने पर हैं। बाजार में खरीदारी करने जाना अब एक चुनौती बन गया है। यातायात पुलिस की सख्ती और अवैध बाजारों की अनदेखी ने दीपावली के उल्लास में खलल डाल दिया है।
यह स्थिति न केवल नागरिकों की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रही है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल रही है। त्योहार के अवसर पर परिवारों के बीच उत्साह और खुशी की जगह निराशा और क्रोध ने ले लिया है। नागरिकों को अब यह महसूस हो रहा है कि प्रशासन ने उनकी समस्याओं से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है।
प्रशासन के लिए सवाल
शिवपुरी के नागरिक अब प्रशासन से यह सवाल पूछ रहे हैं—क्या उनकी सेवा करना ही प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? क्या दीपावली जैसे त्यौहार पर नागरिकों को राहत देने के बजाय उन पर यातायात नियमों की सख्ती से कार्यवाही करना सही है? और सबसे बड़ा सवाल, जब सार्वजनिक भूमि का उपयोग अवैध बाजार के लिए किया जा रहा है, तो प्रशासन आंखें मूंदे क्यों बैठा है?
एक गंभीर अपील
अंततः, यह लेख प्रशासन से एक गंभीर अपील करता है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझे और आम नागरिकों की जरूरतों को प्राथमिकता दे। दीपावली के शुभ अवसर पर यातायात नियमों को संतुलित तरीके से लागू किया जाए और अवैध रूप से संचालित कार बाजार पर सख्त कार्यवाही हो। भ्रष्टाचार और दोहरे मापदंडों की इस व्यवस्था को खत्म किया जाए ताकि शिवपुरी के नागरिक दीपावली का त्यौहार शांति और खुशी के साथ मना सकें, न कि डर और चिंता के साए में।
अधिकारियों को यह समझना होगा कि उनकी भूमिका जनता की सेवा करने की है, न कि उनकी परेशानियों को बढ़ाने की।
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