कुत्तों के नए मॉडल: किसी को पेडिग्री, किसी को हड्डियां, किसी को बोतल और किसी को गड्डियाँ! - दिवाकर शर्मा

 

अब ये मत समझिए कि मैं किसी पेट-स्टोर में बिकने वाले कुत्तों या किसी ब्रांड की बात कर रहा हूँ। ये चर्चा हमारे ही आसपास की है, उन "मॉडलों" की, जो अक्सर हमें गली-मोहल्लों, ऑफिस के कॉरिडोर्स, या कभी किसी महफिल में मिलते हैं। हाँ, ये इंसानों के रूप में हैं, लेकिन इनकी आदतें और तासीर से आपको कुत्तों की अलग-अलग नस्लों का अहसास जरूर होगा।

पहला मॉडल - पेडिग्री वाले कुत्ते:

भाई साहब, ये वो खास किस्म है, जिनके लिए "ब्रांड" ही जिंदगी का मंत्र है। इनके आगे अगर गलती से भी कुछ सस्ता रख दो, तो ये ऐसे मुँह फेर लेंगे, जैसे आपने कोई बड़ा अपराध कर दिया हो। इनका स्टैंडर्ड ऐसा है कि 'लोग क्या कहेंगे' का ख़ौफ़ इन्हें हर वक्त घेरे रहता है। जैसे कुछ लोग बिना डिजाइनर कपड़ों के घर से बाहर नहीं निकलते, वैसे ही ये भी बिना ब्रांडेड 'पेडिग्री' के रोटी को मुंह नहीं लगाएंगे। अपनी खास अकड़ में रहते हैं, जैसे इनके अलावा बाकी लोग किसी ‘लोवर क्लास’ के हों।

इन्हें देख कर आदमी अपनी गरीबी और अपनी 'लो-क्लास' सोच का खुद ही अंदाजा लगा लेता है। इनकी चाल-ढाल और नखरे देखकर लगेगा कि बस एक बार ये अपनी नाक झुका लें, तो आसमान का एक टुकड़ा टूटकर जमीन पर आ गिरेगा। चाहे कितनी ही भूख क्यों न हो, इन्हें 'आम' चीजों से परहेज है। इनके मालिक भी इन्हीं की तरह होते हैं—नाक हमेशा सातवें आसमान पर, और इनके कुत्ते साहब भी उसी गर्व में सिर ऊँचा किए फिरते हैं।


दूसरा मॉडल - हड्डियों वाले कुत्ते:

अब ये उस प्रजाति से आते हैं, जो एक हड्डी के लिए हर रोज़ भागते हैं। ये वही लोग हैं जो 'बॉस, हाँ बॉस' करते हुए हर वक्त सेवा में तैनात रहते हैं, मानो एक छोटी सी हड्डी पाकर अमृत मिल गया हो। इनका बस एक ही काम है—मालिक के इशारों पर सिर हिलाना। मालिक ने जरा सा इशारा किया, और ये खुश होकर उस हड्डी पर टूट पड़ते हैं। इनकी अपनी कोई सोच नहीं होती; मालिक के संकेत ही इनके लिए दुनिया की सबसे बड़ी हड्डी बन जाती है।

कभी-कभी इन्हें देखकर लगता है कि क्या इनमें खुद की कोई पहचान या आत्मसम्मान भी है, या ये हमेशा मालिक की फेंकी हड्डी पर जिंदा रहने के आदी हो गए हैं। इनका जिंदगी का आदर्श वाक्य है: "मालिक खुश तो हम खुश!" ये बिना सवाल किए, बिना सोचे समझे अपने नफे-नुकसान को ताक पर रखकर किसी भी हड्डी के पीछे दौड़ सकते हैं।


बोतल वाले कुत्ते: लालच में अंधे, अपनी इंसानियत गिरवी रखने वाले

अब आते हैं उन पर जिनकी जिंदगी का मकसद एक बोतल है। ये वो हैं, जो इस बोतल के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। इनकी नजरों में सिर्फ बोतल का महत्व है। इन्हें अपने विवेक, ईमान, या नैतिकता का कोई ख्याल नहीं, बस बोतल चाहिए। चाहे समाज में अशांति फैलानी हो, देश के साथ धोखा करना हो, या किसी दोस्त का विश्वास तोड़ना हो, इनके लिए इन चीजों का कोई मोल नहीं होता।

समाज के दुश्मनों ने इनकी कमजोरी को बखूबी पहचान लिया है। बोतल का लालच देकर इनसे वो काम करवा लिया जाता है, जो किसी सच्चे इंसान से मुमकिन नहीं। इनके लिए समाज और देश के प्रति वफादारी कोई मायने नहीं रखती। एक बोतल के बदले ये अपनी आत्मा तक को गिरवी रख देते हैं। इनके इस अंधे लालच ने इनकी अंतरात्मा को इतना कमजोर बना दिया है कि समाज और देश इनके हाथों खतरे में पड़ जाते हैं।


अंतिम मॉडल - गड्डियों वाले कुत्ते:

अब हम पहुँचते हैं सबसे मशहूर और ताकतवर मॉडल पर—गड्डियों वाले कुत्ते। इन्हें बस चाहिए नोटों की गड्डियाँ, और इसके लिए ये किसी भी हद तक गिर सकते हैं। चाहे अपने सगे-संबंधियों का हक मारना हो, दोस्त को धोखा देना हो, या किसी की मुश्किल का फायदा उठाना हो, इनसे ज्यादा शातिर कोई नहीं। इनके लिए रिश्तों की कीमत सिर्फ उतनी ही है, जितनी नोटों की गड्डी में छुपी होती है।

इनके पास जितनी ज्यादा गड्डियाँ होती हैं, उतना ही ये दूसरों को तुच्छ समझते हैं। इनके कानों में बस नोटों की खनक सुनाई देती है। दुनिया का हर रिश्ता, हर संवेदना इनके लिए सिर्फ एक सौदा है, और जहाँ भी इन्हें मौका मिलता है, ये बिना झिझक अपना मतलब साध लेते हैं। ये बिना किसी अपराधबोध के अपनी हरकतों में मस्त रहते हैं, मानो अपने हर फैसले को ये एक बड़ी सफलता मानते हों।


तो लीजिए, ये थे नए दौर के कुत्तों के मॉडल!

अब आप सोचिए कि इनमें से कितने मॉडल आपने अपने इर्द-गिर्द देखे हैं। ये आपको हर जगह मिलेंगे—कभी ऑफिस के सहयोगी के रूप में, कभी किसी दोस्त में, और कभी किसी पड़ोसी में। हम सब कहीं न कहीं इन्हीं मॉडल्स में फंसे रहते हैं और अपनी असली पहचान खोते जा रहे हैं। आखिर में ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या वाकई हम इंसान हैं या बस किसी मॉडल में फिट होकर अपना वक्त बिता रहे हैं?

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