राजस्थान के एक विश्व विद्यालय में रचा जा रहा बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का तानाबाना |
0
टिप्पणियाँ
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि गणेश जी को मोदक इसलिए प्रिय हैं, क्योंकि उनका आकार स्त्री के स्तनों जैसा होता है ? और गणेश जी न केवल महिलाओं के प्रति आसक्त थे, बल्कि अपनी माँ पर भी बुरी नजर रखते थे | यह अद्भुत जानकारी दी गई मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर में आयोजित एक व्याख्यान में, जिसका विषय था “धार्मिक संवाद समय की आवश्यकता” | और जिन विद्वान् वक्ता का व्याख्यान हुआ, वे थे दिल्ली विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर अशोक बोहरा |
प्रोफ़ेसर बोहरा इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने गणेश जी को नपुंसक, किन्नर एवं समलेंगिक निरूपित किया | उन्होंने हिन्दू मूर्तियों को शैतान जैसी दिखने वाली बताया | शिवलिंग को तीव्र भोगवासना का प्रतीक तथा हिन्दू धर्म के उपासकों को पोंगा पंथी बताते हुए मंदिरों व देवी देवताओं पर घिनौनी, अशोभनीय एवं लज्जाजनक टिप्पणियाँ कीं |
सभागार में मौजूद संस्कृत के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं विश्व विद्यालय प्रबंध मंडल के सदस्य प्रो. नीरज शर्मा तथा अतिथि विधि व्याख्याता डॉ. सुरेन्द्र कुमार जाखड ने बालिकाओं तथा महिलाओं से भरे सभागार में हिन्दू देवी देवताओं पर अश्लील टिप्पणियों को असहनीय, अनैतिक, घोर निंदनीय बताते हुए, विश्व विद्यालय जैसे बड़े व प्रतिष्ठित मंचों का इस प्रकार हिन्दू धर्म के प्रति घृणा फैलाने के लिए उपयोग किये जाने पर आपत्ति जताई तथा प्रोफेसर बोहरा के भाषण को विषय से परे बताया | इसपर कार्यक्रम की प्रमुख आयोजक दर्शन शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सुधा चौधरी ने उलटे इन लोगों को ही झिड़की लगाईं व बैठ जाने को कहा |
हैरत की बात यह है कि यह विकृत और घृणित विचार सुनने के लिए सभागार में बड़ी संख्या में विश्व विद्यालय की छात्राओं को भी वहां एकत्रित किया गया था | जिनमें से अधिकाँश छात्राएं जनजाति वर्ग एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि की थीं | निजी महाविद्यालय गुरू नानक कन्या महाविद्यालय से भी छात्राओं को महाविद्यालय की बस में बैठाकर आयोजकों द्वारा योजनापूर्वक लाया गया था | स्पष्टतः आयोजकों की मंशा ग्रामीण अंचल की अनुसूचित जनजाति की वालिकाओं के मन में हिन्दू धर्म के प्रति घृणा पैदा कर धर्मांतरण का आधार तैयार करना था | स्मरणीय है कि राजस्थान में कथित तौर पर हिंदूवादी मानी जाने वाली भाजपा की सरकार है |
Tags :
समाचार
एक टिप्पणी भेजें