विजय माल्या और राफेल की अंतर्कथा |



लेख का शीर्षक भले ही विजय माल्या और राफेल हो, वस्तुतः यह आलेख कांग्रेस के षडयंत्र महापुराण का एक छोटा सा अंश है | तो बात शुरू करते हैं विजय माल्या से जिनका एक बयान सुर्खियाँ बना कि वे वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलकर विदेश गए ! अब इस बयान के टाईमिंग पर गौर कीजिए ! सवाल उठता है कि उनको यह बयान देने में ढाई साल क्यूं लगे ? 

थोडा ध्यान देने पर कोई भी समझ सकता है कि इसके दो ही कारण हो सकते हैं | पहला तो यह कि उन्हें लगता रहा कि मोदी सरकार और अरुण जेटली उन्हें बचा लेंगे ! 2 मार्च 2016 को विजय माल्या इंग्लेंड भागे थे और अब लगभग ढाई साल बाद वे समझ चुके हैं कि अब मैं फंसने वाला हूँ | मुझे जेल जाना पडेगा | मोदी सरकार मुझे नहीं बचाने वाली | तो क्यूं न मैं मोदी सरकार के एक सिपहसालार को फंसा दूं ! इससे यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि मोदी सरकार विजय माल्या को नहीं बचा रही | 

अब देखते हैं कि दूसरा कारण क्या हो सकता है | दूसरा कारण यह हो सकता है कि मीडिया का ध्यान किसी घटना से हटाने के लिए यह फुस्सी बम फोड़ा गया हो | सबको पता है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी पांच हजार करोड़ के नेशनल हेराल्ड केस में गले गले तक फंसे हुए हैं | जिस दिन विजय माल्या का यह बयान आया, ठीक उसी दिन देल्ही हाई कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी की अपील को खारिज कर दिया था | जिससे यह संकेत मिला कि उस केस में राहुल और सोनिया पर शिकंजा कस रहा है | स्वाभाविक ही अगर उसी दिन विजय माल्या का बयान न आता तो यह समाचार ही मीडिया में छाया रहता | 

अब सवाल उठता है कि गांधी परिवार के इशारे पर विजय माल्या क्यूं नाचे ? इसका जबाब कुछ सवालों में छुपा है | विजय माल्या को लोन किसने दिया ? मनमोहन सिंह की सरकार ने ! डूबती हुई किंगफिशर एयरलाईन्स को बचाने ले किये स्वयं मनमोहन सिंह ने बयान दिया कि वे मदद करने जा रहे हैं | 


इतना ही नहीं तो विजय माल्या पर किया गया दूसरा अहसान – 
विजय माल्या ने मेरठ के नजदीक शिया वक्फ बोर्ड की जमीन पर अवैध कब्जा कर शराब की फेक्ट्री डाल दी | जिसकी शिकायत बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने ऊपर तक की | वसीम रिजवी केस भी दायर करने वाले थे, लेकिन गुलाम नवी आजाद और स्वयं राहुल गांधी ने उन पर दबाब डाला कि वे अपनी शिकायत वापस ले लें | इतना ही नहीं तो राहुल गांधी ने कहा कि आप केस मत करो, विजय माल्या एक शरीफ व्यक्ति हैं ! रिजवी के बयान को इस लिंक पर सुना जा सकता है – 

https://twitter.com/ani/status/1040214772635947009?lang=en 

तो मामला दिन के उजाले की तरह साफ़ है कि विजय माल्या केवल गांधी परिवार के हस्तक हैं | उन पर जो कृपा कांग्रेस सरकार के समय बरसी, उस अहसान का बदला चुका रहे हैं | अब इस राजनीति को क्या कहें कि चोरी करवाई कांग्रेस और गांधी परिवार ने, जबकि दोष मढ़ रहे हैं भाजपा और मोदी पर | चोर ही चौकीदार को चोर बता रहा है | 

अब बात करते हैं राफेल डील की | इस विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मुक़दमा दायर हुआ है, पीआईएल डाली गई है | जानते हैं कि यह मुक़दमा किसने दायर किया है ? यह मुक़दमा किया है रोवर्ट बाड्रा के बहनोई तहसीन पूनावाला ने | मजे की बात यह कि कांग्रेस इस पीआईएल से डिस्टेंस बनाकर भी चल रही है और कोई लाभ मिलता दिखे तो लेने को भी उद्यत है | है ना गजब की राजनीति ? कांग्रेस पार्टी एक लेटर जारी करती है, जिसमें लिखा गया है कि – 

किसी तहसीन पूनावाला ने जो पिटीशन दायर की है उससे कांग्रेस पार्टी का दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है | इस तरह के मामले सुप्रीम कोर्ट में नहीं उठाने चाहिए ! 

तो एक तरफ तो कांग्रेस राफेल डील को एक बहुत बड़ा घोटाला भी बता रही है, राहुल लगातार आंय बांय सांय बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में उठाये जाने को अनुचित भी बता रही है | है न कमाल धमाल ? 

और मजे की बात देखिये कि कपिल सिब्बल से जब पूछा जाता है कि आप इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में क्यूं नहीं उठा रहे, तो उनका जबाब आता है कि – 

हमारे पास सबूत नहीं हैं | जब हमारे हाथ में सबूत आ जायेंगे, तब इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाएंगे | 

तो भाई जब तुम्हारे पास कोई सबूत ही नहीं हैं, तो किस आधार पर पब्लिक मीटिंगों में, बयानों में, हाय तौबा मचा रहे हो ? सुप्रीम कोर्ट में जाने से घबराते हैं और हर जगह चिल्लाते फिरते हैं ! फ्रांस की सरकार झूठी है, दसाल्ट कम्पनी झूठी है | सत्यवादी हरिश्चंद्र के अवतार बस केवल यही आये हैं, इस कलियुग में | 



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