शिवपुरी की क्रिकेट प्रतिभाएं: अनकही कहानियाँ - दिवाकर शर्मा

 



शिवपुरी, जो आज भी अपनी खेल संस्कृति के लिए जाना जाता है, एक समय था जब यहाँ की गलियों में क्रिकेट की धड़कन सुनाई देती थी। लेकिन दुर्भाग्यवश, कई ऐसी क्रिकेट प्रतिभाएं रही हैं जिनका नाम आज भी अधिकांश शिवपुरीवासियों के लिए अंजान है। ये वो खिलाड़ी थे जो राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सकते थे, लेकिन किस्मत, राजनीति और अवसरों की कमी ने उनके सपनों को अधूरा छोड़ दिया। आइए, इन गुमनाम क्रिकेटरों की कहानियों को जानें और उन्हें एक बार फिर से जीवंत करें।


पिंकेश  विरमानी

कभी किसी जमाने में शिवपुरी के सुनील गावस्कर के नाम से विख्यात पिंकेश  विरमानी एक जबरदस्त ओपनिंग बल्लेबाज थे। उनकी बल्लेबाजी में ऐसा दम था कि वे किसी भी गेंदबाजी आक्रमण का सामना करने में सक्षम थे। उनके क्रिकेट कौशल ने उन्हें शिवपुरी के क्रिकेट प्रेमियों के बीच एक आइकन बना दिया था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनका सितारा नहीं चमक पाया। आज गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे पिंकेश  विरमानी एक ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी थे जिन्हें आउट करने में अच्छे से अच्छे गेंदबाज को पसीना आ जाता था। विरमानी अगर सुबह बल्लेबाजी करने आते तो सभी गेंदबाज उन्हें शाम तक आउट नहीं कर पाते थे। सुनील गावस्कर की ही तरह विरमानी बिना हेलमेट के तेज गेंदबाजों के छक्के छुड़ाते थे। 

स्व. भगवत शर्मा "पंगा"


भगवत शर्मा एक बेहतरीन विकेटकीपर-बल्लेबाज थे। उनकी खासियत यह थी कि वे तेज गेंदबाजों के सामने बिना डरे विकेट से सटकर कीपिंग करते थे। उनका यह साहस और तकनीक उन्हें एक उत्कृष्ट खिलाड़ी बनाता था। अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिले होते, तो आज उनकी गिनती देश के शीर्ष विकेटकीपरों में होती।

मनोज तिवारी "पप्पू लाला"

मनोज तिवारी शिवपुरी क्रिकेट के इतिहास के एक प्रमुख ऑलराउंडर थे। वे एक स्टाइलिश बल्लेबाज, तेज गेंदबाज और जबरदस्त फील्डर थे। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें एक संपूर्ण क्रिकेटर बना दिया था। लेकिन दुर्भाग्यवश, वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाए।

स्व. विश्राम सांठे


विश्राम सांठे की तेज गेंदबाजी का अपना एक अलग ही मुकाम था। उनकी गेंदों की रफ्तार और सटीकता ने उन्हें "रफ्तार का जादूगर" बना दिया था। उनके सामने अच्छे से अच्छे बल्लेबाजों का भी टिक पाना मुश्किल हो जाता था। लेकिन किस्मत ने उन्हें भी वो मंच नहीं दिया जिसके वे हकदार थे।

कपिल यादव

कपिल यादव, शिवपुरी क्रिकेट के क्षेत्र में एक ऐसा नाम है, जिन्होंने शिवपुरी का नाम देश और विदेश में रोशन किया है। राजस्थान क्रिकेट क्लब के साथ अपने अनुभव के बाद, कपिल यादव ने एक नई पहल की है। वह एक निशुल्क क्रिकेट एकेडमी खोलने का इरादा रखते हैं, ताकि शिवपुरी और आसपास के क्षेत्रों के बच्चों को सही मार्गदर्शन और सुविधाएं मिल सकें।

