भारत के खिलाफ हो रहे अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र - संजय तिवारी
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हाल ही में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट हो या बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार का तख्ता पलट, भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्रों का ही हिस्सा हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट मात्र एक आर्थिक विश्लेषण नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल की जा रही है। इसका उद्देश्य केवल भारतीय कॉरपोरेट्स को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेशकों के आत्मविश्वास को हिलाना भी है।
लेकिन संतोष का विषय यह है कि उक्त रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का कोई विशेष प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर नहीं पड़ा। प्रारंभिक गिरावट के बाद जल्द ही बाजार में स्थिरता आ गई ।
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को हटाने के पीछे भी अमेरिका की भूमिका होने का दावा किया जा रहा है। शेख हसीना का नेतृत्व भारत के लिए सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं। हसीना की सरकार को हटाकर बांग्लादेश में भारत के प्रभाव को कमजोर करने का प्रयास है।
यह स्पष्ट है कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपने हितों को साधने के लिए भारत के खिलाफ एक दबाव की रणनीति अपना रहा है। ऐसी विषम परिस्थिति में भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बहाने भारत के विपक्षी राजनीतिक दल इंडी गठबंधन, इस परिस्थिति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। अंबानी और अडानी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बहाना बनाकर वे सरकार की आर्थिक नीतियों और फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं।
इसका उद्देश्य देश के अंदर अस्थिरता फैलाना और सरकार को कमजोर करना है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र को और बल मिल सके। अब इसे राष्ट्र प्रेम कहें या देश द्रोह ?
लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था और निवेशक इतने कमजोर नहीं हैं कि वे ऐसे अनर्गल आरोपों और अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्रों से निपट न सकें। भारत की अर्थव्यवस्था पिछले वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर चुकी है, चाहे वह वैश्विक मंदी हो, महामारी हो, या फिर अंतर्राष्ट्रीय दबाव हो। इसके बावजूद, भारत ने हर बार इन चुनौतियों का सामना किया और मजबूती से उभरा। निवेशकों का आत्मविश्वास, सरकार की नीतियों का समर्थन, और भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारभूत संरचना इस बात की गारंटी देती है कि भारत ऐसी परिस्थितियों में भी स्थिर बना रहेगा।
भारतीय निवेशकों का विश्वास मजबूत है, और साथ ही सरकार ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत सुधार किए हैं। भारत का बड़ा घरेलू बाजार, युवा जनसंख्या, और लगातार बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी सेक्टर की ताकत इसे किसी भी आर्थिक हमले से उबरने के लिए सक्षम बनाती है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट और बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ साजिशें स्पष्ट रूप से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं। इसके बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था और उसकी स्थिरता पर इसका दीर्घकालिक असर नहीं होगा।
भारत कई चुनौतियों का सामना कर आज जिस स्थिति में है, वह केवल एक देश के तौर पर नहीं, बल्कि एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। यह निश्चित है कि भारत इन परिस्थितियों में भी डटा रहेगा और आगे बढ़ेगा।
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