बुंदेलखंड को 'जिझौतिखंड' के नाम से पुनर्स्थापित किया जाए - अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ

 

भोपाल: अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ ने 1 सितंबर 2024 को अपने प्रथम भोपाल महाधिवेशन में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र को उसके प्राचीन नाम 'जिझौतिखंड' से पुनर्स्थापित करने की मांग की गई है। महासंघ ने इस प्राचीन क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को पहचान दिलाने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।

जिझौतिखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता


महासंघ ने इस प्रस्ताव में कहा कि बुंदेलखंड, जिसे प्राचीनकाल में 'जिझौतिखंड' के नाम से जाना जाता था, एक अत्यंत समृद्ध और गौरवशाली क्षेत्र रहा है। इस क्षेत्र की संस्कृति 'यजुर्होतिय' के नाम से प्राचीन समय से प्रसिद्ध रही है। यह भी उल्लेख किया गया कि इस क्षेत्र की स्थापना महाजनपद काल से भी पूर्व हो चुकी थी।

महासंघ ने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय इतिहासकारों द्वारा किए गए अनुसंधान और खोजों का हवाला देते हुए बताया कि इंडियन आर्काइव में दर्ज जानकारी और लॉर्ड कनिंघम के शोध, जिसमें चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत के आधार पर 642 ई. का 'जिझौतिखंड' का नक्शा प्रकाशित किया गया था, इस क्षेत्र की प्राचीनता और महत्व को प्रमाणित करते हैं।

महासंघ ने कहा कि 11वीं सदी में अबू रेहान और 1335 ई. में इब्नबतूता ने भी खजुराहो की यात्रा के दौरान इसे 'जिझौतिनगर' के रूप में उल्लेख किया है। महासंघ ने मांग की कि वर्तमान में इस क्षेत्र को उसकी प्राचीन पहचान 'जिझौतिखंड' के नाम से जाना जाए और इसी नाम का सार्वजनिक उपयोग हो।

भारत को हिंदूराष्ट्र घोषित करने का प्रस्ताव


भोपाल महाधिवेशन में दूसरा विशिष्ट प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसमें भारत को हिंदूराष्ट्र घोषित करने की मांग की गई। महासंघ ने पुरी गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की।

महासंघ ने 1976 में आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान की प्रीएंबल में जोड़े गए 'सेक्युलर' शब्द को हटाने का भी प्रस्ताव पारित किया। महासंघ ने इसे भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों के विरुद्ध बताया और इसे संविधान से हटाने की मांग की।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर अत्याचार का विरोध


महासंघ ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों और अनाचारों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। महासंघ ने सभी विश्व शक्तियों और संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के मानवाधिकार संगठनों से इस मुद्दे पर मुखर होकर विरोध करने और इस पर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया।

समाज और राजनीतिक दलों से अपील


महासंघ ने भारत के सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से भी इस मुद्दे को एकजुट होकर उठाने का आह्वान किया। महासंघ का मानना है कि यह केवल सांस्कृतिक या धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्र के गौरव और अस्मिता से जुड़ा हुआ विषय है।

अंतर्राष्ट्रीय जिझौतिया ब्राह्मण महासंघ के इस महाधिवेशन के प्रस्ताव ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रस्ताव पर सरकार और अन्य संबंधित पक्ष किस प्रकार प्रतिक्रिया देते हैं और इसे कैसे लागू करने के कदम उठाए जाते हैं।