मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 - जानिए गुना जिले की समस्त 4 विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति

 



गुना जिले में चार विधानसभा सीट गुना, बामोरी, चाचोंड़ा और राघोगढ़ सीटें हैं जिनमें से गुना व बामोरी पर भाजपा तथा चाचोंड़ा व राघोगढ़ पर काँग्रेस का कब्जा है। गुना जिले पर दो राजपरिवारों सिंधिया तथा दिग्विजय सिंह का प्रभाव है। आइए जानते है इस जिले की चारों विधानसभाओं की स्थिति-

गुना

गुना विधानसभा सीट अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है। इस सीट पर मुख्य रूप से बीजेपी व काँग्रेस के मध्य ही मुकाबला देखने को मिलता है। इस सीट पर दो बार से लगातार बीजेपी की ही जीत हुई है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के गोपिलाल जाटव नें काँग्रेस के चंद्रप्रकाश अहिरवार को 33667 मतों के अंतर से पराजित किया तथा बीएसपी के सुरेश कुमार रोशन तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 84149(56.81%), काँग्रेस को 50482(34.08%) व बीएसपी को 4169(2.81%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के पन्नालाल शाक्य नें काँग्रेस के नीरज निगम को 45111 मतों के अंतर से पराजित किया व बीएसपी के जेपी अहिरवार तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 81444(62.20%), काँग्रेस को 36333(27.75%) व बीएसपी को 5237(4.05%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजश के राजेन्द्र सिंह सलूजा नें काँग्रेस प्रत्याशी संगीता मोहन रजक को 12934 मतों के अंतर से पराजित किया तथा निर्दलीय जगदीश खटीक तीसरे व बीएसपी के के एल जाटव चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में भाजश को 29540(36.45%), काँग्रेस को 16606(20.49%), निर्दलीय जगदीश खटीक को 15110(18.64%) व बीएसपी को 11392(14.06%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से गोपिलाल जाटव, सिंधिया समर्थक नीरज निगम व सांसद प्रतिनिधि रमेश मालवीय के नाम चर्चा में हैं।

काँग्रेस से मोहन रजक, लालजी राम जाटव, पंकज कनेरिया, हरिओम खटीक, अशोक पालिया सहित एक दर्जन से अधिक नाम चुनाव लड़ने की मंशा में अपने अपने नाम दावेदार के रूप में बढ़ा रहे हैं।

जातिगत समीकरण –

इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाती के लगभग 40 हजार, ब्राह्मण लगभग 20 हजार, मुस्लिम लगभग 20 हजार, आदिवासी व कुशवाह लगभग 15-15 हजार, धाकड़ लगभग 15 हजार, रघुवंशी लगभग 13 हजार, जैन लगभग 12 हजार व शेष अन्य मतदाता हैं। यद्यपि इस विधानसभा सीट पर मतदान जातिगत आधार पर कम ही होता है। 

बामौरी

वर्ष 2020 के विधानसभा उपचुनाव में इस विधानसभा सीट पर बीजेपी के महेंद्र सिंह सिसोदिया नें काँग्रेस के के.एल. अग्रवाल को 53153 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के रमेश डाबर तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 101124(62%), काँग्रेस को 47971(29.41%) व बीएसपी को 5391(3.31%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में काँग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया नें बीजेपी के बृजमोहन आजाद को 27920 मतों के अंतर से पराजित किया तथा निर्दलीय के. एल. अग्रवाल तीसरे व बीएसपी के ओमप्रकाश त्रिपाठी चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 64598(41.54%), बीजेपी को 36678(23.59%), निर्दलीय के. एल्. अग्रवाल को 28488(18.32%) व बीएसपी को 7176(4.61%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया नें बीजेपी के के.एल. अग्रवाल को 18561 मतों के अंतर से पराजित किया तथा बीएसपी के रमेश डाबर तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 71804(50.80%), बीजेपी को 53243(37.67%) व बीएसपी को 5946(4.21%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के के.एल. अग्रवाल नें काँग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया को 4778 मतों के अंतर से पराजित किया तथा बीएसपी के देवेन्द्र सिंह तीसरे, भाजश के कैलाश धाकड़ चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी को 28767(30.96%), काँग्रेस को 23989(25.82%), बीएसपी को 17046(18.35%) व भाजश को 7507(8.08%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –

इस चुनाव में भाजपा की ओर से एक बार पुनः महेंद्र सिंह सिसोदिया मजबूत दावेदार हैं तथा काँग्रेस से सुमेर सिंह गढ़ा, ऋषि अग्रवाल, मुरारी धाकड़, मान सिंह परसोदा, रजनीश शर्मा, हेमराज सिंह ख्यावदा, ओमप्रकाश त्रिपाठी, वीरेंद्र सिंह सिसोदिया जैसे नाम चर्चा में हैं।

जातिगत समीकरण-

यह सीट आदिवासी और अनुसूचित बाहुल्य है। इनकी संख्या लगभग 80 हजार से अधिक है। सहरिया आदिवासी और एस.सी. वर्ग का मतदाता निर्णायक भूमिका निभाता है। क्षत्रिय मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करते हैं।

