"भाजपा में बड़ा बदलाव: नितिन गडकरी की संभावित वापसी और संघ का नया समीकरण"
0
टिप्पणियाँ
नागपुर से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नितिन गडकरी का नाम फिर से उभर रहा है। चर्चाएं यह भी हैं कि संघ और भाजपा के भीतर गहरे विवादों को दरकिनार करते हुए यह फैसला लिया जा सकता है।
गडकरी की संभावित वापसी
भाजपा के संगठन में एक बार फिर बड़े बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। खबरों के अनुसार, नितिन गडकरी को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना बढ़ रही है। संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कुछ नामों पर असहमति के बाद, गडकरी का नाम उभर कर सामने आया है। बताया जा रहा है कि यह चर्चा संघ मुख्यालय नागपुर से निकल रही है, और मीडिया में इसे लेकर जोरशोर से कयास लगाए जा रहे हैं।
गडकरी 2009 से 2013 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उस समय उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए गए थे।
अब जब भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा चल रही है, संघ गडकरी को वापस लाकर एक नया समीकरण तैयार करना चाहता है। संघ के भीतर यह मान्यता है कि गडकरी एक कुशल संगठनकर्ता हैं और उनके पास पार्टी को मजबूत करने का अनुभव है।
संघ की भूमिका और संजय जोशी की वापसी की अटकलें
साथ ही, संघ यह भी चाहता है कि संजय जोशी, जो कि लंबे समय से वनवास में हैं, उन्हें भी वापस पार्टी में लाया जाए। 2012 में जब जोशी को पार्टी से दरकिनार कर दिया गया था, तब से वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं। लेकिन संघ के उच्च पदाधिकारी मानते हैं कि जोशी की संगठन क्षमता अब भी प्रासंगिक है, और भाजपा को उनकी आवश्यकता है।
अगर यह बदलाव होते हैं, तो इसका असर न केवल भाजपा के संगठन पर पड़ेगा, बल्कि मोदी-शाह की जोड़ी के प्रभाव पर भी सवाल उठाए जाएंगे। संघ के भीतर की असहमति इस बात की ओर इशारा कर रही है कि शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की हवा बन चुकी है।
2025 तक क्या बदलेगा भाजपा का परिदृश्य?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर संघ और भाजपा के बीच यह मतभेद जारी रहते हैं, तो 2025 तक भाजपा का पूरा परिदृश्य बदल सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छोड़कर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदले जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। संघ के नजर में कुछ मुख्यमंत्रियों को संगठन में बदलाव की जरूरत है, और यह एक प्रमुख कारण है कि नेतृत्व में बदलाव के सुझाव सामने आ रहे हैं।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणामों का असर
आगामी हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों के परिणाम भी इस समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। अगर इन राज्यों में भाजपा को झटका लगता है, तो संघ के भीतर मोदी-शाह की जोड़ी पर और भी दबाव बढ़ सकता है। संघ के शीर्ष नेतृत्व में इस बात को लेकर नाराजगी बढ़ रही है कि संगठनात्मक ढांचे को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
अभी तक यह अटकलें ही हैं, लेकिन अगर नितिन गडकरी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है और संजय जोशी की वापसी होती है, तो यह निश्चित रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बड़ा बदलाव होगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मोदी-शाह की जोड़ी इस बदलाव को स्वीकार करेगी या फिर इसका विरोध करेगी? आने वाले दिनों में राजनीतिक घटनाक्रम इस दिशा में और भी स्पष्टता लाएंगे।
Tags :
राजनीति
एक टिप्पणी भेजें