क्या अमृतपाल ने खाई झूठी सौगंध ?

 

तीन दिन पहले ही असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद यूएपीए का आरोपी सांसद अमृतपाल ने संविधान व देश की एकता अखण्डता की सौगंध खाई है और अब वो फिर अपनी हरकतों पर उतर आया दिखाई देता है। उसने खालिस्तान के प्रति फिर अपनी आस्था जताई है और अपनी माँ के उस ब्यान को खारिज कर दिया है कि उसके बेटे का खालिस्तान से कोई लेना देना नहीं। अमृतपाल ने अपनी बात कहने के लिए भावुक बातों का जिक्र किया है और अपने कुकृत्यों को सिख पंथ के साथ जोडऩे का प्रयास किया है।

अमृतपाल सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट करके लिखा कि मैं पंथ और परिवार में से पंथ को ही चुनूंगा। उसने लिखा कि आज जब मुझे माता जी के कल दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ कि उनकी तरफ से ऐसा बयान नहीं आना चाहिए।

अमृतपाल सिंह ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि आज जब मुझे माता जी के कल दिए गए बयान के बारे में पता चला तो मेरा मन बहुत दुखी हुआ कि उनकी तरफ से समर्थन नहीं आना चाहिए। खालसा राज का सपना देखना अपराध नहीं, गौरव की बात है, जिस रास्ते के लिए लाखों सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है, उससे पीछे हटने का हम सपने में भी नहीं सोच सकते।

अमृतपाल ने अपनी बात कहने के लिए बंदा बहादुर के जीवन से जुड़ी एक घटना का भी जिक्र किया है और कहा है कि मैं अपने परिवार को चेतावनी देता हूं कि वे कभी भी सिख राज्य से समझौता करने के बारे में न सोचें, यह कहना तो बहुत दूर की बात है और सामूहिक दृष्टिकोण से कहें तो ऐसी गलती नहीं की जानी चाहिए।

अमृतपाल सिंह की मां ने बयान दिया था कि उसने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा है, वो खालिस्तान समर्थक नहीं है। पंजाब के युवाओं को बचाना खालिस्तान समर्थन नहीं है। इसी बयान को लेकर अपनी नाराजगी जताई है।

साभार - पांचजन्य

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