टीपू को क्षत्रपति शिवाजी के बराबर बताकर फंसे गिरीश कर्नाड ने सार्वजनिक माफी माँगी |



पिछले दिनों नाटककार गिरीश कर्नाड ने केम्पेगोडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर टीपू सुलतान के नाम पर करने का सुझाव दिया | कर्नाड की टिप्पणी के तुरन्त बाद वोक्कालिगा समुदाय, विपक्षी दल भाजपा, जद (एस) और आम जनता द्वारा विरोध के जबरदस्त स्वर उठे | इसके बाद उठे विवाद से कर्नाड के हाथ पाँव फूल गए | एक ओर तो उन्हें सोशल मीडिया पर धमकी मिली कि उनका भी वही हश्र होगा जो लेखक एम एम कलबुर्गी का हुआ था, और दूसरी ओर उनके खिलाफ बेंगलुरू पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई कि गिरीश कर्नाड ने हिंदुओं और वोक्कालिगा समुदाय का अपमान कर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयत्न किया है | स्मरणीय है कि केम्पेगोडा वोक्कालिगा समुदाय के राजा थे तथा आधुनिक बेंगलूर के संस्थापक माने जाते हैं | 

आईये जानते हैं कि पूरा मामला क्या है ?

मंगलवार 10 नवम्बर को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित टीपू जयंती समारोह में गिरीश कर्नाड मुख्य अतिथि थे | वहां उन्होंने अपने भाषण के दौरान न केवल यह कहा कि केम्पेगोडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर टीपू सुलतान के नाम पर किया जाना चाहिए बल्कि उसका कारण बताते हुए यह भी कहा कि केम्पेगोडा कोई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं थे | कर्नाड इतने पर ही नहीं रुके, बल्कि उससे भी आगे बढ़कर बोले कि जो काम राजा राममोहन रॉय ने बंगाल में, डॉ. भीमराव आंबेडकर ने महाराष्ट्र में तथा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश में किया वही काम टीपू सुलतान ने कर्नाटक में किया । 

कर्नाड ने कहा कि चूंकि देवनहल्ली टीपू का जन्मस्थान है, अतः हवाई अड्डे के लिए उनका नाम सर्वाधिक उपयुक्त होगा । जैसे कोलकाता हवाई अड्डे का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर तथा मुंबई हवाई अड्डे का नाम शिवाजी महाराज के नाम पर है, उसी प्रकार टीपू के नाम पर कर्नाटक के इस हवाई अड्डे का नाम होना चाहिए | उन्होंने कहा कि अगर टीपू मुसलमान नहीं होता तो उसका कर्णाटक में वही स्थान होता जो शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र में है। 

कर्नाड के उक्त बयान की चौतरफा आलोचना हुई | यहाँ तक कि स्वयं को सेक्यूलर बताने वाले राजनैतिक दल जनता दल एस के अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने कहा, कि मुझे हैरत है कि जिसे इतिहास का सामान्य ज्ञान भी नही है, उसे ज्ञानपीठ पुरष्कार कैसे मिल गया ? बेंगलुरू के संस्थापक केम्पेगोडा 16 वीं शताब्दी के महान राजा थे | उस समय तक अंग्रेज भारत में आये भी नहीं थे, तो वे स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो सकते थे | उनकी तुलना अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से करना निहायत मूर्खतापूर्ण है | कुमार स्वामी का बयान निश्चय ही बोक्कालिंगा समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखकर दिया गया है | 

एक अन्य प्रतिक्रिया में मानव अधिकार और भ्रष्टाचार उन्मूलन नामक गैर सरकारी संगठन के प्रादेशिक अध्यक्ष गिरीश गौड़ा ने तो कर्नाड के खिलाफ सीधे पुलिस में ही शिकायत दर्ज करा दी तथा कर्नाड की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की | विधान सौध पुलिस को दिए अपने एक पृष्ठ शिकायत में उन्होंने गिरीश कर्नाड के उस बयान को आपत्तिजनक करार दिया जिसमें कहा गया था कि केम्पेगौड़ा एक स्वतंत्रता सेनानी कभी नहीं थे इसके बाद भी बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम रखा गया, अब इसे बदलकर टीपू के नाम पर होना चाहिए । 

इन तीखी प्रतिक्रियाओं से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया तथा गिरीश कर्नाड के हाथपांव फूल गए | कर्नाड ने तो सार्वजनिक माफी नामा जारी कर कहा कि "अगर किसी को भी मेरी टिप्पणी से दुःख हुआ है तो मैं माफी माँगता हूँ .... इसमें मेरा कोई निजी फायदा तो था नहीं?"

बहीं दूसरी ओर कर्नाड के साथ उस समय मंच साझा कर रहे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी अपनी गलती मानी कि उन्हें मंच से उसी समय घोषणा करना चाहिए थी कि हवाई अड्डे का नाम बदलने की सरकार की कोई मंशा नहीं है तथा उस समय चुप रहना उनकी भूल थी | 

हालांकि सिद्धारमैया ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के उनकी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए टीपू को एक स्वतंत्रता सेनानी और धर्मनिरपेक्ष शासक बताया । मुख्यमंत्री के अनुसार, विपक्षी दल भाजपा और हिंदू संगठनों के लोग राजनीतिक लाभ उठाने और मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए टीपू के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं | स्मरणीय है कि भाजपा ने तो स्पष्टतः इस आयोजन का बहिष्कार किया ही था । दूसरी ओर विहिप का मानना है कि टीपू सुलतान दक्षिण भारत का औरंगजेब था, जिसने हजारों हिन्दुओं की हत्याएं कीं तथा उन्हें बड़े पैमाने पर धर्मान्तरण करने पर विवश किया | ऐतिहासिक दस्तावेज जारी कर बताया गया है कि किस प्रकार हिन्दू और ईसाईयों को टीपू के राज्य में सार्वजनिक रूप से हाथियों के पैरोताले रोंदा गया |


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