आखिर क्यों कैद है भगवान शिव की प्रतिमा......!
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रायसेन के किले पर स्थित सोमेश्वर धाम मंदिर में शिवलिंग की पूजा-अर्चना साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि पर ही हो पाती है। शेष 364 दिन इस ऐतिहासिक मंदिर पर ताला पड़ा रहता है। पुरातत्व विभाग, वर्ष में एक बार सिर्फ महाशिवरात्रि पर शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मंदिर का दरवाजा खोलता है। कहा जाता है कि रायसेन किले का निर्माण चौथी शताब्दी में राजा रायसिंह ने कराया था। जहां विशाल शिव मंदिर है। विभिन्न आक्रमणकारियों ने किले की कई इमारतों को तहस-नहस कर दिया, लेकिन शिव मंदिर और शिवलिंग अब भी सुरक्षित हैं। आजादी के बाद किला पुरातत्व विभाग के अधीन हो गया। आजादी के बाद से इसके दरवाजे खोलने के लिए आंदोलन भी किए गए। 1974 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी ने महाशिवरात्रि पर आकर शिव मंदिर का दरवाजा दर्शनार्थियों के लिए खुलवाया था। तब से हर वर्ष यहां महाशिवरात्रि पर ही एक दिन के लिए मंदिर का ताला खोला जाता है। जानकार बताते हैं कि आजादी के पहले से ही मंदिर मैं पूजन-पाठ बंद हो गया था, आजादी के बाद शिवलिंग को मंदिर के बाहर लावारिस हालत में पाया गया था। जिसे कुछ लोगों ने मंदिर में स्थापित किया था, लेकिन देश के आज़ाद होते ही भगवान शिव कैद हो गए। बताया जाता है कि आजादी के बाद इस परिसर में मंदिर और मस्जिद का कथित विवाद खड़ा हुआ और पुरातत्व विभाग ने मंदिर में ताले लगा दिए।
मंगलवार को ख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायसेन में कथा वाचन के दौरान उक्त किले और वहां के राजा-रानी की महिमा का बखान करते हुए इस किले पर स्थित मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के कैद होने का जिक्र किया। पंडित मिश्रा ने रायसेन के लोगो को इस बात के लिए धिक्कारा कि यदि वे अपने घर में ख़ुशी पूर्वक रहकर तीज-त्यौहार और उत्सव मनाते हैं, लेकिन उन्हीं के शहर में उनका शिव कैद है, तो इससे दुःखद कुछ हो नहीं सकता। उन्होंने मप्र के मुख्यमंत्री को भी कहा कि शिवराज के होते हुए शिव कैद है। एक सनातनी मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के साथ केंद्र के पर्यटन मंत्री और प्रधानमंत्री के भी सनातनी होने के बावजूद अगर रायसेन में शिव कैद है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पंडित मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से अपेक्षा की है कि वे इस कथा के दौरान ही यहां आकर भगवान शिव के मंदिर के द्वार खोले और उन्हें कैद से मुक्त कराएं।
पंडित प्रदीप मिश्रा के इस आह्वान के बाद अब इस मंदिर की मुक्ति के लिए आंदोलन तेज होने की संभावना है। संभव है प्रशासन को अब रायसेन में सुरक्षा के और पुख्ता इंतज़ाम करना पड़े। गौरतलब है कि पंडित मिश्रा की लोकप्रियता देश भर में तो है ही, कई देशों में उन्हें देखा-सुना जाता है। ऐसे में सरकार को शीघ्र समस्या के हल की दिशा में कदम उठाना चाहिए, ताकि कोई अप्रिय स्थिति निर्मित न हो।
साभार - व्हाट्सएप
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मध्यप्रदेश
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