साधुवाद महाराष्ट्र सरकार - सन्दर्भ गोवर्धन गौवंश रक्षा केन्द्र
0
टिप्पणियाँ
एक अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार, अखबारों के कोनों में दुबका रह गया | वह समाचार है महाराष्ट्र सरकार का अद्भुत और सराहनीय निर्णय, जिसके अनुसार सरकार बूढ़ी हो चुकी, निराश्रित व दूध न देने वाली गायों के लिए 34 जिलों में स्थायी आश्रय स्थलों का निर्माण करेगी | इन आश्रय स्थलों का नाम गोवर्धन गौवंश रक्षा केन्द्र होगा | स्मरणीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने एक वर्ष पूर्व पूरे महाराष्ट्र में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा भी की थी ।
वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस परियोजना के 2016-17 के बजट में 34 करोड़ रुपयों का आवंटन किया है। गोवर्धन गौवंश रक्षा केन्द्र परियोजना के लिए प्रत्येक चयनित जिले को प्रारम्भ में 1 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता राज्य द्वारा दी जायेगी तथा इसका संचालन गैर सरकारी संगठन के माध्यम से किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों का चयन अनुभव और गायों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता के आधार पर किया जाएगा।
परियोजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गायों और अन्य मवेशियों को अनुत्पादक होने के बाद लावारिस न छोड़ा जाए । वित्त मंत्री के अनुसार इस नवीन गोवर्धन गौवंश रक्षा केन्द्र योजना से प्रतिबद्ध गैर सरकारी संगठन न केवल गाय / पशुओं को आश्रय देंगे, बल्कि गोबर और गौमूत्र से बनने वाली जैविक खाद व औषधियों के माध्यम से लाभ भी प्राप्त करेंगे |
कृषि मंत्री एकनाथ खडसे का दावा है कि गायों और मवेशियों से प्राप्त वाईप्रोडक्ट के कई उपयोग हैं । इनके माध्यम से कृषि को बढ़ाने के लिए उपजाऊ खाद के अतिरिक्त ईंधन के लिए गोबर गैस भी प्राप्त होती है । उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोमूत्र की अच्छी खासी मांग है ।
गाय के गोबर को तरल उर्वरक में परिवर्तित करने वाले अनेक संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं । प्रत्येक पशु आश्रयस्थल में बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा, ताकि सीमेंटेड नाली व पाइपों के माध्यम से तरल उर्वरक में परिवर्तित गोबर खेतों तक पहुंचे ।
बैसे यह संरचना बहुत कुछ भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर होगी । कुछ स्थानों पर यह उर्बरक गांवों तक पहुँचाने के लिए परिवहन साधनों का प्रावधान करना होगा।
सरकार की ओर से एक अन्य निर्णय भी लिया गया है जिसके अनुसार राज्य में दो स्थानों पर मवेशियों की स्थानीय स्वदेशी नस्ल के पालन, संरक्षण और संवर्धन हेतु वर्ष 2016-17 के दौरान 18.61 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है। यह स्थान हैं वर्धा के हेत्तीकुंती और अमरावती के बोअद | इन स्थानों का आधुनिकीकरण और पुनर्निर्माण किया जाएगा ।
इसके साथ ही सरकार ने जोर देकर कहा है कि गाय / पशु वध पर लगे प्रतिबंध पर पुनर्विचार करने का कोई सवाल ही नहीं है | सरकार ने उन सभी आलोचनाओं को खारिज किया है, जिनमें कहा जा रहा था कि गोमांस प्रतिबंध की वजह से किसान पीड़ित हैं, क्योंकि वे अपने मवेशियों नहीं बेच पा रहे हैं ।
हाल ही में, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसान अपने मवेशियों का लालन पालन अपने बच्चों के समान करते हैं। इसलिए यह कहना कि सूखे की वजह से किसान उन्हें वध करने के लिए बेच देंगे बेहद असंवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि सूखे की स्थिति को देखते हुए सरकार सूखाग्रस्त जिलों में मवेशियों के लिये चारे और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु प्रयत्नशील है, साथ ही कृषकों को आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जा रही है |
जैविक खेती के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आग्रह को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। जैविक खेती से न केवल मिट्टी संरक्षण में मदद मिलती है, बल्कि उससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है | हानिकारक रासायनिक मुक्त खाद्यान्न, सब्जियां और फल मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभप्रद हैं ।
सरकार द्वारा यह निर्णय भी लिया गया है कि राज्य के सभी चार कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक खेती अनुसंधान और प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी ।
साभार - शुभांगी खापरे | इंडियन एक्सप्रेस ब्यूरो
Tags :
समाचार समीक्षा
एक टिप्पणी भेजें