जागो हिंदू - दुर्गेश नंदिनी
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जागो हिंदू हाथ थाम लो, अंतिम यही उपाय होजातिव्यवस्था पीछे छोड़ो, तुम हिंदू-समुदाय हो।१.करो एकता सबजन मिलकर,नहीं पलायन-शूल होमाली है हिंदुत्व तुम्हारा,एक बाग के फूल होकट जाओगे बंट जाओगेकब तक ये समझाना है?सावधान! धारो शस्त्रों कोतो जीवित बच पाना हैअंश बचे तो वंश बचेगा, अब न तुम निरुपाय हो!जागो हिंदू हाथ थाम लो, अंतिम यही उपाय हो।२.हिंदराष्ट्र के हिंदूजन,सुनते जाना ये चार वचनमाताओं-बहनों की रक्षा,का करना है भार वहनलड़ना निपट अधर्मी से अब,शत्रुबोध करना होगाहै अंतिम आदेश कृष्ण का,लड़ना या मरना होगाजीतो और जियो हिन्दू, शंकर-भगवती सहाय होजातिव्यवस्था पीछे छोड़ो, तुम हिंदू समुदाय हो।३.हा अपमानित धर्म हो रहा,मंदिर तोड़े जाते हैंहिंदू ललनाओं के हाय,हाथ मरोड़े जाते हैंहै सौगंध तुम्हें हिंदुजन,सोते से तुम जाग उठोबहुत खो चुके और नहीं अब,तत्पर बनकर आग उठोनहीं उठाया आज कदम; कल हस्ती हाट बिकाय हो,जागो हिंदू हाथ थाम लो, अंतिम यही उपाय हो।
✍️दुर्गेश नंदिनी 🚩
Tags :
काव्य सुधा
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