भारत में रसायन विज्ञान के जनक महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्लचन्द्र राय
अपने गाँव के मॉडल स्कूल में प्राथमिक शिक्षा के बाद कलकत्ता मे इन्होंने प्रेसिडेंसी कालेज में भौतिकी और रसायन के सुप्रसिद्ध विद्वान् सर जॉन इलियट और सर ऐलेक्जैंडर पेडलर से शिक्षा पाई। छात्रवृत्ति प्रतियोगिता की परीक्षा में सफल होने के बाद इंगलैंड के एडिनबरा विश्वविद्यालय में छह वर्ष तक अध्ययन किया।
भारत वापस आने के बाद वे प्रेसिडेंसी कालेज में असिस्टेंट प्राफेसर नियुक्त किए गए, जबकि इनसे कम योग्यता के अंग्रेज ऊँचे पदों और कहीं अधिक वेतनों पर उसी कालेज में नियुक्त थे। आपने जब इस अन्याय का शिक्षा विभाग के तत्कालीन अंग्रेज-डाइरेक्टर से विरोध किया, तो उसने व्यंग किया कि "यदि आप इतने योग्य कैमिस्ट हैं तो कोई व्यवसाय क्यों नहीं चलाते?"
इन तीखे शब्दों का ही प्रभाव था कि 1892 में 800 रूपए की अल्प पूँजी से, अपने रहने के कमरे में ही, विलायती ढंग की औषधियां तैयार करने के लिये बंगालकैमिकल एण्ड फार्मास्युटिकल वर्क्स आरम्भ किया, जो प्रगति कर आज करोड़ों रूपयों के मूल्य का कारखाना हो गया है।
उन्हों ने भारत में विज्ञान की गौरवशाली परम्परा को सप्रमाण सिद्ध करनेवाली "History_of_Hindu_Chemistry" नामक पुस्तक सन 1902 लिखी ।
वे एक सादगी पसंद तथा देशभक्त वैज्ञानिक थे जिन्होंने रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए अप्रतिम प्रयास किए। 83 वर्ष की आयु में 16 जून 1944 को आपकी मृत्यु हुई। 'सादा जीवन उच्च विचार' बहुआयामी व्यक्तित्व वाले आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय हम भारतवासियों के लिए सदैव वंदनीय रहेंगे।
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