सनातनी सृष्टि के प्रथम सत्याग्रही नचिकेता
कुछ समय पूर्व मशहूर कवी कुमार विश्वास ने एक कविता लिखी थी "कि
है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय, वो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गए" |
इसी
कविता में एक पंक्ति है “जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी, उत्तरों
की खोज में फिर एक नचिकेता गया है..!"
परन्तु सवाल यह उठता है कि आखिर यह नचिकेता था कौन ? कुमार विश्वास भी आखिर किस नचिकेता की बात कर रहे है ? कौन है नचिकेता जिसे कठोपनिषद में पहला साधक बताया गया है ? इससे भी अहम सवाल कि नई पीढी में कितने लोग जानते हैं नचिकेता की कहानी को ?
नचिकेता को दुनिया का पहला जिज्ञासु माना जाता है – कम से कम पहला महत्वपूर्ण जिज्ञासु। नचिकेता जब छोटा बालक ही था तब उसके पिता ने एक यज्ञ करने की ठानी । यज्ञ संपन्न हुआ, फिर बारी आई दान की । नचिकेता के पिता जब बीमार और दुर्बल गायें दान में दे रहे थे, तब बालक नचिकेता ने उन्हें टोका और पूछा -
आप मुझे किसको दान करने वाले हैं?’ उसके पिता
क्रोधित हो गए और बोले, ‘मैं तुम्हें यम को देने वाला हूं।’ यम अर्थात
मृत्यु के देवता । बालक ने अपने पिता की बात को बहुत गंभीरता से लिया और यमलोक को
रवाना हो गया । जो लोग आस्थावान है, वे तो मान ही लेंगे कि सतयुग में बालक भी
परलोक गमन कर सकता होगा, लेकिन जो लोग यह सोचेंगे कि ‘वह कैसे गया
होगा, शरीर के साथ या शरीर छोड़कर?’ तो उनके लिए
उत्तर यही है कि आप इसे कहानी मानकर चलिए, हर कहानी में कोई सन्देश छुपा होता है,
तो आप उस सन्देश को समझिये ।
तो बस, वह यम के पास चला गया।
यम उस समय यमलोक में नहीं थे। नचिकेता पूरे तीन दिन तक इंतजार करता रहा। एक छोटा सा बालक भोजन-पानी के बिना यम के द्वार पर इंतजार करता रहा। तीन दिन बाद यम लौटे तो उन्होंने पूरी तरह थके और भूखे, मगर पक्के इरादे वाले इस छोटे से बालक को देखा। वह बिना हिले-डुले वहां बैठा हुआ था। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भी नहीं गया था। वह बस वहां बैठकर यम की प्रतीक्षा कर रहा था। यम इस बालक के पक्के इरादे से बहुत प्रभावित हुए, जो तीन दिन से प्रतीक्षा कर रहा था, वह भी बिना कुछ ग्रहण किए। वह बोले, ‘मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि तुम तीन दिन से मेरा इंतजार कर रहे हो। तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें तीन वरदान देता हूं। बताओ, तुम क्या चाहते हो?’
नचिकेता ने सबसे पहले कहा, ‘मेरे पिता बहुत लालची हैं। वह सांसारिक सुख-सुविधाएं चाहते हैं। इसलिए आप उन्हें सारे भौतिक ऐशोआराम का आशीर्वाद दें। उन्हें राजा बना दीजिए।’ यम ने कहा ‘तथास्तु’। उसने दूसरा वरदान मांगा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि मुझे ज्ञान प्राप्त करने के लिए किस तरह के कर्मों और यज्ञों को करने की जरूरत है।’ यम ने उसे सिखाया कि उसे क्या करना चाहिए।
फिर नचिकेता ने उनसे पूछा, ‘मृत्यु का रहस्य क्या है? मृत्यु
के बाद क्या होता है?’ यम ने कहा, ‘यह प्रश्न तुम वापस ले लो। तुम मुझसे और कुछ भी
मांग लो। तुम चाहो तो मुझसे एक राज्य मांग लो, मैं तुम्हें दे
दूंगा। मैं तुम्हें धन-दौलत दे सकता हूं। मैं तुम्हें दुनिया के सारे सुख दे सकता
हूं।’ तुम मुझसे दुनिया की सारी खुशियां ले लो, मगर यह प्रश्न
मत पूछो।’
नचिकेता ने कहा, ‘इन सब का मैं क्या करूंगा? आप पहले ही मुझे बता चुके हैं कि ये सब चीजें नश्वर हैं। मैं पहले ही समझ चुका हूं कि सारे क्रियाकलाप, लोग जिन चीजों में संलिप्त हैं, वे सब अर्थहीन हैं। वह सिर्फ दिखता है, वह हकीकत नहीं है। फिर मुझे और धन-दौलत देने का क्या लाभ? वह तो मेरे लिए सिर्फ एक जाल होगा। मैं कुछ नहीं चाहता, आप बस मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए।’
यम ने इस सवाल को टालने की हर संभव कोशिश की। वह बोले, ‘देवता भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं जानते। मैं तुम्हें नहीं बता सकता।’ नचिकेता ने कहा, ‘अगर ऐसा है, अगर देवता भी इसका उत्तर नहीं जानते और सिर्फ आप जानते हैं, तब तो आपको इसका उत्तर देना ही होगा।’
उसने अपनी जिद नहीं छोड़ी। यम एक बार फिर उसे वहीं छोड़कर महीनों के लिए घूमने चले गए। वह किसी तरह सिर्फ इस बालक से पीछा छुड़ाना चाहते थे। मगर बालक कई महीनों तक वहीं डटा रहा। कहा जाता है कि यम के द्वार पर ही उसे पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। उसे अस्तित्व के सारे प्रश्नों के जवाब मिल गए और उसने खुद को विलीन कर दिया। वह प्रथम जिज्ञासु था। इसलिए हमेशा उसे एक आदर्श की तरह प्रस्तुत किया जाता है। उस तरह का पक्का इरादा रखने वाला पांच साल का बालक, जो चॉकलेट या डिजनीलैंड की यात्रा जैसे लालच में नहीं पड़ा। वह सिर्फ ज्ञान चाहता था।
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