गांधी और सुभाष चन्द्र बोस में अंतर
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आइये एक सच्ची घटना जो गांधी और सुभाष बाबू दोनों के साथ घटी , उसके द्वारा दोनों की तुलना की जाए ! आज़ादी के पहले ट्रेन के फर्स्ट क्लास में अगर कोई अंग्रेज़ सफर कर रहा हो तो कोई भारतीय उस डिब्बे में नहीं बैठ सकता था ! गांधी की घटना काफी प्रचारित हुई और सब जानते हैं कि गांधी को सामान सहित डिब्बे से बाहर फ़ेंक दिया गया था और वो प्लेटफार्म पर ही धरने पर बैठ गए थे !
अब नेता जी का प्रकरण !
सुभाष फर्स्ट क्लास डिब्बे में बैठे ! अकेले थे ! बाद में एक अंग्रेज़ महिला चढ़ी ! वो भारतीय देखकर आग बबूला हो गयी ! उसने कहा कि तुम काला आदमी इसमें कैसे आया ! अगले स्टेशन पर उतर जाना ! सुभाष बाबू चुपचाप बैठे रहे ! वो फिर चिल्लाई कि अगर तुम डिब्बे से नहीं उतरोगे तो मैं चिल्लाऊंगी कि तुमने मेरे साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की ! सुभाष बाबू ने उसको इशारों में बताया कि वह सुन नहीं पाते हैं, बोल नहीं पाते हैं, गूंगे और बहरे हैं ! इसलिए जो कह रही हो वो लिखकर दो ! उसने लिखकर दिया ! नेताजी ने उसे पढ़ा भी नहीं और जेब में रख लिया ! वोह चिल्लाई -अरे इसे पढो तो ! अब बोले नेताजी ! मैडम अब आप बताइये कि अगले स्टेशन पर कौन उतरेगा ? वो महिला हैरत में थी ! कहने की बात नहीं कि अगले स्टेशन पर अंग्रेज़ महिला चुपचाप उतर गयी !
(मासिक पत्रिका कादम्बिनी से साभार)
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प्रेरक प्रसंग
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