शिवपुरी शहर के नागरिक इन दिनों पानी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। यह स्थिति और भी गंभीर तब हो जाती है, जब आधी शिवपुरी को जल आपूर्ति करने वाला बोरबेल, जो पुराने सरकारी बस स्टैंड के सामने स्थित है, अचानक बंद कर दिया जाता है। इसके पीछे की वजह और भी चिंताजनक है, क्योंकि यह तब हो रहा है जब सिंध जलावर्धन योजना की पाइप लाइनें बदली जा रही हैं और शहरवासियों को इस योजना के तहत पानी नहीं मिल रहा है।
इस विकट जल संकट के बीच, जिस बोरबेल से शहरवासियों को राहत मिल सकती थी, उसे जानबूझकर बंद रखा गया है। बोरबेल के आसपास अवैध कार बाजार संचालित हो रहा है, और वहां बड़ी संख्या में गाड़ियां खड़ी की जा रही हैं। खास बात यह है कि कुछ समय पूर्व इस बोरबेल को साफ करने के लिए प्रशासन ने बाहर से महंगी मशीनें मंगाई थीं, जिन पर भारी मात्रा में धनराशि खर्च की गई थी। लेकिन इसके बावजूद, यह बोरबेल अब बंद पड़ा है और इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है।
क्या है इसके पीछे की सच्चाई?
यह सवाल उठता है कि जब शहर को पानी की सख्त जरूरत है, तो इस बोरबेल को बंद क्यों रखा गया है? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा? नागरिकों के बीच यह आशंका गहराती जा रही है कि बोरबेल को जानबूझकर अवैध कार बाजार के संचालन के लिए बंद किया गया है, ताकि इस अवैध कारोबार में बाधा न आए।
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब महंगी मशीनों को मंगाने और बोरबेल की सफाई के नाम पर भारी राशि खर्च की जाती है, लेकिन फिर भी पानी की आपूर्ति बाधित रहती है। यह संदेह गहरा होता है कि कहीं जनता के पैसे का दुरुपयोग करके अवैध कारोबारियों के साथ सांठगांठ तो नहीं की गई है?
प्रशासन की जिम्मेदारी और जनता का हक
शहर में जब जल संकट अपने चरम पर है, तो प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस संकट का समाधान करे। लेकिन जब बोरबेल को बिना किसी ठोस कारण के बंद रखा जाता है और सिंध जलावर्धन योजना की पाइप लाइनें बदली जा रही हैं, तब सवाल उठता है कि प्रशासन जनता की भलाई के बजाय किन्हीं अन्य हितों की पूर्ति में लगा हुआ है।
शहरवासियों को यह समझने की जरूरत है कि यह समस्या केवल पानी की कमी तक सीमित नहीं है। यह एक बड़े स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार, प्रशासनिक मिलीभगत और अवैध कारोबारियों के साथ सांठगांठ का परिणाम हो सकता है। इस तरह की परिस्थितियों में जनता का जागरूक होना और अपनी आवाज उठाना जरूरी है।
निष्पक्ष जांच की मांग
इस मामले में जनता को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर प्रशासन से यह मांग करनी चाहिए कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो। यह सुनिश्चित किया जाए कि बोरबेल को तुरंत चालू किया जाए ताकि नागरिकों को राहत मिल सके। जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके करों से वसूला गया पैसा आखिर कहां और किस उद्देश्य से खर्च किया जा रहा है।
शहरवासियों का यह भी कर्तव्य है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और इसे केवल जल संकट के रूप में नहीं, बल्कि एक गहरे षड्यंत्र के रूप में देखें। जब तक इस मामले की जांच नहीं होती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह सवाल बना रहेगा कि क्या प्रशासन ने अवैध कारोबारियों के साथ सांठगांठ करके जनता के हक से खिलवाड़ किया है?
अब समय आ गया है कि इस मुद्दे पर गहराई से चर्चा हो और आवश्यक कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही या षड्यंत्र न हो। शिवपुरी के नागरिकों को अपने हक और अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
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