शिवपुरी जिले में 5 विधानसभा सीटें हैं। इन 5 विधानसभा सीट में से 3 पर बीजेपी व 2 पर काँग्रेस का कब्जा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इन पांचों विधानसभा सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी व काँग्रेस के बीच ही देखने को मिलेगा परंतु बीएसपी व आम आदमी पार्टी भी दोनों ही दलों के नाराज नेताओं के माध्यम से चुनावी मैदान में उतरने का स्वप्न सँजोये हुए हैं। आइए जानते हैं इन 5 विधानसभा सीटों की स्थिति –
शिवपुरी
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया नें नगर के प्रमुख व्यवसाई व काँग्रेस प्रत्यासी श्री सिद्धार्थ लढा को 28748 मतों के विशाल अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के मोहम्मद इरशाद राईन तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 84570(51.50%), काँग्रेस को 55822(34%) व बीएसपी को 13889(8.46%) मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया नें काँग्रेस के श्री वीरेंद्र रघुवंशी को 11145 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में बीजेपी को 76330(50.14%) व काँग्रेस को 65185(42.82%) मत प्राप्त हुए थे तथा नोटा पर इस चुनाव में 2720 मत पड़े थे।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी व पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्री माखनलाल राठौर नें काँग्रेस के श्री वीरेंद्र रघुवंशी को 1751 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा भारतीय जनशक्ति प्रत्यासी के रूप में कांग्रेस के पूर्व विधायक श्री गणेश गौतम तीसरे, बीएसपी के श्री शीतल जैन चौथे व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष निर्दलीय प्रत्यासी श्री जगमोहन सिंह सेंगर पाँचवे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 25760(23.77%), काँग्रेस को 24009(22.16%), भाजश को 23679(21.85%), बीएसपी को 13973(12.89%) व निर्दलीय जगमोहन सिंह सेंगर को 7614(7.03%) मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –
इस विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी की ओर से पुनः एक बार श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया ही मैदान में होंगी, यह तय माना जा रहा है, वहीं काँग्रेस उनके विरुद्ध प्रत्याशी चयन में उलझी हुई है। काँग्रेस की स्थिति यह है कि पार्टी के लगभग सभी नेता चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए है, भले ही वह पार्षद का चुनाव ही क्यों न हार गए हों। काँग्रेस में गुटबाजी के चलते तमाम धडे, अलग अलग स्थानों पर गुफ्तगू कर रहे हैं। जबकि चुनावी ब्यूह रचना में पारंगत हो चुकीं श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया अपनी विश्वसनीय टीम व पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बना कर चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं।
कांग्रेस की आशा का केंद्र बीजेपी के वे कुछ अति महत्वाकांक्षी कुंठाग्रस्त नेता हैं, जो श्रीमंत सिंधिया के केवल इसलिए विरोधी हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, यशोधरा जी की राजनैतिक पहुँच व पोलिटिकल मेनेजमेंट के सामने वे बहुत बौने हैं। जहाँ तक आम जनता का सवाल है, अधिकांश लोगों का मानना यही है कि श्रीमंत राजे की राजनैतिक पृष्ठभूमि बहुत मजबूत होने के कारण ही यहाँ बड़े बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत हो पाए हैं, हालांकि उचित मॉनिटरिंग के अभाव तथा इन योजनाओं में लिप्त रहे लोगों के निजी स्वार्थों के कारण अभी तक उन योजनाओं का सही परिणाम प्राप्त नहीं हो पाया है। परंतु फिर भी इन सभी योजनाओं को उनके अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाने का सामर्थ्य सिर्फ यशोधरा राजे जी में ही है और इस विश्वास का ताजा उदाहरण विगत नगर पालिका चुनाव हैं जिसमें उनके समर्थक अधिकांश पार्षद जीत कर आए और उन्ही की कुशल रणनीति के कारण भाजपा नें नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा जमाया।