चाचौड़ा

यह सीट मीणा बहुल है तथा यहाँ से अधिकांशतः मीणा प्रत्याशियों ने ही सफलता पाई है। यद्यपि पिछला 2018 का चुनाव अपवाद था, जब राघोगढ़ राजपरिवार के लक्ष्मण सिंह सफल हुए। वर्तमान में दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं। इस सीट पर बीजेपी दो बार (वर्ष 1990 व 2013 में) ही जीत दर्ज करा पाई है। हालांकि मार्च 2023 में दिग्गी राजा के इस गढ़ में बीजेपी नें सेंध लगाते हुए 500 से अधिक कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल किया है।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव मे इस सीट पर काँग्रेस के लक्ष्मण सिंह नें बीजेपी प्रत्याशी ममता मीणा को 9797 मतों के अंतर से पराजित किया। इस चुनाव में कॉंग्रेस को 81908(49.79%) व बीजेपी को 72111(43.84%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ममता मीणा नें काँग्रेस के शिवदयाल मीणा को 34901 मतों के अंतर से पराजित किया। इस चुनाव में बीजेपी को 82779(57.10%) व काँग्रेस को 47878(33.02%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के शिवनारायण मीणा नें बीजेपी प्रत्याशी ममता मीणा को 8022 मतों के अंतर से पराजित किया तथा भाजश के प्रेमनारायण लोढा तीसरे, बीएसपी के हरीसिंह गुर्जर चौथे व निर्दलीय मान सिंह भील पाँचवे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 34063(33.96%), बीजेपी को 26041(25.96%), भाजश को 12653(12.62%), बीएसपी को 9534(9.51%) व निर्दलीय मान सिंह भील को 8970(8.94%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति – 

काँग्रेस से लक्ष्मण सिंह व बीजेपी से अनिरुद्ध मीणा, ममता मीणा तथा प्रियंका मीणा के नाम चर्चा में हैं।अनिरुद्ध मीणा 1998 में स्व. कैलाश जोशी व तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी के भाई लक्ष्मणसिंह के संसदीय चुनाव से लगातार भाजपा से जुड़े हुए हैं तथा उनके प्रयत्नों से ही उस समय पूर्व कांग्रेसी विधायक मन्नासिंह मीणा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाईन की थी। यह अलग बात है कि भाजपा ने सदैव इन्हें घर का जोगिया व आयातित प्रत्याशियों को आन गाँव का सिद्ध मानकर उन पर ही दांव लगाया। संघ पृष्ठभूमि के अनिरुद्ध मीणा ने इस पर कभी एतराज भी नहीं किया। 

जातिगत समीकरण –

मीणा लगभग 48 हजार, लोधी लगभग 20 हजार, भील लगभग 22 हजार, गुर्जर लगभग 20 हजार, अहिरवार लगभग 35 हजार, ब्राह्मण लगभग 10 हजार, क्षत्रिय लगभग 10 हजार, मुस्लिम लगभग 8 हजार

राघोगढ़

इस सीट को काँग्रेस का मजबूत किला माना जाता है। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी स्वयं लड़कर पराजित हो चुके हैं। 1977 से 2018 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर काँग्रेस का ही कब्जा है। इस सीट पर 4 बार दिग्विजय सिंह, 2 बार दिग्विजय सिंह के राइट हेंड माने जाने वाले स्व. मूल सिंह दादा भाई, 2 बार दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह व 1 बार दिग्विजय सिंह के छोटे भी लक्ष्मण सिंह जीते हैं। वर्ष 2021 में स्व. मूलसिंह दादा भाई के पुत्र हीरेन्द्र सिंह बंटी बना बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और संभवतः वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में वे इस सीट से भाजपा प्रत्याशी हो सकते हैं।

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव मे इस सीट पर काँग्रेस के जयवर्धन सिंह नें बीजेपी के भूपेन्द्र रघुवंशी को 46697 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में काँग्रेस को 98268(61.64%) व बीजेपी को 51571(32.35%) मत प्राप्त हुए थे।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के जयवर्धन सिंह नें बीजेपी के राधेश्याम धाकड़ को 58204 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में काँग्रेस को 98041(66.02%) व बीजेपी को 39837(26.83%) मत प्राप्त हुए थे।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर काँग्रेस के मूलसिंह दादा भाई नें बीजेपी के भूपेन्द्र सिंह रघुवंशी को 7688 मतों के अंतर से पराजित किया था तथा बीएसपी के ओमप्रकाश त्रिपाठी तीसरे व भाजश के बाबूलाल साहू चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में काँग्रेस को 40019(43.61%), बीजेपी को 32331(35.23%), बीएसपी को 7752(8.45%) व भाजश को 3419(3.73%) मत प्राप्त हुए।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव की संभावित स्थिति –

काँग्रेस- जयवर्धन सिंह, बीजेपी – हीरेन्द्र सिंह बंटी बना(संभावित)

जातिगत समीकरण –

अनुसूचित जाती लगभग 35 हजार, धाकड़ लगभग 32 हजार, यादव लगभग 28 हजार, ब्राह्मण लगभग 20 हजार, मीणा लगभग 18 हजार व शेष अन्य

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें