सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह : संबोधन की असमानता और राजनीतिक संबंध - इंजी. राजेश पाठक
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दो साल पहले जब महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस- एनसीपी गटबंधन की सरकार थी तब उसने दीघी पोर्ट के 100% शेयर अडानी को बेचे थे. ये अधिग्रहण IBC(इन्साल्वन्सी एण्ड बैंक्रप्ट्सी कोड )- 2019 के चलते ही संभव हो सका था. और नहीं तो वर्षों से 1600 करोड़ रुपए की बैंकों की देनदारी के चलते दिवालिया हो रायगढ़ स्थित ये पोर्ट यूँ ही असंचालित अवस्था में पड़ा हुआ था, और कोई इसको देखना वाला नहीं था । बात यहीं समाप्त नहीं होती मध्य प्रदेश का 1,200 मेघवाट क्षमता का एस्सार पावर प्लांट का भी 4,250 करोड़ रुपए का ऋण निपटान भी इसी प्रकार हो पाया था। पिछले 9 सालों में 10 लाख करोड़ से ज्यादा की रिकवरी हो चुकी . ये IBC-2019 के कारण ही संभव हो सका, और कुछ हद तक बैंक के प्रावधान प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन(PCA) के कारण भी . नहीं तो एक लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन लिया जा रहा था. अब प्रतिबन्ध लग चुका है. SBI 2017-18 में 6547 करोड़ रुपए के नुकसान में था, लेकिन अब 14,430 करोड़ के मुनाफे में जा पहुंचा है. इसी प्रकार बैंक ऑफ़ बड़ोदा 2432 करोड़ रुपए के नुकसान में था, और अब 4253 करोड़ के मुनाफा कमा कर बैठा है.
बाकि बड़े बैंकों की भी अब बदल चुकी है कहानी . ये चमत्कार अर्थशास्त्री भी कर सकते थे लेकिन उनके हांथ बाँध दिए गए थे, और मनमोहन सिंह की सरकार के भी । क्यूंकी सोनिया गांधी संचालित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अधीन सब कुछ जो आ चुका था।
इस प्रकार की घटनाओं को समझने के लिए जरूरी है कि उस दौर पर एक नज़र डाले जब कांग्रेस पार्टी सोनिया गाँधी और उनके सबसे करीबी ओस्कार फरनान्डिस और अहमद पटेल की मुट्ठी में आकर सिमट गयी थी . कथित तौर पर प्रधान मंत्री से भी ऊपर दर्जा प्राप्त राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् में हर्ष मंदर, फराह नक़वी, जीन द्रेज़े (Jean Drezeजैसे लोग शामिल थे. अपनी किताब ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में संजय बारु लिखते हैं , अकेले में सोनिया प्रधानमंत्री को ‘मनमोहन’ कह के पुकारती थीं, और प्रधान मंत्री उन्हें ‘सोनिया जी’. अहमद पटेल सोनिया के सन्देशवाहक का काम किया करते थे. और जब उनका प्रधान मंत्री आवास पर आना –जाना बढ़ जाया करता था तो अटकलें लगने लगती थीं कि अब मंत्रीमंडल में फेर बदल होने वाला है. इस प्रकार के हस्तक्षेप के ही कारण से मनमोहन सरकार में गलतीयों की शुरुआत होना चालू हुई, और फिर आगे स्थति हाँथ से बाहर निकल गयी.
इंजी . राजेश पाठक
३११, डीके सुरभि,नेहरु नगर,
भोपाल मप्र
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लेख
अगर 2014 में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल ना होती तो अभी तक तो देश गर्त में चला गया होता 2014 से ही घोटाले की बाढ़ रुकी है वंदे मातरम् ।
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