जानिए पत्तल में भोजन के अद्भुत लाभ
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जैसे जैसे समय बदला, सुविधाएँ आई, लोग आधुनिक हुए और अपनी सभ्यता संस्कृतियों के बारे में भूलते चले गये. अगर आज से करीब 50 – 60 साल पहले की ही बात करें तो लोग प्लेट चम्मच की जगह धरती पर बैठकर दोने पत्तल में खाना खाते थे, साथ ही उनका परिवार भी उनके साथ खाना खाता था. किन्तु आज ये प्रथा बदल चुकी है, पत्तल का नाम सुनते ही लोगों की भूख मर जाती है और अगर कोई पत्तल में खाना खाता हुआ दिख जाए तो उसे मुर्ख की उपाधि दे दी जाती है. किन्तु क्या आप जानते है कि पत्तल में खाने की शुद्धता बढ़ जाती है.
हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पांच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या में करते हैं।
आम तौर पर केले के पत्तों में खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों में केले के पत्तों पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले के पत्तों का प्रयोग होने लगा है। डिस्पोजल थर्माकोल में खाना खाने से उसमे उपस्थित रसायन पदार्थ खाने में मिलकर पाचन क्रिया पर प्रभाव डालते है, जिससे कैंसर होता है एंव डिस्पोजल के गिलास में बिस्फिनोल नामक कैमिकल होता है जिसका असर छोटी आंत पर पड़ता है।
ये हैं लाभ
पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।
केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है।
रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है।
आम तौर पर लाल फूलों वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासीर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।
जोड़ों के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है।
लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।
ये भी मिलेगी राहत
सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिट्टी में दबा सकते हैं।
न पानी नष्ट होगा, न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा।
न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे, न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी।
अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी।
प्रदूषण भी घटेगा
सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह दबाने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है, एवं मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है। पत्तल बनाए वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा। सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं, जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी, पहले नाले में जायेगा, फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा, जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है।
खड़े होकर खाने के दुष्परिणाम
हर शादी ब्याह पार्टी में लोगों को खड़े होकर खाते देखा जा सकता है, ये खाने का अपमान भी है और खाने के विधान के खिलाफ भी है. इस तरह खड़े होकर खाना खाने से हाथों की नसों पर विपरीत प्रभाव पड़ना आरम्भ हो जाता है,साथ ही पेट भी अच्छी तरह नहीं भरता. इसके अलावा ये अनजाने रोगों को भी जन्म देता है. एक तरह से देखा जाएँ तो ये अंग्रेजी विदेशी फैशन आज हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृत को रोग ग्रस्त कर रहा है.
प्लेटों में खाने से रोग
आपने भी कभी ना कभी बाहर किसी होटल में खाना अवश्य खाया होगा जहाँ पत्तल की जगह प्लेट का इस्तेमाल होता है. क्या आपने कभी देखा है कि उन्हें किस तरह साफ़ किया जाता है ? हम आपको बताते है वहाँ एक लड़का सफाई के लिए बैठा दिया जाता है जिसके सामने दो टब होते है, एक में सर्फ का पानी और दूसरे में साफ़ पानी. पहले वो झूठे बर्तनों को सर्फ के पानी में डुबोता है फिर साफ़ पानी में बस इस तरह उनके बर्तन साफ़ हो जाते है. जिन्हें दोबारा कपड़ा मारकर सजा दिया जाता है.
अब जरा सोचों कि जिन व्यक्ति ने आपसे पहले उस प्लेट में खाना खाया है अगर उसे अस्थमा या टीबी हुई तो ? क्या उस प्लेट के माध्यम से इन रोगों के कीटाणु आप तक पहुंचकर आपको रोगग्रस्त नहीं करेंगे ? हाँ बिलकुल करेंगे, और आपको भी टीबी, अस्थमा या कोई अन्य रोग हो जाएगा. यहीं कारण है कि आज के समय में रोग इतनी तेजी से बढ़ रहे है किन्तु हम सब तो आधुनिकीकरण और फैशन में इस कद्र खोये हुए है कि हमे कुछ दिखाई ही नहीं देता. इसलिए जरूरी है कि अपने बुजुर्गों के संस्कारों का पालन करों, हो सकता है कि उनका जीवन कुछ सालों का है किन्तु उनका ज्ञान अमर ही रहेगा.
बहिष्कार और लाभ
क्या आपको लगता है कि इस तरह की सभ्यता का अनुसरण करना चाहियें. नहीं ना, इनका बहिष्कार आवश्यक है. अगर आपको सुविधाओं का ही लाभ उठाना है तो उनका सही जगह उपयोग करें, इस तरह अपने स्वास्थ्य को दाव पर लगाकर किसी भी सुविधा को सही नहीं माना जा सकता. इसके अलावा जब दोने और पत्तल का इस्तेमाल हो चुका होता है तो उन्हें मिटटी में दबा दिया जाता है ताकि प्रकृति को हानि ना पहुंचे, साथ ही दोनों और पत्तल के दोबारा प्रचालन से अनेक गरीबों के घरों में दुबारा से रोजगार और रोटी का इंतजाम भी हो जायेगा.
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