केरल बन रहा है तालिबानी राज्य, तैयार हो जाईये सरीयत क़ानून सहने को |


यह कहानी बताती है कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अनुपम प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विख्यात केरल कैसे एक राक्षसी राज्य में बदल रहा है | क्या से क्या हो गया ? कहाँ महान संत आद्य शंकराचार्य की जन्म भूमि, सुविख्यात सम्राट राजा रवि वर्मा की कर्मभूमि और कहाँ आज खूनी दरिंदों के चंगुल में फंसा केरल ? हिन्दुओं के लिए तो यह साक्षात नरक होता जा रहा है | मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के शासन में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि एक हिन्दू के नाते वहां जीवन यापन भी दूभर हो गया है | 

विगत एक वर्ष में मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं / गुंडों द्वारा 20 से अधिक हत्याएं की गईं, और बेशर्मी की पराकाष्ठा देखिये कि केरल के मंत्री तो छोडिये स्वयं मुख्यमंत्री अभिमान के साथ सार्वजनिक रूप से हत्याओं में अपनी संलिप्तता जताते सुने जाते हैं | 

खैर ये सब तो पुरानी बातें हो गईं | आज हम चर्चा करते हैं एक हिन्दू बाला अखिला की | लेकिन उसकी कहानी के पहिले चर्चा करते हैं जैनब की | कहा जाता है कि इस जैनब का सम्बन्ध आईएसआईएस से है | केरल में लम्बे समय से आईएसआईएस का तंत्र विकसित होता रहा है | मुस्लिम नौजवान हिन्दू वालिकाओं के साथ पहले प्रेम सम्बन्ध बढाते हैं, फिर उनसे निकाह का नाटक कर धर्मान्तरित किया जाता है | और एक बार फंदे में फंसी लड़कियों को आईएसआईएस के एजेंटों की मदद के लिए दुनिया के अलग अलग हिस्सों में झोंक दिया जाता है | इनमें से कई लड़कियों को तो सीरिया और अफगानिस्तान में सुसाईड बोम्बर्स के रूप में भी इस्तेमाल किये जाने की घटनाएँ प्रकाश में आई हैं | इस कार्य के लिए मुस्लिम नौजवानों को बड़े पैमाने पर धनराशि दी जाती है |

तो फिर लौटते हैं अखिला और जैनब की तरफ | जैनब ने पहिले अखिला को प्रेम जाल में फंसाया और फिर उसे लेकर केरल में धर्मांतरण के सबसे बड़े केंद्र मंजेरी के सथ्यसरणी पहुंचा | अखिला के पिता का कहना है कि जैनब ने होनहार छात्रा अखिला पहले तो बहला फुसला कर ड्रग एडिक्ट बनाया फिर उसे बदनाम मल्लापुरम जिले के मंजेरी ले जाकर धर्मान्तरित कर पूरी तरह मुसलमान बना दिया | अखिला को इन लोगों ने इतना अधिक अपने प्रभाव में ले लिया था कि जब उसके पिता अशोकन ने उसे वापस लौटने के लिए समझाया तो उसने उलटे उन्हें मुसलमान बन जाने के लिए समझाना शुरू कर दिया | जैनब की योजना थी कि अखिला को भी सीरिया भेज दिया जाए |

इसकी भनक लगने पर अखिला के पिता अशोकन ने न्याय का दरवाजा खटखटाया और जनवरी 2016 में केरल उच्च न्यायालय में बन्दी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) याचिका लगा दी | न्याय की यह लड़ाई एक वर्ष चली | अनेक मुस्लिम संगठनों ने तरह तरह से न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित और बाधित करने की कोशिश की | लेकिन विद्वान् न्यायाधीश इस्लामी संगठनों की मानसिकता भांप चुके थे, अतः उन्होंने मामले की पूरी जांच के आदेश दे दिए | लेकिन पुलिस उप अधीक्षक ने, जोकि स्वयं भी मुसलमान थे, मुस्लिम संगठनों को क्लीन चिट दे दी | 

इस बीच अखिला ने एक मुस्लिम से निकाह कर लिया और दोनों ने विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र पाने के लिए ग्राम पंचायत परिषद् में आवेदन लगाया | अशोकन ने एक बार फिर न्यायालय में विवाह निरस्त करने हेतु आवेदन लगाया | इस पर से न्यायालय ने मामले के निराकरण तक विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र न दिए जाने का आदेश दिया | अंततः 24 मई 2017 को उच्च न्यायालय का अंतिम आदेश हुआ जिसमें विवाह को अमान्य व प्रभावशून्य घोषित कर दिया गया |

अब असली कहानी यहाँ से शुरू होती है | पढ़िए और विचार कीजिए कि भारत में भारतीय न्याय तंत्र है, अथवा सरियत के इस्लामी क़ानून का शासन –

उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध केरल में आईएसआईएस और एलईटी से नजदीकी रखने वाले इस्लामिस्ट ऑर्गेनाईजेशन मुस्लिम एकोपना समिति तथा प्रतिबंधित पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया जैसे सभी अतिवादी संगठन एकजुट हो गए | स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार न्यायपालिका के विरुद्ध खुले तौर पर एलाने जंग घोषित कर दिया गया | निर्णय देने वाले दोनों जजों के सुरेन्द्र मोहन और अब्राहम मैथ्यू को धमकाया गया, उन्हें न्यायालय में प्रवेश करने से रोका गया | अब्दुल रज्जाक मौलवी और वी के शौकत अली जैसे अतिवादीयों द्वारा कहा गया कि यह निर्णय शरीया के खिलाफ है, जजों को सबक सिखाया जाएगा | जज सुरेन्द्र मोहन को तो आरएसएस का आदमी घोषित कर दिया गया, जबकि वे एक ईसाई मतावलंबी हैं | 

न्याय पालिका के विरुद्ध इस्लामिस्ट द्वारा 30 मई 2017 को एर्नाकुलम बंद की घोषणा की गई | जजों पर हमले किये गए और जब पुलिस ने दंगाईयों को रोकने की कोशिश की तो पुलिस पर भी पथराव किया गया, जिसमें कई पुलिस अधिकारियों को भी गंभीर चोटें आईं | 

अब चूंकि केरल में मार्क्सवादियों का राज है, जो पूरी तरह से इन चरमपंथियों के साथ हैं, अतः इस गंभीर घटना पर भी किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई | 

क्या आपको याद आता है कि कहीं भी इस प्रकार न्याय तंत्र के खिलाफ कोई आन्दोलन हुआ हो ? जजों को धमकाया गया हो ? लेकिन केरल में हो रहा है | केरल पूरी तरह तालिबानी राज्य में बदल रहा है | इसलिए अगर वहां सार्वजनिक रूप से गाय का बछड़ा काटा गया है, तो उस पर ज्यादा आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है | कांग्रेस हो या वामपंथी सभी चरमपंथी जिहादियों के समर्थक हैं | ईश्वर केरल में रहने वाले हिन्दुओं की रक्षा करें |

साभार आधार - http://postcard.news/story-kerala-talibanism-will-give-rude-shock/

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