हरियाणा ने जातिवाद को नकारा, क्षेत्रीय पार्टियां पूरी तरह साफ़ - प्रियंका सौरभ

 

2019 की तरह हरियाणा में एग्जिट पोल फिर फेल। साल 2019 के हरियाणा चुनावों में एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया था कि भाजपा को 61 सीटें मिलेंगी जबकि कुछ एग्जिट पोल में 75-80 सीटों जीतने का भी अनुमान लगाया गया था। हालांकि नतीजे बिल्कुल अलग आए। एग्जिट पोल्स के अनुमान में हरियाणा में कांग्रेस को भारी जीत बताई गई। हालांकि यह सारे अनुमान मंगलवार को धराशायी हो गए। हरियाणा में भाजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पूरे हरियाणा में मंगलवार को पहले 1 घंटे जलेबी बिकी और बाद में पूरा दिन पकौड़े बिके। दुकानदार के मजे ही मजे। "हरियाणा में" जबकि कांग्रेस के 90 में से 60 सीटें जीतने का दावा धराशायी हो गया। 

हरियाणा में भाजपा 90 में से 47 से ज्यादा सीटों पर बढ़त के साथ बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि एग्जिट पोल के सभी अनुमान मंगलवार को विधानसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आने के बाद धराशायी हो गए। हम सभी एग्जिट पोल्स ने, जिन्होंने मतदान के बाद हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिलना बताया था। आठ में से एक भी एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सच साबित नहीं हुई है। सभी एग्जिट पोल्स में भाजपा पार्टी को 20 से 30 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था, जबकि कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिया गया था। इस साल के लोकसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल ने भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बंपर जीत की भविष्यवाणी की थी। साथ ही अनुमान लगाया था कि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा सीटें जीतेगी जिसमें एनडीए को 361 से 401 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, एग्जिट पोल के परिणाम गलत साबित हुए। एनडीए को 293 सीटें मिलीं और भाजपा के खाते में 240 सीटें आईं।

आज से बीस दिन पहले मैंने अनुमान लगाया था कि हरियाणा में बीजेपी 47 से ज्यादा सीट्स लेगी और ये बिलकुल सच साबित हो रहा है। कारण बीजेपी ने हर वर्ग के लिए अपना शत प्रतिशत दिया। जनता को वो सब मिला जो जनता चाहती थी। कुछ कमियाँ थीं जो सैनी साहब ने आकर पूरी कर दीं। मुझे लगता है कि ये कमियाँ थोड़ा और पहले पूरी की होतीं तो बीजेपी और ज्यादा सीटों के साथ आती। खैर, विपक्ष भी जरूरी होता है लोकतंत्र में ताकि सत्ता की आंखें खुली रहें, वो धृतराष्ट्र न बन जाएँ। कांग्रेस ने दो दिन खूब खुशियाँ मनाई, किसने रोका था, मना भी लेनी चाहिए। लेकिन अतिआत्मविश्वास बहुत घातक होता है, जो कांग्रेस के सर चढ़कर बोला दो दिन। इनको क्या पता था कि बिस्मार्क को पटकनी देगी बीजेपी। शाह की चाल बड़ी शांत है, मगर विजेता जैसी है। कौटिल्य भी हरियाणा के परिणाम देखकर सोच रहे होंगे कि मैं क्या पढ़ना भूल गया। एग्जिट पोल ने जैसी हवा छोड़ी थी, वह बिलकुल उल्टा हुआ है। इसका मतलब मीडिया और उसकी एजेंसियाँ जनता के हित में काम क्यों नहीं कर रही या इनको केवल अपनी टीआरपी और विज्ञापनों से मतलब है। ये एक तरह से धंधा है, इनको ये सब अफवाह फैलाने का पैसा मिलता होगा। एग्जिट पोल वालों कभी तो सही पोल दिखाओ,कांग्रेस वालों को डर था कि लोकसभा वाले एग्जिट पोल की तरह ये भी झूठ ना हो और झूठा साबित हो गया। खुले आम सट्टा चल रहा है, क्या ये कानून सही है? अगर नहीं, तो एजेंसियाँ इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करतीं?

जात-पात की राजनीति अब चुनाव में जीत की गारंटी नहीं, चुनाव में राजनीतिक दलों ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही उम्मीदवार उतारे थे, मगर जाट और गैर जाट का फैक्टर ज्यादा काम नहीं कर पाया और मतदाताओं ने अच्छी छवि वाले दूसरी जातियों के प्रत्याशियों को भी चुनकर विधान सभा भेजा। मोदी लहर पर सवार भाजपा ने इसका पूरा लाभ उठाते हुए न केवल चुनाव में 48सीटें जीती, बल्कि विधानसभा चुनाव में भी सबसे ज्यादा सीटें हासिल करते हुए प्रदेश में सरकार बनाई है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का जिंदा रहना जरूरी है। ताकि सामाजिक मुद्दों पर सामाजिक न्याय सभी को मिल सके। साथ ही क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तीव्रता आ सके। राजनीति सामाजिक बदलाव के आयामों पर होनी चाहिए। जैसे नौकरी, व्यवसाय, रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर, महंगाई, संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा, इन सब पर कौन सी राजनीतिक पार्टी खरी उतरती है, ये भविष्य के गर्भ में चुनाव से सिद्ध होती है। चौधर के तो लात मार दी भाइयो हरियाणा की जनता नै.. 36 बिरादरी की सरकार बनेगी, हरियाणा ने सिद्ध कर दिया है कि अभी भी वहां की मिट्टी में कुरुक्षेत्र की भावना शेष है। हरियाणा की जनता की समझ की बदौलत भाजपा तीसरी बार आ चुकी है। हरियाणा के जनादेश ने देश को एक बड़ा संकेत दिया है, उसकी तरफ़ भी देश भर के लोगों को ध्यान देना चाहिए। हरियाणा में क्षेत्रीय पार्टियां पूरी तरह साफ़ हो गई हैं। हरियाणा ने फिलहाल क्षेत्रवाद और जातिवाद को नकार दिया है।जातिवाद को नकारने वालों को हृदय से प्रणाम।

प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)

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