मध्यप्रदेश छतरपुर के साहसी सनातनी हिंदूनिष्ठ चिकित्सक राघव पाठक: सच के रक्षक, राष्ट्र के नायक – दिवाकर शर्मा

 



राघव पाठक—एक नाम जो आजकल छतरपुर में चर्चा का विषय बन गया है। यह नाम न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी निपुणता के लिए जाना जाता है, बल्कि उनके साहसिक हिंदूनिष्ठा के प्रति समर्पित राष्ट्रधर्मी दृष्टिकोण के लिए भी। डॉ. राघव पाठक ने हाल ही में तीसरी कक्षा के पाठ्यक्रम में असंगत और भ्रामक तथ्यों को लेकर जो प्रश्न उठाए हैं, वह केवल उनके ही व्यक्तिगत विचार नहीं हैं, बल्कि हर जागरूक हिंदू नागरिक के हृदय की टीस है। NCERT जैसी प्रतिष्ठित संस्था की चुप्पी क्या दर्शाना चाहती है? 



प्रश्न केवल राघव पाठक का नहीं, हमारा, आपका और प्रत्येक हिंदूजन का है!

राघव पाठक जिस हिम्मत से तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम के चयन पर क्षुब्ध हुये है… वह चिंतनीय है। पाठ्यक्रम में निहित असंगत और भ्रामक पाठ केवल बच्चों के मानसिक विकास को ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी चुनौती देते हैं। यह मुद्दा केवल राघव पाठक का नहीं है, हर भारतीय हिंदू का है! उन सभी अभिभावकों का है, जो अपने बच्चों को सही शिक्षा देने का अधिकार रखते हैं।

राष्ट्र और धर्म का रक्षक

डॉ. राघव पाठक ने न केवल एक चिकित्सक के रूप में समाज की सेवा की है, बल्कि एक जागरूक नागरिक और राष्ट्रप्रेमी के रूप में भी अपना कर्तव्य निभाया है। वह केवल असंगत पाठ्यक्रमों पर प्रश्न नहीं उठा रहे… बल्कि नौनिहालों के भविष्य व सामाजिक-नैतिक मूल्यों की रक्षा को प्रतिबद्ध हैं! वे हमें याद दिलाते हैं कि हम सबका यह धर्म है कि हम आगामी पीढ़ी के लिए सांस्कृतिक शिक्षा की नींव रखें।

NCERT चुप क्यों है???

NCERT जैसी शैक्षिक संस्थाएं जो देश के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, उसका दायित्व है कि वह छात्रों को सत्य, प्रामाणिक व तथ्यपरक जानकारी दे…
लेकिन यदि पाठ्यक्रम में ये त्रुटियाँ पाई गई हैं जो हमारे सांस्कृतिक- धार्मिक- ऐतिहासिक मूल्यों का अनादर करतीं हैं! तब इसका समाधान अपरिहार्य है।



राघव पाठक शालीनता से मुखर हुये है। लेकिन प्रश्न यह है कि NCERT क्यों खामोश है? यह चुप्पी कब तक बनी रहेगी? हम सबको इस चुप्पी को तोड़ना होगा।

आइये! डॉ. राघव पाठक के साथ खड़े हों…

डॉ. राघव पाठक अकेले नहीं हैं। वे हम सबके नायक हैं। यह लड़ाई केवल उनकी नहीं, हमारी है! हमें उनके साथ खड़ा होना चाहिए… उन्हें एहसास दिलाना चाहिए कि वह अकेले नहीं हैं। 



आज समय है सच के लिए खड़े होने का। आज हमें लिखना है, बोलना है, और बदलाव लाकर अपने अस्तित्व को सुरक्षित करना है! आज हमें डॉ. राघव पाठक जैसे साहसी युवा नायकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा।

यह आपका अधिकार है…
यह आपका धर्म है…

सच के लिए बोलना प्रत्येक भारतीय का अधिकार है। यह केवल एक कानूनी अधिकार ही नहीं, बल्कि धर्म है!

आज अगर आप चुप रह गए, तो कल आने वाली पीढ़ी को आप क्या उत्तर देंगे?
आइये…
राघव पाठक को प्रोत्साहन दें… साथ दें… हिम्मत दें…
उन्हें बतायें आप हमारे हीरो हैं। आप अकेले नहीं… हम आपके साथ हैं। आपकी आवाज़, हमारी आवाज़ है।

शाबाश राघव! 🚩

आपका साहस प्रेरणादायक है!

जयश्रीराम!! जय हिंदूराष्ट्र!!🚩

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