देख कबीरा रोया - 4 (आचार्य रजनीश)
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फ्रांस में दर्शन शास्त्र के एक प्रोफ़ेसर थे | पेरिस के विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के विभागाध्यक्ष | एक दिन अपने विद्यार्थियों से बोले – क्या तुम्हें पता है, मैं दुनिया का सबसे बड़ा आदमी हूँ | विद्यार्थियों को लगा कि बेचारे अध्यापक महोदय पागल हो गए हैं | दार्शनिकों के पागल होने की बैसे भी अधिक संभावना रहती है |
एक विद्यार्थी ने पूछा, कैसे आप अपने आप को दुनिया का सबसे बड़ा आदमी बता रहे हैं ? अध्यापक ने कहा कि हाँ मैं कह रहा हूँ कि मैं दुनिया का सबसे बड़ा आदमी हूँ | मैं न केवल कह रहा हूँ, बल्कि सिद्ध भी कर सकता हूँ | उसके विद्यार्थियों ने कहा कि बड़ी कृपा होगी, अगर आप सिद्ध कर सकें तो |
अध्यापक ने छडी उठाई और क्लास में जहाँ दुनिया का नक्शा टेंगा था, वहां गए | उसने पुछा – बच्चो मैं तुमसे पूछता हूँ कि इस पृथ्वी पर सबसे महान और सबसे श्रेष्ठ देश कौन सा है ? वे सभी फ्रांस के रहने वाले थे तो स्वाभाविक ही सबने जबाब दिया – निसंदेह फ्रांस | फ्रांस से महान कोई भी देश नहीं |
अध्यापक ने कहा, तब एक बात तय हो गई कि फ्रांस सबसे महान है, इसलिए बाकी दुनिया की फ़िक्र छोड़ दो | अब अगर मैं सिद्ध कर सकूं कि फ़्रांस में सबसे महान मैं हूँ, तो मामला हल हो जाएगा | विद्यार्थी तब भी नहीं समझे कि तर्क कहाँ जाएगा | फिर उसने कहा कि फ्रांस में सबसे महान और श्रेष्ठ नगर कौन सा है ? विद्यार्थियों ने कहा कि पैरिस | वे सभी पैरिस में ही तो बैठे थे |
अध्यापक ने कहा कि अब फ्रांस की बात छोडो, अगर मैं सिद्ध कर दूं कि पेरिस में मैं सबसे महान हूँ तो बात ख़तम हो जायेगी | अब विद्यार्थी चकराने लगे कि यह तर्क आखिर जा कहाँ रहा है ? उस प्रोफ़ेसर ने पूछा, अब बताओ पेरिस में सर्वश्रेष्ठ स्थान कौन सा है ? जबाब आया यूनिवर्सिटी, विश्वविद्यालय, विद्या का मंदिर | फिर प्रश्न हुआ कि यूनिवर्सिटी में सबसे श्रेष्ठ विषय और डिपार्टमेंट कौन सा ? सब फिलोसफी के विद्यार्थी थे, तो कहा फिलोसफी |
अध्यापक महोदय ठठाकर हँसे, बोले – अब तुम समझे ? मैं फिलोसफी का हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट हूँ | हुआ न दुनिया का सबसे बड़ा आदमी |
हिन्दू, मुसलमान या ईसाई, जब कहते हैं कि उनका धर्म सबसे महान है, तो उसका वास्तविक मतलब यही होता है कि मेरा धर्म सबसे महान है, और मैं उसे मानता हूँ, मैं सबसे महान हूँ | इस छोटे से मैं को सिद्ध करने के लिए कितना तर्क वितर्क ? मैं जहां हूँ, जिस केंद्र पर हूँ, उस केंद्र से सम्बंधित सब महान, क्योंकि मैं महान |
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ओशोवाणी
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