स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती नें मोदी सरकार से की हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने मांग

 


अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती नें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर भारत के समस्त हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने मांग की है ! उन्होंने इस पत्र में और क्या क्या कहा है आइए जानते हैं ....


सेवा में,

माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी

प्रधानमंत्री भारत सरकार, नई दिल्ली

विषय : संपूर्ण भारतवर्ष में सरकारी ट्रष्टों के अधीन सनातन हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त किए जाने के संदर्भ में।

महोदय,

अखिल भारतीय संत समिति आपके स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हुए पूरे देश में पैâले हुए हिन्दू-मंदिरों के संबंध में निम्नलिखित निवेदन करती है :-

१. भारतीय संविधान सर्वपंथ समभाव (धर्म निरपेक्ष) है परंतु इस देश के किसी भी मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा प्रबंधन परिषद पर सरकारी आधिपत्य नहीं है बल्कि उसी समाज के मतावलंबियों का स्वतंत्र प्रबंधन तन्त्र है। परन्तु संपूर्ण भारतवर्ष में जितने भी प्रसिद्ध सनातनी हिन्दू मंदिर हैं, उन सभी के प्रबंधन पर एन-केन-प्रकारेण सरकारी तन्त्र का कब्जा है जो कि असंवैधानिक है। सनातन मतावलंबी अपने हिन्दू मंदिरों में दान इसलिए नहीं करता है कि उसके धन का उपयोग किसी धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा मुस्लिम, ईसाई अथवा अन्य किसी मतावलंबी के काम आये। वह हजारों-हजार वर्ष से अपने मंदिरों में अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा इसलिए दान करता है कि हिन्दू मंदिरों के इस आय से हिन्दू समाज के शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, संपर्क एवं संस्कृति की रक्षा हो सके। परंतु सरकारी ट्रष्टों के अधीन हिन्दू मंदिर अपनी दुर्दशा के आँसू रो हे हैं। उसका एकमात्र कारण मंदिरों के अंदर गैर धार्मिक, राजनैतिक व्यक्तियों का ट्रष्टी के रूप में सरकारों के द्वारा मनोनयन हिन्दू मंदिरों को एवं हिन्दू संस्कृति को बहुत ही क्षति पहुँचा रही है।

२. संवैधानिक रूप से धर्म स्वतंत्रता अगर मूल अधिकार है तो हमारे मठ-मंदिरों पर कोई सरकार नियंत्रण स्थापित कर वैâसे बैठ सकती है। हमारे इस दृष्टिकोण का माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी समर्थन किया है। २०२४ में भारत के उच्चतम न्यायालय के द्वारा दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु के एक मंदिर के प्रबंधन को लेकर दायर एक याचिका में यह निर्णय दिया है कि मंदिरों का प्रबंधन सरकार का काम नहीं है, मंदिरों का प्रबंधन, जो समर्पित हिन्दू समाज है वही करेगा। मंदिर-मंस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा प्रबंधन किसी सेक्यूलर सरकार का काम नहीं है। यह उस आस्थावान समाज का काम है जो अपने-अपने पूजा स्थलों के प्रति श्रद्धा रखता है और दान स्वरूप धन खर्च करता है। वही समाज अपने पूजा स्थलों का संरक्षण एवं प्रबंधन करेगा।

३. सनातन हिन्दू समाज १२८ सम्प्रदायों के अंदर सम्मिलित रूप से काम करता है, उसकी पूजा पद्धतियां भिन्न हो सकती हैं परंतु वेद सभी के मूल में है। हिन्दू समाज के संतों के बीच विभिन्न प्रकार के संगठन भी काम करते हैं जिसमें अखिल भारतीय संत समिति (हिन्दू समाज के १२८ सम्प्रदायों का समग्र संगठन), अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् (कुंभों की व्यवस्था हेतु गठित संगठन), हिन्दू धर्म आचार्य सभा (कुछेक सम्प्रदायों के आचार्यों की संवादसभा) है। इन सभी से संवाद कर हिन्दू मंदिरों के प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ किए जाने की जरूरत है।

अत: अखिल भारतीय संत समिति आपसे सादर आग्रह करती है कि भारतीय संविधान के दायरे में हिन्दू समाज के धर्म स्वतंत्रता के मूल अधिकार की रक्षा करते हुए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अधिगृहित किये गये हिन्दू मंदिरों का प्रबंधन सनातन हिन्दू धर्म के वरिष्ठ संत, संगठन एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के आचार्यों से संवाद कर नीतिगत रूप से समाज के धर्मानुरागी जनों को समाहित करते हुए एक वृहद प्रबंधन तंत्र बनाने की आवश्यकता है, ताकि हिन्दू समाज के मठ-मंदिरों के श्रद्धायुक्त धन का उपयोग हिन्दू समाज के शिक्षा, स्वास्थ्य, संपर्क, संस्कार एवं संस्कृति तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए हो सके।
इस सम्बंध में अखिल भारतीय संत समिति आपको सुझाव देने हेतु सदैव सहर्ष तैयार है।

सादर धन्यवाद..

स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती

राष्ट्रीय महामन्त्री:अखिल भारतीय सन्त समिति

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