पिछले दिनों शिवपुरी विधायक व मंत्री यशोधरा राजे जी ने कुछ सडकों का लोकार्पण किया, वह भी ऐसी सडकों का जो अभी पूरी तरह बनी ही नहीं हैं ! जो शिवपुरी वासी विगत ढाई वर्षों से उखड़ी हुई सडकों से उड़ती हुई धुल फांक फांक कर अपने गुर्दे खराब कर रहे हैं, उनके लिए लोकार्पण के ये नाटक जले पर नमक के समान थे !
खैर यह तो सामान्य बात है, क्योंकि शिवपुरी के राजनेता काम में नहीं काम के श्रेय की चिंता में ही दुबले होते आये हैं ! कहीं कोई दूसरा व्यक्ति लोकार्पण न कर जाए, शिलापट पर उसका नाम न अंकित हो जाए, इस ख्वाहिस के तहत लोकार्पण के ये नाटक शिवपुरी वासी देखते ही आये हैं, किन्तु युवा आईएएस प्रभारी कलेक्टर नेहा मारव्या सिंह के लिए ये अजूबा थे ! उन्होंने अपना कर्तव्य मानकर यथास्थिति से श्रीमंत राजे जी को अवगत कराया ! उन बेचारी को यह नहीं पता था कि सिंधिया राजघराने के लोग इसे अपनी हुक्म अदूली मानकर उन्हें अपने गुस्से का शिकार बना लेंगे और शिवपुरी की गुलाम मीडिया सच झूठ के चक्कर में अपना समय बर्बाद करने के स्थान पर राजे साहब की हाँ में हाँ मिलाकर एक ईमानदार अधिकारी के सही काम को गलत बताकर अधिकारी की कर्तव्य परायणता का मजाक बनाने में जुट जायेगी ! एक नायक शासकीय अधिकारी को खलनायक बनाना उनका शगल है, क्योंकि उनका मूल उद्देश्य है, खलनायक राजनेताओं को जनता के बीच नायक बनाये रखना !
मुझे तो पुराना अनुभव है, इसलिए आज के समाचार पत्र पढ़कर कोई ख़ास हैरत नहीं हुई ! शायद और कोई शहर होता तो पत्रकार राजनेता को निशाना बनाते कि उसने ऐसी सड़कों का लोकार्पण कैसे किया, जो अभी बनी ही नहीं हैं ! किन्तु यह तो शिवपुरी है, जहाँ आज भी आजादी के पहले के गुलाम रहते हैं ! मेरी आँखों के सामने विगत की कुछ स्मृतियाँ चलचित्र की तरह घूम गईं !
बंबई कोठी – सिंधिया राजवंश की छतरी परिसर में यह वह स्थान है, जहाँ जब कभी शिवपुरी पधारने वाले राजवंश के लोग आराम फरमाते हैं !उन दिनों स्व. माधवराव सिंधिया जीवित थे और उनकी बहिन अर्थात श्रीमंत यशोधरा राजे जी विधायक का चुनाव लड़ने का मन बनाया ! तो इसी बंबई कोठी के लॉन में एक कार्यकर्ता बैठक रखी गई ! सौ डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं के बीच यशोधरा जी विराजमान थीं कि तभी अन्दर से अर्दली ने आकर फोन आने की सूचना दी ! श्रीमंत अन्दर गईं और कुछ समय बाद तीन कार्यकर्ताओं को भी अन्दर से बुलावा आया ! गंभीर मुद्रा में राजे साहब ने बताया कि दिग्विजय सिंह जी का फोन है और उन्होंने पूछा है कि कांग्रेस का टिकिट किसे दिया जाए ! तीन ऑप्शन बताये गए – गणेश गौतम, सांवलदास गुप्ता, और हरिबल्लभ शुक्ला !सबने विचार विमर्श किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गणेश गौतम शिवपुरी पूर्व विधायक रहे हैं, और सांवलदास जी भी न केवल स्थानीय होने के कारण, बल्कि वैश्य समाज में अपने प्रभाव के चलते कड़ी टक्कर दे सकते है, अतः बेहतर हो कि हरिवल्लभ शुक्ला को टिकिट मिले ! वे पोहरी के विधायक रहे हैं, इसलिए शिवपुरी उनका कार्यक्षेत्र नहीं रहा है, उन्हें आसानी से पराजित किया जा सकता है, और टिकिट हरिवल्लभ जी को मिल गया !
बाद में माधवराव जी के स्वर्गवास के बाद राजे जी ने कई बार कहा भी – माधवराव मेरे भाई थे, दिग्विजय मेरे भाई हैं ! तो नेहा मारव्या सिंह जी, आपने बर्र के छत्ते में हाथ दे दिया है ! अब आप न केवल भाजपा के बल्कि कांग्रेस के भी निशाने पर हैं ! शायद इसीलिए किसी भी भाजपा नेता के पूर्व श्रीमंत के समर्थन में खुलकर नेता प्रतिपक्ष राहुल सिंह जी का बयान आ ही गया है ! कल विधानसभा में कांग्रेस इस विषय को लेकर हंगामा भी करे तो कोई अचम्भा नहीं है !
आपका पक्ष कौन लेगा ? क्या वह भाजपा जिसके अध्यक्ष खुलकर “श्रीमंत” शब्द की वकालत करते हैं और आपत्ति करने वाले मंत्री की खिंचाई करते है ? मुझ जैसे लोग आपसे केवल सहानुभूति ही दर्शा सकते है, और वह भी केवल शाब्दिक ! क्योंकि हम तो इस राजवंश की मिलीजुली कुश्ती के पुराने शिकार होकर सार्वजनिक जीवन से विराम ले ही चुके हैं, अब देखते हैं कि आप कब तक आत्मसम्मान बचाए रखकर शासकीय सेवा कर पाएंगी ?
भाजपा में चलने वाली मिली जुली कुश्ती के विषय में जानना है तो पढ़िए –
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