काँग्रेस की ओर से इस विधानसभा चुनाव हेतु आलोक शुक्ला, गणेश गौतम, जगमोहन सिंह सेंगर, एपीएस चौहान, मोहित अग्रवाल, जिनेश जैन (ठेकेदार), नरेंद्र जैन भोला, अमित शिवहरे सहित हाल ही में बीजेपी छोड़ काँग्रेस में शामिल हुए राकेश गुप्ता के नामों की चर्चा है। मजे की बात यह है कि टिकिट की आस में बीजेपी छोड़ कमलनाथ के सम्मुख भोपाल पहुँच कर काँग्रेस की सदस्यता लेनें वाले राकेश गुप्ता का विरोध काँग्रेस में ही प्रारंभ हो गया है और शिवपुरी के कॉंग्रेसियों नें एक प्रस्ताव बना कर भोपाल भेज दिया है कि हाल ही में टिकिट की मंशा से काँग्रेस में शामिल हुए नेताओं को टिकिट न दिए जाएं। जिससे राकेश गुप्ता के राजनैतिक कैरियर पर प्रश्नचिन्ह सा लग गया है। चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने, रह गए दुबे जी।
विशेष - सन 1977 के बाद से शिवपुरी विधानसभा सीट से केवल तीन बार कांग्रेस के विधायक चुने गए हैं। दो बार श्री गणेश गौतम व एक बार श्री वीरेंद्र रघुवंशी। और इन दोनों को ही सिंधियाओं की मदद से ही चुनावी सफलता मिली थी। यही शिवपुरी का चुनावी अंक गणित है। हालांकि श्री वीरेंद्र रघुवंशी अब कोलारस से भाजपा के विधायक है, तो गणेश जी, कभी जनशक्ति तो कभी भाजपा में उछलकूद करने के बाद, अब कांग्रेस में आराम कर रहे हैं।
जातिगत समीकरण –
शिवपुरी विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां जातिगत समीकरण अधिक मायने नहीं रखते हैं बल्कि सिंधिया नाम ज्यादा मायने रखता है। फिर भी इस विधानसभा में लगभग 50 हजार वैश्य, 40 हजार आदिवासी, 20 हजार ब्राह्मण सहित क्षत्रिय, लोधी, कुशवाह, राठौर व मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं।
करैरा
वर्ष 2020 के विधानसभा उपचुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के प्रागीलाल जाटव नें बीजेपी के जसवंत जाटव को 30641 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में काँग्रेस को 95728(53.49%) व बीजेपी को 65087(36.37%) मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के जसवंत जाटव नें बीजेपी के राजकुमार खटीक को 14824 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के प्रागीलाल जाटव तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 64210(37.01%), बीजेपी को 49377(28.47%) व बीएसपी को 40026(23.08%) मत प्राप्त हुए। सपाक्स पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे बीजेपी के पूर्व विधायक रमेश खटीक को इस चुनाव में 9098(5.25%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस प्रत्याशी शकुंतला खटीक नें बीजेपी के ओमप्रकाश खटीक को 10323 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के प्रागीलाल जाटव तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 59371(36.11%), बीजेपी को 49051(29.84%) व बीएसपी को 45265(27.53%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी रमेश खटीक ने बीएसपी प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव को 12816 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा भाजश के टिकट पर मैदान में उतरीं शकुंतला खटीक तीसरे व काँग्रेस प्रत्याशी बाबू राम नरेश चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 35846(34.22%), बीएसपी को 23030(21.99%), भाजश को 14626(13.96%) व काँग्रेस को 11352(10.84%) मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –
बीजेपी से जसवंत जाटव, शकुंतला खटीक, रमेश खटीक, गगन ओमप्रकाश खटीक के नामों की चर्चा है वहीं काँग्रेस से प्रागीलाल जाटव, मान सिंह फौजी (किसान काँग्रेस जिलाध्यक्ष), रचना शेर सिंह (महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष), योगेश करारे के नाम चर्चा में हैं।
जातिगत समीकरण –
जाटव 15%, रावत 13%, लोधी 8%, यादव 8%, कुशवाह 8%, गुर्जर 7%, क्षत्रिय 9.5%, ब्राह्मण 8.5%, खटीक 10%, के साथ मुस्लिम 10 हजार, वैश्य 8 हजार, पाल 7 हजार