कपिल का कहना है कि वह उन बच्चों की सहायता करनाचाहते है जो क्रिकेट की प्रतिभा रखते हैं लेकिन उचित सुविधाओं और कोच की कमी के कारण अपनी पूरी क्षमता को प्रदर्शित नहीं कर पाते। उनका मानना है कि इस एकेडमी के माध्यम से, वे इन युवा खिलाड़ियों को सही दिशा और संसाधन प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने क्रिकेट करियर में सफलता प्राप्त कर सकें।

शमी खान


शमी खान आज भी वेटरन क्रिकेट में पुराने क्रिकेटरों के साथ खेलते नजर आते हैं। वे एक आक्रामक बल्लेबाज और तेज गेंदबाज थे, जिनका खेल हर किसी को आकर्षित करता था।

कुणाल गोस्वामी

कुणाल गोस्वामी को खेलते हुए देखकर लोगों के मुंह से बरबस ही निकल जाता था कि यह "सौरव गांगुली" कैसे आ गया। वे बाएं हाथ के स्टाइलिश बल्लेबाज थे, जिनकी खेल प्रतिभा अद्वितीय थी। आज वे रेलवे में कार्यरत हैं, लेकिन उनका राष्ट्रीय स्तर पर नाम न रोशन हो पाना एक बड़ी कमी की तरह है।

देवेंद्र शर्मा "डेविड"


डेविड को आज लोग एक बेहतरीन डांस कलाकार के रूप में जानते हैं, जिन्होंने "डांस इंडिया डांस" में मामाजी के रूप में पूरे देश का दिल जीता। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वे एक उत्कृष्ट क्रिकेटर भी थे। उनकी रहस्यमयी स्पिन गेंदबाजी बल्लेबाजों के लिए एक पहेली बन जाती थी।

वासुदेव राठौर

वासुदेव राठौर शिवपुरी क्रिकेट अकादमी के भूतपूर्व कप्तान थे। वे एक जबरदस्त ओपनिंग बल्लेबाज और विकेटकीपर थे। उनकी कप्तानी और खेल कौशल ने उन्हें शिवपुरी क्रिकेट का एक प्रमुख चेहरा बना दिया था। लेकिन खेल में व्याप्त राजनीति ने उन्हें वह ऊँचाई नहीं छूने दी जिसके वे वास्तविक हकदार थे।

दीपक शर्मा "बाबूजी"


दीपक शर्मा नाटे कद के होते हुए भी एक जबरदस्त बल्लेबाज और क्षेत्ररक्षक थे। वे अपनी टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी साबित होते थे, लेकिन कभी-कभी मौके न मिल पाने के कारण वे उस स्थान पर नहीं पहुँच पाए जिसका वे हक रखते थे।

क्षितिज युगबोध

जिस किसी नें क्षितिज युगबोध को क्रिकेट खेलते हुए देखा होगा वह उनके खेल को कभी भुला नहीं सकेगा। हैरान करने वाली बात यह है कि क्षितिज नें शिवपुरी का प्रतिनिधित्व क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी जिले से लेकर राज्य स्तर तक किया था परंतु अन्य प्रतिभाशाली खिलाडियों की तरह ही कभी शिवपुरी के इस स्टार क्रिकेटर की चमक धीमी पड़ गयी और इन्होने भी क्रिकेट को अलविदा कह दिया। क्षितिज अब भोपाल के एक प्रायवेट कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

शिवपुरी की इन क्रिकेट प्रतिभाओं की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि खेल के मैदान में केवल प्रतिभा ही नहीं, बल्कि सही अवसर, मार्गदर्शन और किस्मत भी जरूरी होती है। ये सभी खिलाड़ी अपने खेल कौशल से आज भी शिवपुरीवासियों के दिलों में अपना एक अलग स्थान बनाए हुए हैं और उनकी कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। शिवपुरी के इन नायकों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान भले ही न मिली हो, लेकिन उनके खेल की चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी।

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