जनपद पंचायत पोहरी सीईओ शैलेंद्र सिंह आदिवासी पर विवाद: भ्रष्टाचार के आरोप और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

 



मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में हाल ही में जनपद पंचायत पोहरी के सीईओ शैलेंद्र सिंह आदिवासी के खिलाफ लगाए गए आरोपों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह और भाजपा जिला महामंत्री पृथ्वी राज सिंह चौहान द्वारा उठाए गए मुद्दों ने न केवल क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को घेरा है, बल्कि सरकार के विभिन्न स्तरों पर भी सवाल खड़े किए हैं।

विवाद की पृष्ठभूमि


शैलेंद्र सिंह आदिवासी, जो जनपद पंचायत पोहरी के सीईओ हैं, उन पर आदिवासियों की 30 से 40 बीघा जमीन खरीदने और उस निजी जमीन पर सरकारी फंड का उपयोग करके सामुदायिक भवन और तालाब खुदवाने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही, ग्वालियर सांसद भारत सिंह कुशवाह ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिखकर शैलेंद्र सिंह के तबादले की मांग की है।

इस पूरे प्रकरण में जिला कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी ने भी मध्य प्रदेश शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शैलेंद्र सिंह के खिलाफ की गई शिकायतों पर कार्यवाही की मांग की है। यह पत्र विवाद की गंभीरता को और भी बढ़ाता है, क्योंकि इसमें प्रत्यक्ष रूप से प्रशासनिक भ्रष्टाचार और सरकारी फंड के दुरुपयोग के संकेत मिलते हैं।

भाजपा जिला महामंत्री की सोशल मीडिया पोस्ट


शिवपुरी भाजपा जिला महामंत्री पृथ्वी राज सिंह चौहान ने अपने फेसबुक अकाउंट के माध्यम से इस पूरे मामले को जनता के सामने रखा है। उन्होंने शैलेंद्र सिंह आदिवासी पर लगे आरोपों और उनके खिलाफ प्रशासनिक पत्राचार के दस्तावेज़ों के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। चौहान ने पोस्ट में स्थानीय प्रशासन और जिला कलेक्टर से लेकर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव तक की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्हें “गोलमाल” करार दिया है। उनका दावा है कि इन सभी अधिकारियों ने इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है और एक "अदना सा फर्जी जाति का जनपद सीईओ" सबको ठेंगा दिखा रहा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और मुख्यमंत्री की भूमिका


चूंकि यह मामला भाजपा शासित राज्य का है, इसलिए इस पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तीव्र हो रही है। भाजपा के कई नेताओं और जनप्रतिनिधियों का गुस्सा इस प्रकरण पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। चौहान ने अपनी पोस्ट में स्पष्ट किया है कि अगर जल्द ही इस मामले पर कार्रवाई नहीं की गई, तो उनका गुस्सा भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री मोहन यादव पर भी उतर सकता है।

इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह मामला न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार से जुड़ा है, बल्कि इसमें पार्टी की छवि पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। यदि भाजपा सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है, तो यह पार्टी की आंतरिक राजनीति और उसकी स्वच्छ शासन की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

शिवपुरी जिले में जनपद पंचायत पोहरी के सीईओ शैलेंद्र सिंह आदिवासी पर लगाए गए आरोपों ने क्षेत्रीय राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। इस मामले ने प्रशासनिक भ्रष्टाचार, निजी जमीन पर सरकारी फंड का उपयोग, और आदिवासी समुदाय की संपत्तियों के हनन जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। भाजपा के भीतर उठते असंतोष और पार्टी के नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से किए जा रहे विरोध ने सरकार और प्रशासन के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और शैलेंद्र सिंह पर लगे आरोपों की जांच कितनी निष्पक्षता से की जाती है।

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