... और वो हैं अमेरिका में भारत के आईआईटी से आने वाले स्नातक ! - इंजी. राजेश पाठक

 

अमेरिका में तीन प्रकार के वर्ग हैं जिन्होनें अमेरिका को प्रभावित कर रखा हैं. एक सरकार और उसकी नौकरशाही दूसरा, एनजीओ इकोसिस्टम, जो कि डीप स्टेट का हिस्सा बताया जाता है और तीसरा, एकेडमिया  (विद्यापीठ) और मीडिया. इनमें दूसरे और तीसरे वर्ग को चलाने वाले मुख रूप से क़तर, चीन और सोरोस जैसे धनपति हैं. ये ही दोनों वर्गों का विदेश नीति में विशेष रूप से बड़ा हस्तक्षेप है और दोनों वर्ग भारत का भला किसी भी कीमत पर देखना नहीं चाहते. अमरीका को हिला के रख देने वाला विश्वविद्यालयों में हमास के पक्ष में चला आन्दोलन इसी दो वर्गों से पोषित था .

दूसरी और अगर भारत की बात करें तो वैसे सोशल मीडिया में एनजीओ इकोसिस्टम, एकेडमिया और मीडिया से जुड़े लोगों का प्रभाव होने से वहां भारत- विरोधी असर जरूर झलकता है. पर अमेरिका की आम जनता का ज्यादतर हिस्सा अपने में ही आत्मलीनता के चलते देश के बाहर और अपने ही देश की बातों से बेखबर हैं . लेकिन फिर भी योग-अध्यात्म और विविध क्षेत्र में शीर्ष स्तर को प्राप्त अमेरिका में ही निवासरत ‘इंडियन डायस्पोरा’ से अभिभूत यहाँ का एक वर्ग ऐसा भी है जो भारत के प्रति अनुकूल दृष्टीकोण रखता है . सामाजिक-जनसांख्यिक-धार्मिक जैसे क्षेत्रों में अनुसन्धान करने करने वाली दुनिया की सबसे प्रमाणिक कही जाने वाली अमेरिका की पीयू (PEW) रिसर्च सेंटर का अपनी रिपोर्ट में कहना है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा कॉलेज-डिग्री धारक, और आर्थिक रूप से सबसे संपन्न भारतीय समूह है. इसके आलावा ये भी सत्य है कि जनसँख्या के अनुपात में चिकत्सक, इंजिनियर , सिलिकॉन वैली जैसी उच्च प्रोद्धोगिकी से जुड़े स्टार्ट अप्स सर्वाधिक भारतीय हैं . २५% होटल और मोटेल के मालिक भी इसी भारतीय समुदाय से आते हैं ये भी बताया जाता है.

अपने –अपने क्षेत्र में शीर्ष स्तर को प्राप्त करने वालों की सूची देखें, तो ऐसे भारतीय भी कम नहीं. अमेरिका में निवासरत दिवंगत डॉ वेद नन्दा कोलोरेडो विश्वविद्यालय में विधि (लॉ) के प्राध्यापक थे. वे वर्ल्ड जूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे और, अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ के उपाध्यक्ष. उनके द्वारा पढ़ाये गए तीन विद्यार्थी अमेरिका की केन्द्रीय सरकार के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, उनमें से प्रमुख है विदेश मंत्री रहीं कोंडालीज़ा राइस. वेद नंदा की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके सम्मान में उनके विद्यार्थीयों ने लाखों डॉलर एकत्रित कर उनके नाम से दो अध्यासनों को सर्जित किया है. डॉ वेद नंदा की ख्याति इस बात को लेकर भी रही कि वो अमरीका में रा.स्व. सेवक संघ से जुड़े संगठन, हिन्दू स्वयं सेवक संघ के संघ चालक भी रहे. उन्हें भारत सरकार ने पदम् विभूषण से सम्मानित किया.

हार्वर्ड, मिशिगन और केलोग स्कूल ऑफ़ बिसिनेस में लगभग 10% प्राध्यापक भारतीय मूल के हैं. कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका के प्रतिष्ठित टीवी चैनल सीबीएस के एक कार्यक्रम में बताया गया कि- ‘ आज अमेरिका अपने लिए तेल का आयात अरब से, कारों का जापान से, टीवी कोरिया से तथा व्हिस्की स्कॉटलैंड से करता है. तब हम भारत से क्या आयात करते हैं ? हम वहां से व्यक्ति आयात करते हैं – वास्तविक कुशाग्र लोग. जो कि आज हमारे साथ यहाँ अमेरिका में हमारे विकास में सामान भागीदार बनें हुए हैं. और वो हैं आईआईटी से आने वाले स्नातक.


सच तो ये है कि जिन छात्रों को भारत में रहते हुए आई आई टी में प्रवेश नहीं मिल पाया, उन्हें बाद में ऍमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ) प्रिंस्टटन में छात्रवृति देते हुए एडमिशन दिया गया. दूसरी और भारत अब ऑन लाइन सेवा के माध्यम से विश्व में ज्ञान और विशेषज्ञता का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. ऑनलाइन स्वास्थ सेवा सुलभ हो जाने के कारण अमेरिका में अब ये बात चल पड़ी है कि – ‘यदि न्यूयॉर्क में हड्डी टूटे , तो बंगलौर में एक्स-रे करवा लो .’

( पृष्ठ- 92, 94, 97, हिन्दू प्रतिभा के दर्शन, रवि कुमार )

इंजी. राजेश पाठक
३११,डीके सुरभि ,नेहरु नगर ,
भोपाल मप्र
         

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