आजाद भारत में नासूर बना नक्सलवाद किसकी देन?
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अतीत की गलतियों के परिणाम बड़े घातक रूप में सामने हैं। किसी शायर ने कहा "ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई"
यही बात आज इस घटना के बाद सिद्ध होती है।आज पूरा देश स्तब्ध है अपने पंद्रह जवानों को खोकर सरकारों को आज निंदा और चिंता से आगे बढ़कर कार्यवाही करनी ही पड़ेगी इनके खिलाफ क्योंकि ये हमारे लोग हो ही नहीं सकते अगर होते तो कभी ऐसा कृत्य न करते।
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