निगम-मंडलों की कुर्सी की दौड़ में इन नामों की चर्चा, शीघ्र हो सकती है घोषणा !

 

मध्यप्रदेश में भाजपा के नेताओं की दिल्ली दौड़ के बाद निगम ​मंडलों में नियुक्तियों के लिए भाजपा हाईकमान ने राजनीतिक नियुक्तियों के लिए हरी झंडी दे दी है। बताया जा रहा है कि निष्ठावान वरिष्ठ नेताओं को निगम, मंडल और प्राधिकरणों में पदस्थ किया जाएगा। 

बीते दिनों हुई प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद भाजपा नेताओं से संकेत मिले थे कि पार्टी के समर्पित और अच्छा काम करने वाले नेताओं को विशेष ध्यान रखा जाएगा। इन संकेतों के बाद से ही भाजपा में हलचल पैदा हो गई, नेताओं की भोपाल से दिल्ली दौड़ लगने लगी। जिन नेताओं को चुनावों में टिकट नहीं मिलने के बाद वे उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार किया, बगावत नहीं की ऐसे नेता अब चाहते है कि उन्हें निगम मंडलों में नियुक्तियां मिले। 

आपको बात दें कि बीते दिनों सीएम मोहन यादव दिल्ली के दौरे पर पहुंचे थे। दिल्ली में उन्होंने पार्टी के सीनियर नेताओं से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान शीर्ष नेतृत्व ने निगम मंडलों की नियुक्यिों की हरी झंड़ी दे दी थी। इसके बाद बैठक में नए मंत्री रामनिवास रावत के मंत्रालय पर चर्चा की गई,और सीएम मोहन यादव ने भोपाल पहुंचकर रावत को मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी थी। यह भी बता दें कि मोहन यादव के सीएम बनने और कैबिनेट के गठन के बाद निगम मंडलों को भंग कर दिया गया था। तब से अबतक निगम मंडलों में नियुक्तियां नहीं हुई है।

निगम-मंडलों में उन सीनियर नेताओं की नियुक्ति की जाएगी जो पार्टी में लगातार समर्पित भाव से काम कर रहे हैं और उन्हें अब तक कोई बड़ा पद नहीं मिला है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या उसके अनुषांगिक संगठनों से जुड़े नेताओं को भी तरजीह दी जाएगी। भाजपा ने इसके लिए संघ से भी दस नाम मांगे हैं। वहीं प्रदेश संगठन भी अपनी सूची तैयार कर रहा है, जिस पर मंथन किया जाएगा। कुछ पद कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संगठन नेताओं ने इस बात के संकेत दिए थे कि जिन नेताओं ने चुनाव में अच्छा काम किया है और पार्टी के हर फैसले के साथ रहे हैं। पार्टी उनका पूरा ख्याल रखेगी। इसके बाद से ही निगम मंडलों में पदों पर नियुक्ति को लेकर हलचल शुरू हो गई थी। इनमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं, जो विधानसभा चुनाव के समय किन्हीं कारणों से टिकट से वंचित कर दिए गए थे पर उन्होंने बगावती तेवर न अपनाते हुए पार्टी द्वारा तय प्रत्याशी के पक्ष में पूरे मन से काम किया। ऐसे वरिष्ठ नेता अब निगम-मंडलों एवं प्राधिकरणों में अपनी तैनाती चाहते हैं।

निगम, प्राधिकरण, आयोग समेत चार दर्जन सार्वजनिक उपक्रमों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत सदस्य अथवा संचालक मंडल में नियुक्तियां होनी हैं। इनके अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है। यही वजह है कि इनके दावेदारों की संख्या काफी ज्यादा है और पार्टी को नाम तय करने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं संघ भी अपने कोटे के दस नामों पर विचार कर रहा है। इसमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं जो संघ से भाजपा में गए हैं।

शिवराज सरकार में संभागीय संगठन मंत्री के दायित्व से मुक्त किए गए आधा दर्जन से अधिक नेताओं को निगम मंडल में पदों से नवाजा गया था। इनमें आशुतोष तिवारी, शैलेन्द्र बरूआ, जितेन्द्र लिटौरिया जैसे नेता शामिल थे। तब इन्हें आरएसएस के कोटे से माना गया था। इस बार इनकी जगह नए नामों पर संघ विचार कर रहा है। निगम, मंडलों में दो बार रह चुके नेताओं को इस बार मौका नहीं मिलेगा। ऐसा नए चेहरों को मौका देने के लिए किया जा रहा है।

संगठन से जुड़े एक बड़े नेता के मुताबिक इस बार ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को निगम मंडल और प्राधिकरणों में जगह दी जाएगी। पार्टी हाईकमान को कई नेताओं ने लिखित में भेजा है कि कुछ चेहरों को हर बार निगम मंडल में कोई न कोई पद दिया जाता है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया है कि जो नेता दो बार निगम मंडल या प्राधिकरणों में ताजपोशी पा चुके हैं, उन्हें अब और मौका नहीं दिया जाएगा। संगठन के कुछ ऐसे नेता जिन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेहतर काम किया है, उन्हें इस बार प्राथमिकता में रखा जाएगा। इसमें प्रदेश से लेकर जिलों तक के नेता शामिल है।

निगम मंडलों की कुर्सी के लिए बीजेपी के अलावा कांग्रेस से भाजपा में आए नेता भी जद्दोजहद कर रहे है। जिनमें पूर्व केंन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व विधायक दीपक सक्सेना, पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी, इंदौर पूर्व विधायक शुक्ला, कांग्रेस से बीजेपी में आए पूर्व विधायक, समेत ऐसे कई कांग्रेस नेता है जो अच्छी खासी पकड़ रखते है। वही ऐसे नेता जिन्होनें भाजपा में आकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाया।


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