शिवपुरी जिले में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ताराचंद आर्य की लापरवाही: ग्रामीणों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़

 

शिवपुरी जिले के धोलागढ़ और गोपालपुर गांवों में आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवाओं की बदतर स्थिति एक गंभीर समस्या बन गई है। जब 10 सितंबर को पत्रकारिता कर्तव्य के तहत धोलागढ़ के आयुर्वेदिक चिकित्सालय का दौरा किया, तो वहां के हालात बेहद चिंताजनक थे। चिकित्सालय के दरवाजे पर ताला लटका हुआ था, और वहां कोई चिकित्सकीय गतिविधि नहीं हो रही थी।

ग्रामीणों से बात करने पर यह पता चला कि यहां के प्रभारी आयुर्वेदिक डॉक्टर ताराचंद आर्य, जो ग्वालियर में रहते हैं, महीनों से अपनी ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर महज महीने में एक या दो बार आते हैं, और अगर आते भी हैं, तो कुछ ही समय के लिए रहते हैं और तुरंत लौट जाते हैं। इस लापरवाही का सबसे बड़ा खामियाजा यहां के ग्रामीण भुगत रहे हैं, जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की नितांत आवश्यकता है, लेकिन उन तक सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।

ताराचंद आर्य की कार्यशैली पर सवाल


आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ताराचंद आर्य की यह कार्यशैली, जहां वह ग्वालियर से आकर बमुश्किल अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं, प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन गई है। यह डॉक्टर, जो गोपालपुर और धोलागढ़ जैसे दो गांवों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं, महीनों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। उनकी गैरमौजूदगी से ग्रामीणों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और प्रशासन की निष्क्रियता


इस गंभीर स्थिति में प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही भी उजागर होती है। आयुष विभाग, जिसके तहत आयुर्वेदिक सेवाएं आती हैं, इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। आयुष अधिकारी ताराचंद आर्य की इस लापरवाही का सीधा असर ग्रामीणों के जीवन पर पड़ रहा है। बिना डॉक्टर के गांव के लोगों को बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

समाधान की दिशा में जरूरी कदम


यह समय है कि शिवपुरी जिले के प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए। ग्रामीणों को यह भरोसा दिलाया जाना चाहिए कि उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा रहा है। डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना और चिकित्सा सुविधाओं को बहाल करना न केवल ग्रामीणों का अधिकार है, बल्कि यह सरकार की जिम्मेदारी भी है।



आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी ताराचंद आर्य की लापरवाही ने धोलागढ़ और गोपालपुर के ग्रामीणों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई कर इस स्थिति में सुधार लाना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को आवश्यक चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और डॉक्टरों की जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना अब आवश्यक हो गया है।
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