देख कबीरा रोया - 2 - आचार्य रजनीश
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जो लोग सत्ताधिकारियों को चुनते हैं, उनके मन का बदल जाना जरूरी है, अन्यथा हम रोज पुराने जैसे लोग चुन लेंगे | फिर नए कपडे होंगे, नई शक्लें होंगी, नया झंडा होगा, नए नारे होंगे, लेकिन आदमी फिर वही होगा, जिसे हमने पहले चुना था | और जैसे ही सत्ता में वे लोग जायेंगे, वे फिर पुराने आदमी साबित होंगे | उनमें कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है |
गांधी का नैतिक आन्दोलन सफल नहीं हो सका | स्वतंत्रता उपलब्ध हुई, लेकिन जो सपना देखा था, वह सपना पूरा नहीं हो पाया | अंग्रेज पूंजीपति के हाथ से सत्ता निकलकर भारतीय पूंजीपति के हाथ में चली गई | लेकिन भारतीय पूंजीपति भारत नहीं है |
मैंने सुना है कि भारत जब आजाद हुआ, तब गांधी जी के एक शिष्य पूंजीपति के पास तीन करोड़ की संपत्ति थी, जो आजादी के बीस बरस बाद बढ़कर तीनसौ करोड़ की हो गई | बीस वर्षों में तीन सौ करोड़ ? शास्त्रों में लिखा है कि सत्संग का फल होता है | इससे सिद्ध होता है कि सत्संग का फल होता है |
एक तरफ संपत्ति बढ़ती गई, दूसरी तरफ बृहत्तर भारत गरीब से गरीब होता चला गया | हिन्दुस्तान के किसी गाँव के गरीब से पूछो तो वह कहता है कि कुछ फर्क नहीं पडा | इससे तो ब्रिटिश राज्य अच्छा था | कोई नहीं चाहता कि गुलाम रहे, लेकिन जब कोई गरीब कहता है कि इससे गुलामी अच्छी थी तो उसकी पीड़ा हम समझ सकते हैं |
चीन का एक अद्भुत विचारक क़ानून मंत्री हो गया | उसके सामने एक चोरी का मुकदमा लाया गया | एक आदमी ने चोरी की, पकड़ा गया | उस आदमी ने स्वीकार कर लिया कि उसने चोरी की | साहूकार भी खड़ा था और कह रहा था कि इसे दण्ड दें, इसने चोरी की है | विचारक ने कहा, दण्ड जरूर दूंगा और उसने फैसला लिखा | उसने कहा छः महीन चोर कि सजा और छः महीने की सजा साहूकार को भी | साहूकार ने कहा कि क्या आप पागल हो गए हैं ? दुनिया में कभी साहूकार को सजा हुई है भला ? जिसकी चोरी हुई है, उसे सजा दो, यह कहाँ का न्याय है ? उस विचारक ने कहा कि जब तक सिर्फ चोरों को ही सजा मिलती रहेगी, तब तक दुनिया में चोरी बंद नहीं हो सकती | तुमने गाँव की सारी संपत्ति एक कोने में इकट्ठी कर ली है | अब गाँव में चोरी नहीं होगी तो क्या होगा ? एक आदमी के पास पूरे गाँव की संपत्ति इकट्ठी हो जाए तो गाँव के आदमी कितने दिन धर्मात्मा रह सकेंगे ? चोरी उनकी मजबूरी हो जायेगी | इसलिए मैं तो छः महीने की सजा चोर को दूंगा और छः महीने की तुमको भी | क्योंकि चोर पीछे पैदा हुआ, शोषण पहले |
सारे नेता चिल्लाते हैं कि चोरी नहीं होनी चाहिए, बेईमानी नहीं होनी चाहिए, भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए, जबकि पूरा हिन्दूस्तान चोर होता चला जा रहा है | सबसे बड़ी चोरी और बेईमानी, शोषण है | शोषण जारी रहेगा तो चोरी से नहीं बचा जा सकता |
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ओशोवाणी
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