हम कैसे सोए और किस दिशा में सोए। - आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक



रात्रि के पहले पहर में सो जाना चाहिए। और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आत्मचिंतन वा दिनचर्या करना चाहिए ।लेकिन आज आधुनिक जीवनशैली के चलते ।व्यक्ति इस बात पर ध्यान नहीं देते ।फिर भी हर व्यक्ति को सोने और उठने का समय निर्धारित रखने का प्रयास करना चाहिए।

हम सबको कैसे लेटना चाहिए़। और सिर तथा पैर किस दिशा में होना चाहिए ।आइए इस संबंध में विचार करते हैं ।वैदिक सनातन मर्यादा के अनुसार हर व्यक्ति को हमेशा शवासन में सोना चाहिए ।यदि करवट लेना हो तो बाई करवट लेवे।क्योंकि हमारे शरीर के अंतर्गत जो हमारी स्वसन क्रिया है ।वहां नासिका के माध्यम से संचालित होती है ।और यह भोजन को पचाने के लिए भी कार्य करती है।ये दोनों नासिका छिद्रों से प्रवाहित होती अर्थात दाहिने से सूर्य स्वर और बाएंभाग से चंद्र स्वर चलती है। अतः सूर्य स्वर गर्म होता है। जो भोजन पचाने में मदद करता है ।जब हम बाएं करवट सोते हैं ।तो उस समय सूर्य स्वर चलता है ।जो जठराग्नि को भोजन पचाने में मदद करता है ।अतः इन कारणों से हम सबको बाएं करवट लेटना चाहिए़।जो स्वास्थ्य के लिये भी लाभप्रद है।अब आइये विचार करते है। कि सोते वक्त हमारा पैर और सिर किस दिशा में होना चाहिए ।इसके बारे में हमारी प्राचीन मान्यता क्या है ।

आइये जाने सोने वाले हर व्यक्ति को सिर उत्तर और दक्षिण की ओर नहीं करके सोना चाहिए। यदि सोना हो तो दो दिशा में सिर रखना सोना उपर्युक्त है। वह है पूर्व और दक्षिण की दिशा जहां हम सिर रखकर आराम से सो सकते हैं ।पूर्व में पैर रखकर सोना इसलिए निषेध है ।की पूर्व की दिशा सूर्य की ऊर्जा व शक्ति प्रवाह की दिशा है ।अतः इस दिशा की ओर पैर रखकर सोना सर्वार्थ अनुचित है ।

अब रह गई दक्षिण दिशा में पैर रखकर सोने की बात ।तो इस संबंध में आज का विज्ञान कहता है। कि पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों में चुंबकीय प्रवाह विद्यमान है। अतः उत्तर दिशा के ध्रुव में धनात्मक और दक्षिण दिशा के ध्रुव में ऋणात्मक प्रवाह रहता है ।इन कारणों से ध्रुव का आकर्षण दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होता है ।अतः जब हम दक्षिण की ओर सिर रखकर सोते हैं ।तो यह ऊर्जा शक्ति हमारे सिर की ओर से प्रवेश कर ती है और पैर की ओर से बाहर निकल जाती है ।ऐसे में जब हम सुबह जागते हैं ।तो हम सबअपने आप को ताजगी और स्फूर्ति से युक्त महसूस करते हैं ।क्योंकि हमारे सिर में धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह और पैर से ऋणात्मक ऊर्जा का निकास होता है ।अतः जब इसके विपरीत दक्षिण दिशा की ओर पैर रखकर सोता है।तो उस वक्त सोने वाले व्यक्ति की मस्तिष्क के धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह और उत्तरी ध्रुव के धनात्मक प्रवाह ये दोनों एक दुसरे के विपरीत भागते है ।तब सोने वाला व्यक्ति थकान महसूस करता। जबकि उत्तर की ओर पैर रखकर सोने वाला व्यक्ति ऐसा कदाचित अनुभव नहीं कर सकता। अतः इन कारणों को देखते हुए हर व्यक्ति को दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए क्योंकि यह युक्तिसंगत है ।तथा स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। इस विषय के संबंध में जो कुछ भी युक्ति व प्रमाण द्वारा समझाने का प्रयास किया है ।बस उद्देश्य इतना ही है ।कि हम सही दिशा की ओर सही तरीका से और ठीक समय पर विश्राम करे। आपऔर अपने परिवार का स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षित रखे। यही आशा से यह चिंतन व्यक्त किया है ।अतःआप इसका लाभ उठाएं।

आचार्य ज्ञानप्रकाश वैदिक
देव स्वामी आश्रम जलालपुर (गौतमबुद्ध नगर )उत्तर प्रदेश
7357329662
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