श्री लाल बहादुर शास्त्री जी और चावल का अकाल
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यह घटना उस समय की है जब लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधान मंत्री थे, केरल में सूखा पड़ने की वजह से लोग चावल के दाने-दाने को तरसने लगे थे, केरलवासियों का मुख्य भोजन चावल ही है , इसीलिए शास्त्री जी चिंतित हो उठ कि केरलवासी गुजर-बसर कैसे करेंगे | शास्त्री जी ने केरल सरकार को आश्वासन दिया था की चावल का उचित प्रबंध किया जा रहा है, और कोई भी बिना चावल के कोई भी भूखा नहीं रहेगा | देश के अन्य क्षेत्रों से चावल खरीदकर केरल भेजा जाने लगा, शास्त्री जी ने रोटी खा सकने वाले लोगों से अनुरोध किया की वे चावल का प्रयोग कम से कम करें और जो स्वाद के लिए प्रतिदिन चावल का प्रयोग करते हैं वे भी इसका प्रयोग न करें |उन्होंने अपने घर में भी सख्त निर्देश दिए थे की जब तक केरल में चावल की कमी पूरी नहीं हो जाती तब तक उनके घर में चावल नहीं पकाए जायेंगे | यह आदेश सुनकर प्रधानमंत्री जी के बच्चे दुखी हुए, क्योंकि वे भी चावल खाने के शौक़ीन थे, लेकिन सभी ने शास्त्री जी के आदेश का पालन किया, प्रधानमंत्री निवास में तब तक चावल नहीं बने जब तक केरल की स्थिति पर पूरी तरह से काबू नहीं पा लिए गया | केरल की सरकार व निवासियों के साथ ही पूरा भारत शास्त्री जी की यह बात जानकर उनके प्रति नतमस्तक हो गया कि उन्होंने केरल की पीड़ा को अपनी समझकर प्रधानमंत्री निवास तक में चावल बनाने पर रोक लगा दी थी | आज भी शास्त्री जी जैसे नेताओं की आवश्यकता है |
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