भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा तुलसी के औषधीय गुणों का कारण | एक महत्वपूर्ण उपलब्धि |
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तुलसी को भारत में आमतौर पर उसके संक्रमण रोधक, एंटी फंगल, ज्वर नाशक व केंसर रोधी गुणों के लिए जाना जाता हैं | उसमें जीवित प्राणियों पर प्रभाव डालने वाले यौगिकों की विस्तृत श्रृंखला है | अतः आम भारतीय जडी बूटी के रूप में उसका चिकित्सकीय उपयोग करते ही हैं |
किन्तु हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने तुलसी की पूरी आनुवंशिक पड़ताल की है | उसका जीनोम नक्शा निर्मित किया है | इससे अब तुलसी द्वारा नवीन दवाओं के निर्माण में अत्याधिक मदद मिलेगी ।
बेंगलुरु स्थित नेशनल सेंटर ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंस की एक बहु संस्थागत टीम ने सौदामिनी रामनाथन के नेतृत्व में, भारत की इस सदियों पुरानी ज्ञान की धरोहर और उसके औषधीय प्रभाव को लेकर प्रयोगशालाओं में अनुसंधान कार्य किया।
वस्तुतः तुलसी का पौधे में जो औषधीय गुण हैं, वे उसकी अपनी आत्मरक्षा हेतु विकसित चयापचय प्रक्रिया के उप उत्पाद हैं | अभी तक तुलसी की जीनोमिक जानकारी के अभाव में इनके विषय में समझ बहुत कम थी ।
सौदामिनी और उनकी टीम ने genome of O. tenuiflorum Krishna subtype का जो पहला मसौदा तैयार किया है, वह तुलसी की चयापचय प्रक्रिया से निर्मित औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है |
शोधकर्ताओं में से एक एस रामास्वामी के अनुसार तुलसी की आतंरिक संरचना में उर्सोलिक एसिड नामक एक महत्वपूर्ण चिकित्सकीय यौगिक का निर्माण होता है | वह कैसे बनता है, उसके मार्ग की दिलचस्प जानकारी कर ली गई है | अब उर्सोलिक एसिड के संश्लेषण हेतु आधुनिक सिंथेटिक जीव विज्ञान तकनीक का इस्तेमाल पर्याप्त लाभकारी होगा ।
"यह एनसीबीएस द्वारा किसी पौधे की प्रजातियों के जीनोम अनुक्रमण को लेकर पहली रिपोर्ट है | सौदामिनी का कहना है कि हमें उम्मीद है कि हम और अधिक खोज कर पायेंगे |
Tags :
तकनीक
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