विशेष – वर्तमान काँग्रेस विधायक प्रागीलाल जाटव जो विगत कई चुनावों में बीएसपी की ओर से चुनावी मैदान में रहे व वर्ष 2020 के विधानसभा उप चुनाव से पूर्व हर चुनाव में अच्छे मत प्राप्त करने के बाद भी दूसरे अथवा तीसरे स्थान पर रहे, सहानुभूति की लहर के चलते विजय प्राप्त करने में कामयाब रहे परंतु उनके कार्यकाल से न सिर्फ स्थानीय जनता बल्कि काँग्रेस कार्यकर्ताओं में भी असंतोष की लहर है। अतः संभावना जताई जा रही है कि काँग्रेस पार्टी इस विधानसभा चुनाव में उनके स्थान पर इस सीट से किसी अन्य प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतार सकती है। कांग्रेस प्रागीलाल को टिकिट दे या उनके स्थान पर किसी और को, दोनों ही स्थिति में उसके सामने संकट मुंह बांये खड़ा है। कांग्रेस प्रागीलाल जाटव को टिकिट देती है, तो एंटी इनकम्बेंसी के चलते घाटा होने की संभावना है, और अगर नहीं देती तो प्रागीलाल दोबारा बीएसपी की ओर से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। कुल मिलाकर काँग्रेस के सामने तो इस चुनाव में इस सीट पर इधर कुआ, उधर खाई बाली स्थिति है। उसे नुकसान की ही संभावना अधिक प्रतीत होती है।
पिछोर
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस प्रत्याशी के पी सिंह नें बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम लोधी को मात्र 2675 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के लालाराम यादव तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 91463(47.06%), बीजेपी को 88788(45.69%) व बीएसपी को 4488(2.31%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह नें बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम लोधी को 7113 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के कौशलेन्द्र प्रताप सिंह तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 78995(45.06%), बीजेपी को 71882(41%) व बीएसपी को 8822(5.03%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के केपी सिंह नें भाजश के भैया साहब लोधी को 26835 मतों के अंतर से पराजित किया था, बीएसपी के इंजी. कौशल किशोर शर्मा तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव मे भाजपा का प्रदर्शन लगभग नगण्य रहा।
वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –
इस चुनाव में काँग्रेस की ओर से एक बार पुनः केपी सिंह चुनावी मैदान में होंगे तथा भाजपा की ओर से प्रीतम लोधी, भैया साहब लोधी व भाजपा प्रदेश कार्यालय मंत्री राघवेंद्र शर्मा के नामों की चर्चा है।
जातिगत समीकरण –
पिछोर विधानसभा में लोधी, आदिवासी, यादव, ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इसके अलावा अन्य समाज के मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है।
विशेष - लोदी बहुल इस विधान सभा की ख़ास बात यह है कि यद्यपि श्री के पी सिंह उपाख्य कक्का जू लगातार चुनाव जीतते जा रहे हैं, किन्तु उनका मत प्रतिशत भी लगातार घटता गया है। पिछले चुनाव में तो उन्होंने स्वयं की पराजय लगभग मान ही ली थी, इसलिए अंतिम हथियार के रूप में उन्होंने सभा मंच से ही उस चुनाव को रुंधे कंठ से अपना आख़िरी चुनाव घोषित कर, जन समर्थन की गुहार लगाई थी, इसके बाद भी वे महज 2675 मतों के अंतर से विजयी हुए थे, अतः कहा जा सकता है कि इस बार इस सीट पर कांटे की ही टक्कर देखने को मिल सकती है।
कोलारस
यदि शिवपुरी जिले की समस्त 5 विधानसभाओं की बात करें तो कोलारस विधानसभा सीट इन सभी सीटों में से सबसे हॉट सीट कही जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भाजपा, काँग्रेस दोनों ही दल अपने प्रत्याशियों के चयन में सबसे अधिक यहाँ ही माथापच्ची में लगे हैं साथ ही बीएसपी व अन्य दल भाजपा व काँग्रेस के असन्तुष्ट नेताओं पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के वीरेंद्र रघुवंशी नें कॉंग्रेस के महेंद्र सिंह यादव को मात्र 720 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के अशोक शर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे। इस चुनाव में बीजेपी को 72450(42.11%), काँग्रेस को 71730(41.69%) व बीएसपी को 16483(9.58%) मत प्राप्त हुए थे।
श्री रामसिंह यादव के असामयिक निधन के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव में उनके सुपुत्र काँग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव नें बीजेपी के देवेन्द्र जैन को 8086 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में काँग्रेस को 82523 व बीजेपी को 74437 मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव नें बीजेपी प्रत्याशी देवेन्द्र जैन को 24953 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के चंद्रभान सिंह यादव तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 73942((45.91%), बीजेपी को 48989(30.42%) व बीएसपी को 23920(14.85%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी देवेन्द्र जैन नें काँग्रेस के रामसिंह यादव को मात्र 238 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के लाखन सिंह बघेल तीसरे, भाजश के अजीत जैन चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 31199(27.52%), काँग्रेस को 30961(27.31%), बीएसपी को 19912(17.56%) व भाजश को 7466(6.58%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –
इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से वीरेंद्र रघुवंशी, महेंद्र यादव, देवेन्द्र/जिनेन्द्र जैन के साथ सुरेन्द्र शर्मा का नाम चर्चा में है।
काँग्रेस से हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए बैजनाथ सिंह यादव, राजकुमार यादव, मोहन अग्रवाल (रिटा. आबकारी अधिकारी), अशोक शर्मा (पूर्व प्रत्याशी बीएसपी) के नाम चर्चा में है। भाजपा से किसी वैश्य प्रत्यासी के आयातित होने की भी संभावना जताई जा रही है।
जातिगत समीकरण –
इस विधानसभा सीट पर यादव, रघुवंशी, वैश्य, धाकड़, ब्राह्मण आदि निर्णायक स्थिति में हैं।
पोहरी
वर्ष 2020 के विधानसभा उपचुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुरेश धाकड़ नें बीएसपी प्रत्याशी कैलाश कुशवाह को 22496 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा काँग्रेस प्रत्याशी हरीबल्लभ शुक्ला तीसरे व निर्दलीय पारम सिंह रावत चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 66344(39.22%), बीएसपी को 43848(25.92%), काँग्रेस को 42638(25.21%) व निर्दलीय पारम सिंह रावत को 8079(4.78%) मत प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के सुरेश धाकड़ नें बीएसपी के कैलाश कुशवाह को 7918 मतों के अंतर से पराजित किया था व बीजेपी के प्रह्लाद भारती तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 60654(37.06%), बीएसपी को 52736(32.22%) व बीजेपी को 37268(22.77%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के प्रह्लाद भारती नें कॉंग्रेस के हरीबल्लभ शुक्ला को 3625 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के लाखन सिंह बघेल तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 53068(34.70%), काँग्रेस को 49443(32.33%) व बीएसपी को 34250(22.39%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के प्रह्लाद भारती नें बीएसपी के हरीबल्लभ शुक्ला को 19390 मतों के अंतर से पराजित किया तथा काँग्रेस के एन पी शर्मा तीसरे व कुख्यात डकैत रहे रामबाबू गड़रिया की बहिन व निर्दलीय प्रत्याशी रामश्री बाई चौथे स्थान पर रही। इस चुनाव में बीजेपी को 45209(39.59%), बीएसपी को 25819(22.61%), काँग्रेस को 13859(12.14%) व निर्दलीय रामश्री बाई को 7991(7%) मत प्राप्त हुए।
वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –
बीजेपी से सुरेश धाकड़, प्रह्लाद भारती, नरेंद्र बिरथरे, उनके भतीजे सोनू बिरथरे व सलोनी धाकड़ के नाम चर्चा में है। काँग्रेस से कैलाश कुशवाह, प्रद्युम्न वर्मा व हरीबल्लभ शुक्ला के नाम चर्चा में है।
जातिगत समीकरण –
इस सीट पर लगभग 50 हजार किरार, 38 हजार ब्राह्मण, 32 हजार आदिवासी, 22 हजार जाटव, 20 हजार कुशवाह, 12 हजार यादव, 10 हजार रावत मतदाता निर्णायक स्थिति में है। इस सीट पर सिंधिया राजवंश का सर्वाधिक प्रभाव माना जाता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
एक टिप्पणी भेजें